अरविंद केजरीवाल.
Delhi Liquor Policy Scam Case Update: दिल्ली शराब नीति घोटाला मामले में ईडी के जवाब के बाद दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने ईडी के जवाब के बाद सुप्रीम कोर्ट में जवाबी हलफनामा दाखिल किया है। केजरीवाल ने अपने जवाब में कहा है कि चारों गवाहों के संबंध बीजेपी से है। केजरीवाल ने अपने जवाब में कहा है कि भाजपा समर्थिक लोकसभा प्रत्यासी मगुंता श्रीनिवासन रेड्डी, भाजपा को तथाकथित शराब घोटाले में 60 करोड़ का चंदा देने वाले शरथ चंद्र रेड्डी, शरद चंद्र रेड्डी अरविंदो फार्मा के निदेशक पी शरद चंद्र रेड्डी को ईडी ने मनी लॉन्ड्रिंग मामले में आरोपी के तौर पर गिरफ्तार किया था। लेकिन बाद में वो सरकारी गवाह बन गए।
गिरफ्तारी के कुछ ही दिन बाद रेड्डी ने चुनावी बॉन्ड खरीदा था। 21 नवंबर को बीजेपी ने इस बॉन्ड को भुनाया था। केजरीवाल ने अपने जवाब में कहा है कि भाजपा गोवा के एक सीनियर नेता एवं प्रमोद सावंत के करीबी सत्य विजय और गोवा के मुख्यमंत्री के करीबी और मुख्यमंत्री के कैंपेन मैनेजर के बयान के आधार पर उनको गिरफ्तार किया गया है। केजरीवाल ने अपने जवाब में यह भी कहा है कि हवाला एजेंट के पास से गुजराती में लिखी डायरी मिली है। भाजपा ने अपने हिसाब से सबूत बनाकर पेश किए है।
वहीं केजरीवाल की ओर से दायर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट 29 अप्रैल को सुनवाई करेगा. गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली याचिका पर ईडी के जवाब के बाद केजरीवाल ने जवाबी हलफनामा दाखिल किया है.
हाईकोर्ट द्वारा अंतरिम राहत देने से इनकार
बतादें कि हाल ही में ईडी ने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी और निचली अदालत की कस्टडी के खिलाफ दाखिल याचिका पर हलफनामा दाखिल किया है। ईडी ने अपने हलफनामे में कहा है कि केजरीवाल को दिल्ली हाईकोर्ट द्वारा अंतरिम राहत देने से इनकार करने के बाद ही गिरफ्तार किया गया था। अरविंद केजरीवाल सामने उपस्थित ना होकर पूछताछ से बच रहे हैं। 9 बार उनको समन भेजा गया उसके बावजूद वह पूछताछ में शामिल नहीं हुए। ईडी ने जवाब में सुप्रीम कोर्ट को बताया कि घोटाले की अवधि के दौरान 36 व्यक्तियों द्वारा लगभग 170 से अधिक मोबाइल फोन बदले गए और नष्ट कर दिए गए।
आबकारी घोटाले के सरगना और साजिशकर्ता
हलफनामे में ईडी ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल आबकारी घोटाले के सरगना और साजिशकर्ता हैं। दिल्ली हाईकोर्ट ने सभी पहलुओं पर गौर करने के बाद स्पष्ट फैसला दिया। ईडी ने कहा कि उसके पास उपलब्ध सामग्री के आधार पर हाईकोर्ट ने यह माना कि केजरीवाल धनशोधन के अपराध के आरोपी हैं। ईडी ने हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती देने वाली केजरीवाल की ओर से दायर याचिका का विरोध करते हुए कहा कि राजनीतिक दल आम आदमी पार्टी, जो अपराध की आय का प्रमुख लाभार्थी था। उसने केजरीवाल के माध्यम से अपराध किया है।
ईडी ने अपने हलफनामे में कहा कि दिल्ली हाईकोर्ट ने हरेक तथ्य पर विचार किया। हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका आधारहीन है, सुप्रीम कोर्ट से गुजारिश है कि केजरीवाल की याचिका को खारिज करे। ईडी ने हलफनामे में यह भी कहा कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, दिल्ली सरकार के मंत्रियों, आप नेताओं और अन्य व्यक्तियों की मिलीभगत से दिल्ली आबकारी घोटाले के सरगना और मुख्य षडयंत्रकारी हैं। हाईकोर्ट इस नतीजे पर ईडी द्वारा पेश तथ्यों और दलीलों पर गौर करने के बाद पहुंचा था।
हाईकोर्ट का आदेश पूरी तरह से सही है, क्योंकि केजरीवाल सीधे तौर पर आबकारी नीति 2021-22 बनाने में शामिल थे। ईडी ने कहा है कि इस नीति का मसौदा दक्षिण समूह को दिए जाने वाले लाभों को ध्यान में रखते हुए तैयार किया गया था और इसे विजय नायर, मनीष सिसोदिया और दक्षिण समूह के प्रतिनिधि सदस्यों की मिलीभगत से बनाया गया था। ईडी ने कहा कि आप ने केजरीवाल के माध्यम से धनशोधन का अपराध किया है और इस तरह यह अपराध पीएमएलए, 2002 की धारा 70 के दायरे में आता है।
ईडी ने कहा कि आम आदमी पार्टी दिल्ली आबकारी घोटाले में अर्जित अपराध की आय की प्रमुख लाभार्थी है। अरविंद केजरीवाल आप की प्रमुख गतिविधियों को नियंत्रित करते हैं। जैसा कि गवाहों के बयान से स्पष्ट होता है कि वह पार्टी के संस्थापक सदस्यों में से एक हैं और नीति बनाने के निर्णयों में भी शामिल थे।
मेरे पक्ष में बयान छुपाने से ईडी का दुर्भावनापूर्ण इरादा स्पष्ट: केजरीवाल ने सुप्रीम कोर्ट से कहा
जांच करने में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) का दुर्भावनापूर्ण इरादा सह-अभियुक्त व्यक्तियों द्वारा दिए गए बयानों को जानबूझकर छिपाने से स्पष्ट है, जहां या तो कोई आरोप नहीं लगाया गया था या आरोपों को स्पष्ट रूप से नकार दिया गया था। केजरीवाल ने सबूतों को नष्ट करने के दावे को खारिज किया- जवाब में केजरीवाल ने कहा कि उनको गिरफ्तार करने के लिए कथित तौर पर “बड़े पैमाने पर सबूतों को नष्ट करने” को आधार बनाया गया है।
याचिकाकर्ता (केजरीवाल) द्वारा किसी भी प्रकार के साक्ष्य को नष्ट करने का आरोप पूरी तरह से गलत है और ईडी ने ऐसा एक भी बयान नहीं दिया है। इसलिए यह आधार किसी भी योग्यता से रहित है। इसके अलावा एजेंसी के पास कोई भी ठोस आधार नहीं है। ऐसे में याचिकाकर्ता की अवैध गिरफ्तारी को उचित ठहराने के लिए तुच्छ और काल्पनिक आधार एजेंसी बना रही है।
केजरीवाल ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि ईडी मनमानी तरीके से काम कर रही है। इसमें कोई संदेह नहीं है कि ईडी ने कानून की उचित प्रक्रिया का घोर अपमान करते हुए बहुत ही मनमाने तरीके से काम किया है। याद रहे कि ईडी ने अपने हलफनामे में दावा किया था कि सबूत नष्ट करना पीएमएलए की धारा 50 (जो खुद कानूनी रूप से स्वीकार्य साक्ष्य है) के तहत इन आरोपियों के बयानों की पुष्टि है और साथ ही मनी लॉन्ड्रिंग के अपराध में इन आरोपियों की संलिप्तता है।