सुप्रीम कोर्ट व अरविंद केजरीवाल
शराब नीति मामले में तिहाड़ जेल में बंद दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की अंतरिम जमानत का ईडी ने विरोध किया है. ईडी ने सुप्रीम कोर्ट से कहा है कि चुनाव की आड़ में रिहाई की कोशिश की जा रही है और इससे गलत परंपरा की शुरुआत होगी.
ईडी ने कहा कि चुनाव लड़ने वाले किसी भी व्यक्ति को कभी भी इस आधार पर अंतरिम जमानत नहीं मिली. अगर इस आधार पर रिहाई हुई तो किसी नेता को गिरफ्तार करना या हिरासत में रखना कठिन हो जाएगा, क्योंकि देश में अक्सर चुनाव होते रहते है.
दो अलग-अलग वर्ग में बांटना
ईडी ने तर्क दिया कि पिछले 5 साल में देश में 123 बार चुनाव हुए है. चुनाव प्रचार के आधार पर अंतरिम राहत देना सही नहीं होगा. अरविंद केजरीवाल या कोई अन्य राजनेता सामान्य नागरिक से अधिक विशेष दर्जे का दावा नहीं कर सकते. अगर अंतरिम राहत दी जाती है तो यह देश को दो अलग-अलग वर्ग में बांटना होगा, यानी आम लोग जो कानून के शासन के साथ-साथ इससे बंधे हैं, वहीं राजनेता जो चुनाव प्रचार के लिए अंतरिम जमानत हासिल करने की उम्मीद के साथ कानूनों से छूट मांग सकते हैं.
20 मई तक न्यायिक हिरासत में
आम आदमी पार्टी (आप) के राष्ट्रीय संयोजक और मुख्यमंत्री केजरीवाल को बीते 21 मार्च को गिरफ्तार किया गया था. पीठ में जस्टिस दीपांकर दत्ता भी शामिल थे. पीठ ने केजरीवाल की अंतरिम जमानत याचिका पर सात मई को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था.
दिल्ली की एक अदालत ने बीते 7 मई को केजरीवाल की न्यायिक हिरासत 20 मई तक बढ़ा दी थी. हाईकोर्ट ने बीते 9 अप्रैल को केजरीवाल की गिरफ्तारी को वैध ठहराया था और कहा था कि बार-बार समन जारी करने और केजरीवाल के जांच में शामिल होने से इनकार करने के बाद ईडी के पास ‘बहुत ही मामूली विकल्प’ बचा था.
यह मामला 2021-22 के लिए दिल्ली सरकार की आबकारी नीति के निर्माण और कार्यान्वयन में कथित भ्रष्टाचार और मनी लॉन्ड्रिंग से संबंधित है. यह नीति अब समाप्त कर दी गई है.
-भारत एक्सप्रेस
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