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Bihar: बिहार में बाहुबली नेता और पूर्व सांसद आनंद मोहन की रिहाई को लेकर सियासत शुरू हो गई है. उनकी रिहाई के बाद राजनेताओं ने अपनी प्रतिक्रिया देना शुरू कर दिया है. नीतीश सरकार के इस फैसले की काफी आलोचना भी की जा रही है. सरकार ने कारा अधिनियम में बदलाव करके उनकी रिहाई कराई है. पूर्व सांसद आनंद मोहन को 1994 में आईएएस अधिकारी जी कृष्णैया (G krishnaiah) की हत्या करने के आरोप में फांसी की सजा सुनाई गई थी. जिसके बाद 2008 में हाईकोर्ट ने उसे बदलकर उम्रकैद में बदल दिया था. बता दें कि आनंद मोहन की रिहाई के साथ 26 कैदियों को और रिहा किया गया है.
आनंद मोहन की रिहाई के बाद जी कृष्णैया की पत्नी और बेटी ने बिहार सरकार के इस फैसले को दुखद बताते हुए अलोचना की है. इसके अलावा आईएएस (IAS) एसोसिएशन ने भी सरकार के इस फैसले पर पूर्नविचार करने की मांग की थी. लेकिन सरकार ने उनकी नहीं सुनी. जिसके बाद IAS एसोसिएशन भी सरकार के इस कदम की आलोचना कर रहा है.
हालांकि नीतीश सरकार के इस फैसले का कुछ राजनीतिक दलों ने समर्थन किया है. इसके साथ बीजेपी भी आनंद मोहन पर चुप्पी साधे हुए है, लेकिन 27 और कैदियों की रिहाई पर पार्टी ने M-Y साधने का आरोप लगाया है.
बीजेपी सांसद सुशील कुमार मोदी ने कहा “आनंद मोहन के बहाने सरकार मानवीय होने का मुखौटा लगाकर जिन 26 अपराधियों को छोड़ने जा रही है वह दुर्दांत हैं और इनमें से 7 तो ऐसे हैं, जिन्हें अभी भी स्थानीय थाने में अपनी हाजिरी दर्ज करानी होगी. सरकार की तरफ से जिन बंदियों को रिहा किया जा रहा है, उनमें से ज्यादातर MY समीकरण में फिट बैठते हैं और उनके बाहुबल का इस्तेमाल सरकार में बैठे लोग आगे चुनाव में करना चाहते हैं.”
उनके अलावा बीजेपी के वरिष्ठ नेता गिरिराज सिंह ने कहा कि “आनंद मोहन बेचारे काफी समय तक जेल में रहे, आनंद मोहन तो बलि का बकरा बन गए थे और उनकी रिहाई हुई तो कोई बड़ी बात नहीं है”.
AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि नीतीश कुमार पूरे देश में विपक्षी एकता के नाम पर घुम रहे हैं और खुद को प्रधानमंत्री उम्मीदवार बता रहे हैं. आप 2024 में दलित समुदाय को बोलेंगे कि आपने एक दलित अफसर की हत्या करने वाले व्यक्ति को छोड़ दिया.
बिहार में क्षेत्रिया पार्टियां जन अधिकार पार्टी के चीफ पप्पू यादव ने इसका समर्थन किया है. इसके अलावा उन्होंने तो आइएएस की पत्नी से अपनी की है कि वह आनंद मोहन को माफ कर दें. इसके अलावा हिंदुस्तान आवाम मोर्चा के अध्यक्ष जीतन राम मांझी ने इसका समर्थन किया है. वहीं बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने कहा कि इसमें विवाद क्या है ? उन्होंने अपनी सज़ा काटी है और जो क़ानूनी तरीका है वह उस क़ानूनी तरीके से रिहा हुए हैं. सुशील मोदी ही उनको छोड़ने की मांग कर रहे थे.
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