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Delhi: NDMC ने कहा- अंतिम फैसले से पहले सुनहरी बाग मस्जिद मामले में मुस्लिमों की आपत्तियों पर किया जाएगा विचार

दिल्ली में सुनहरी बाग मस्जिद का मामला अदालत में चल रहा है. मुस्लिम याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया कि एनडीएमसी मनमानी न करे. हमारी मस्जिद 150 साल से अधिक पुरानी है और यह एक विरासत इमारत है, जो सांस्कृतिक विरासत का प्रतीक है.

Delhi Sunehri Bagh Masjid Case

Delhi News: एनडीएमसी ने दिल्ली हाईकोर्ट को आश्वासन दिया कि अंतिम निर्णय पर पहुंचने से पहले सुनहरी बाग मस्जिद के मुद्दे पर उसके इमाम सहित आम लोगों की आपत्तियों पर कानून के अनुसार विचार करेगा. कोर्ट ने उसके बाद कहा कि वह एनडीएमसी के आासन के बाद मस्जिद को हटाने के प्रस्ताव पर कोई निर्देश जारी करने का इच्छुक नहीं हैं. न्यायमूर्ति पुरुषेंद्र कुमार कौरव ने यह कहते हुए इमाम अब्दुल अजीज की याचिका का निपटारा कर दिया.

इमाम ने एनडीएमसी के 24 दिसंबर, 2023 के सार्वजनिक नोटिस को चुनौती दी गई थी. इस नोटिस में आम जनता से धार्मिक ढांचे को हटाने को लेकर आपत्तियां/सुझाव देने को कहा गया था। कोर्ट ने अतिरिक्त सालिसिटर जनरल के इस बयान को रिकार्ड पर लिया कि जनता की आपत्तियों पर कानून के अनुसार विचार किया जाएगा। साथ ही कहा कि संबंधित प्राधिकारी को सार्वजनिक नोटिस के तहत आमंत्रित आपत्तियों/सुझावों पर विचार करना होगा। इस तरह से वह इस स्तर पर कोई सकारात्मक निर्देश देने का इच्छुक नहीं है.

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दिल्ली में मस्जिद को हटाने का मुद्दा

अतिरिक्त सालिसिटर जनरल ने कहा कि मस्जिद को हटाने के मुद्दे पर विरासत समिति के फैसले का अब भी इंतजार किया जा रहा है. याचिकाकर्ता के वकील ने कहा था कि सार्वजनिक नोटिस कानून के अनुसार जारी किया गया था. अगर अधिकारियों को अंतिम निर्णय लेने से पहले उनके आपत्तियों पर फैसला लेने का निर्देश दिया जाता है तो वह याचिका वापस ले लेंगे.

कोर्ट ने याचिकाकर्ता से कहा कि इस स्तर पर अंतिम निर्णय नहीं लिया गया है. संबंधित अधिकारी मस्जिद को तोड़ने के खिलाफ उनकी याचिका से सहमत हो सकते हैं. उसने यह कहते हुए याचिका पर कार्यवाही बंद कर दी.

फरवरी में शहर की यातायात पुलिस ने कोर्ट को बताया था कि सुनहरी बाग मस्जिद को तोड़ने के प्रस्ताव के मुद्दे को विरासत संरक्षण समिति (एचसीसी) के पास भेज दिया गया है.

मस्जिद 150 साल से अधिक पुरानी: याचिकाकर्ता

पिछले साल याचिकाकर्ता ने कथित यातायात जाम के आधार पर धार्मिक ढांचे को तोड़ने के प्रस्ताव के खिलाफ हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था और इस संबंध में एनडीएमसी के नोटिस को चुनौती दी थी. उसने कहा था कि मस्जिद 150 साल से अधिक पुरानी है और यह एक विरासत इमारत है, जो सांस्कृतिक विरासत का प्रतीक है.

— भारत एक्सप्रेस

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