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PM Modi की काशी में गंगा सफाई का तौर तरीका सीख रही दूसरे देश की सरकार

काशी में गंगा सफाई के लिए किए गए कार्यों और गंगा में गिर रहे नालों को रोकने व गंदे पानी के शोधन की तकनीक सीखने के लिए दूसरे देश की सरकार ने अपनी टीम को काशी भेजा है.

Kashi Ganga Ghat

काशी गंगा घाट (फोटो- सोशल मीडिया)

पीएम मोदी की काशी किए गए विकास कार्यों की चर्चा सिर्फ देश ही नहीं बल्कि दूसरे देशों में भी हो रही है. तमाम जटिलताओं के बावजूद डेवलपमेंट प्रोजेक्ट्स को तय समय सीमा के अंदर कैसे पूरा कराया जाए, इसके लिए दूसरे देश की सरकार काशी के प्रोजेक्ट्स को पूरा कराने के तौर-तरीके को स्टडी मैटेरियल के तौर पर ले रही है. काशी में गंगा सफाई के लिए किए गए कार्यों और गंगा में गिर रहे नालों को रोकने व गंदे पानी के शोधन की तकनीक सीखने के लिए दूसरे देश की सरकार ने अपनी टीम को काशी भेजा है. वाराणसी में एसटीपी प्लांट के कामकाज का तरीका जानने के लिए अफ्रीकी देश इथोपिया की टीम यहां पहुंची.

इथोपिया सरकार की 12 सदस्यीय टीम पहुंची काशी

वाराणसी में 50 एमएलडी रमना सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट का इथोपिया सरकार की जल और ऊर्जा मंत्रालय की 12 सदस्यीय टीम ने भ्रमण किया. टीम मेंबर्स ने सीवेज के शोधन के तरीके को बारीकी से जाना और प्लांट के वर्किंग को समझा. डेलिगेट्स ने अधिकारियों के साथ बैठक कर पूरे प्रोजेक्ट की जानकारी ली. वाराणसी में तैनात जल निगम के प्रोजेक्ट मैनेजर आशीष सिंह ने बताया कि इथोपिया सरकार का दल वाराणसी में बने सभी ट्रीटमेंट प्लांट का विजिट कर रहा है. वाराणसी के रमना, भगवानपुर में बने ट्रीटमेंट प्लांट में सीवेज कैसे ट्रीट किए जा रहे हैं. कैसे सीवेज को गंगा में गिरने से रोका जा रहा है. गंदे जल का शोधन कर कैसे इस्तेमाल करने लायक पानी बनाते हैं और इसमें कौन सी तकनीक का इस्तेमाल किया जा रहा है, इन सभी बिंदुओं पर टीम विस्तार से जानकारी ले रही हैं.

नई तकनीक के प्रयोग से प्रभावित हुए विदेशी

अफ्रीकी देश इथोपिया सरकार के सदस्यों ने काशी में गंगा सफाई के लिए किया जा रहे कार्यों का भी तौर तरीका जाना. डेलिगेट्स में गंगा में गंदे नालों को गिरने से रोकने के लिए उनकी टैपिंग और उसे एसटीपी की तरफ डाइवर्ट करने की तकनीक के बारे में भी अधिकारियों से जानकारी ली. अफसरों ने बताया कि अस्सी नालों के 50 एमएलडी सीवर को नगवां पंपिंग स्टेशन से रमना सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट भेजा जा रहा है‌. वहीं बचे हुए 30 एमएलडी सीवर को उन्नत ऑक्सीकरण प्रक्रिया के द्वारा शोधित किया जा रहा है. अभी यह प्रक्रिया ट्रायल के रूप में शुरू हुई है. उन्नत ऑक्सीकरण प्रक्रिया के जल उपचार के क्षेत्र में कई फायदे हैं. इस नई तकनीक से अब खराब और गंदे पानी को भी पीने के लायक बनाया जा सकेगा. विदेशी मेहमान इस तकनीक की जानकरी से काफी प्रभावित दिखे.

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-भारत एक्सप्रेस

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