सांकेतिक फोटो
दिल्ली हाईकोर्ट ने रमीज अहमद लोन की जमानत याचिका पर राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है. जस्टिस प्रतिभा एम सिंह और अमित शर्मा की खंडपीठ ने एनआईए को अपना पक्ष रखने का निर्देश देते हुए सुनवाई 15 जनवरी, 2025 को तय की है. वह कथित तौर पर आईएसआईएस का कैडर है. उसकी जमानत याचिका को ट्रायल कोर्ट ने 28 सितंबर, 2024 को खारिज कर दिया था. उसने ट्रायल कोर्ट के आदेश को चुनौती दी है. एनआईए ने जून 2021 में मामला दर्ज किया था.
रमीज अहमद लोन को 11 जुलाई, 2021 को आईएसआईएस वॉयस ऑफ हिंद (वीओएच) मामले में आईएसआईएस के दो कैडर उमर निसार और तनवीर अहमद भट के साथ एनआईए ने गिरफ्तार किया था. यह मामला भारतीय दंड संहिता की धारा 124ए, 153ए, 153बी और यूए(पी) अधिनियम 1967 की धारा 17, 18, 18बी, 38, 39 और 40 के तहत प्रतिबंधित आतंकवादी संगठन आईएसआईएस द्वारा भारत में युवाओं को कट्टरपंथी बनाने और भर्ती करने की साजिश के संबंध में दर्ज किया गया था, ताकि भारतीय राज्य के खिलाफ हिंसक जिहाद छेड़ा जा सके.
युवाओं को भड़काना और कट्टरपंथी बनाना
एनआईए ने कहा कि भारत में आईएसआईएस कैडरों के साथ-साथ विभिन्न संघर्ष क्षेत्रों से काम कर रहे आईएसआईएस आतंकवादियों ने छद्म ऑनलाइन पहचान बनाकर एक नेटवर्क बनाया है, जिसमें आईएसआईएस से संबंधित प्रचार सामग्री का प्रसार किया जाता है ताकि सदस्यों को कट्टरपंथी बनाया जा सके और आईएसआईएस के पाले में भर्ती किया जा सके. आरोप है कि भारत-केंद्रित ऑनलाइन प्रचार पत्रिका ‘द वॉयस ऑफ हिंद’ (वीओएच) मासिक आधार पर प्रकाशित की जाती है, जिसका उद्देश्य युवाओं को भड़काना और कट्टरपंथी बनाना है.
तलाशी के दौरान मिले आपत्तिजनक दस्तावेज
एनआईए ने आरोपियों के परिसरों की तलाशी के दौरान बड़ी संख्या में आपत्तिजनक दस्तावेज, कई डिजिटल डिवाइस और आईएसआईएस के लोगो वाली टी-शर्ट बरामद की थी. एजेंसी ने कहा कि जब्त सामग्री की प्रारंभिक जांच और आरोपी व्यक्तियों की जांच से पता चला है कि वे आईएसआईएस के सक्रिय कैडर हैं और ऑनलाइन पत्रिका (वीओएच) द्वारा भड़काऊ सामग्री का प्रचार करने के लिए साइबरस्पेस का इस्तेमाल कर रहे हैं.
-भारत एक्सप्रेस