

दिल्ली के इंदिरा गांधी अंतर्राष्ट्रीय (IGI) एयरपोर्ट पर मई से फुल-बॉडी स्कैनर के ट्रायल शुरू होंगे. दिल्ली इंटरनेशनल एयरपोर्ट लिमिटेड (DIAL) ने शुक्रवार को घोषणा की कि टर्मिनल 1 और टर्मिनल 3 पर दो-दो स्कैनर लगाए जाएंगे.
ट्रायल की अवधि और उद्देश्य
यह ट्रायल लगभग तीन से चार महीने तक चलेगा. इस दौरान स्कैनर की कार्यक्षमता और सुरक्षा के पहलुओं का मूल्यांकन किया जाएगा. DIAL के प्रवक्ता के अनुसार, “स्कैनर के आईटी इंटरफेस को अंतिम रूप दिया जा रहा है. ट्रायल के बाद BCAS द्वारा एक समिति गठन कर रिपोर्ट का मूल्यांकन किया जाएगा और मानक संचालन प्रक्रिया (SoP) तय की जाएगी.”
सुरक्षा और दक्षता में सुधार
ये स्कैनर मिलिमीटर-वेव तकनीक का उपयोग करते हैं, जो कि हानिकारक विकिरण नहीं उत्सर्जित करती है. यह तकनीक गर्भवती महिलाओं और चिकित्सा प्रत्यारोपण वाले व्यक्तियों के लिए सुरक्षित है.
पारंपरिक एक्स-रे मशीनों के मुकाबले, फुल-बॉडी स्कैनर यात्रियों की निजता की रक्षा करते हुए सुरक्षा जांच को तेज बनाते हैं. प्रत्येक स्कैन में केवल तीन सेकंड लगते हैं और ये प्रति घंटे 1,200 यात्रियों की जांच कर सकते हैं, जिससे प्रतीक्षा समय कम होगा.
धमकियों का पता लगाना
पारंपरिक मेटल डिटेक्टर की तुलना में, ये स्कैनर धातु और गैर-धातु दोनों प्रकार के खतरों का पता लगाने में सक्षम हैं, जैसे कि छुपाए गए विस्फोटक. यह तकनीक आधुनिक सुरक्षा चुनौतियों का सामना करने में महत्वपूर्ण सुधार लाती है.
परीक्षणों से मिली सीख
पिछले ट्रायल्स में कुछ खामियां पाई गई थीं, जैसे कि सिक्के, ब्लेड, 9 मिमी की गोलियां और पारंपरिक भारतीय परिधानों जैसे साड़ियों के नीचे छुपाए गए सामान का पता लगाना कठिन था.
यात्रा के अनुभव में बदलाव
DIAL के CEO, विद्ये कुमार जयपुरिया ने इस नई प्रणाली को ‘गेम चेंजर’ बताया. उन्होंने कहा, “हमारा लक्ष्य है कि हवाई यात्रा को और अधिक सुविधाजनक बनाना है. ये ट्रायल हमारी सुरक्षा प्रणाली की दक्षता का मूल्यांकन करने में मदद करेंगे.”
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