प्रतीकात्मक फोटो
दिल्ली हाई कोर्ट द्वारा 12 महिलाओं सहित 70 वकीलों को वरिष्ठ वकील के रूप में नामित करने के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है. दायर याचिका पर सीजेआई संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली बेंच से जल्द सुनवाई की मांग की गई.
कोर्ट ने मौखिक उल्लेख के बजाय याचिका को सूचीबद्ध करने के लिए कहा है. लगभग 3.5 साल बाद हाई कोर्ट ने 70 वकीलों को सीनियर का दर्जा दिया है. मुख्य न्यायाधीश मनमोहन अगले दो वरिष्ठतम न्यायधीशों, विभु बाखरु और यशवंत वर्मा, अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल चेतन शर्मा और वरिष्ठ अधिवक्ता सुधीर नंदराजोग और मोहित माथुर की एक स्थायी समिति द्वारा उम्मीदवारो का मूल्यांकन करने के बाद सीनियर का दर्जा दिया गया.
समिति के सदस्य, सीनियर एडवोकेट सुधीर नंदराजोग ने समिति आए इस्तीफा दे दिया. उन्होंने दावा किया कि अंतिम सूची उनके सहमति के बिना तैयार की गई थी. इसके चलते यह प्रक्रिया विवादों में घिर गई और मामला सुप्रीम कोर्ट पहुच गया. बता दें कि इसके लिए 300 आए अधिक वकीलों ने आवेदन किया था. जो एक वकील की क्षमता, अदालती कौशल और कानूनी ज्ञान की मान्यता के रूप में सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट्स द्वारा प्रदान किया जाता है.
यह बेशकीमती पदनाम, जो वकीलों को अपनी कानूनी फीस में भारी वृद्धि करने की अनुमति देता है. स्थायी समिति ने हफ़्तों के साक्षात्कार के बाद 70 वकीलों को प्रदान किया गया, अंत मे एक पूर्ण अदालत की बैठक में समापन हुआ. जिसमें शॉर्टलिस्ट किए गए प्रत्येक उम्मीदवार का स्वतंत्र और स्पष्ट विश्लेषण देखा गया.
-भारत एक्सप्रेस
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