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Ghaziabad: वीडियो देखने पर मां ने डांटा और छीन लिया मोबाइल तो 10 साल की छात्रा ने कर लिया सुसाइड

मां ने बताया कि बच्ची काफी वक्त से मोबाइल पर वीडियो देख रही थी, जिस पर उसे डांटा था और इसी के बाद वह नाराज होकर कमरे में चली गई. नहीं मालूम था कि वह ये कदम उठा लेगी.

सांकेतिक फोटो

Ghaziabad: मोबाइल की लत इस कदर बच्चों पर सवार हो गई है कि वह जरा-जरा सी बात पर मौत को गले लगा रहे हैं. आए दिन ही इस तरह के मामले सुनने में आ रहे हैं. ताजा मामला गाजियाबाद के हुसैनपुर गांव से सामने आया है, जहां मोबाइल पर वीडियो देखने को लेकर मां ने डांटा तो 10 साल की एक बच्ची फंदे से झूल गई, जिससे उसकी मौत हो गई. इस पूरी घटना को लेकर मां का कहना है कि वह काफी देर से वीडियो देख रही थी. इसी को लेकर टोक दिया था और मोबाइल ले लिया था. इसी के बाद वह नाराज होकर कमरे में चली गई. ये नहीं मालूम था कि वह जान दे देगी. वहीं एसीपी नरेश कुमार ने बताया कि बच्ची के शव को पोस्टमॉर्टम के लिए भेज दिया है. इसी के बाद मौत की वजह सामने आ सकेगी. फिलहाल शुरुआती जांच में मामला आत्महत्या का लग रहा है.

मां ने रो-रो कर बताई सारी घटना

हुसैनपुर गांव में रहने वाले नफीस की पत्नी शबाना ने रो-रो कर बताया कि, गुरुवार को वह खाना बना रही थी और उनकी 10 साल की बेटी सानिया जो कि कक्षा 5 में पढ़ती है, काफी समय से मोबाइल में वीडियो देख रही थी. उन्होंने बताया कि, सानिया को कई बार मोबाइल रखकर 2 छोटे भाइयों को खाना खिलाने के लिए उन्होंने कहा था, लेकिन सानिया लगातार मोबाइल देखती रही और मां की बात नहीं सुनी. इस पर गुस्से में उसके पास पहुंची और डांटते हुए सानिया से मोबाइल फोन छीन लिया, जिससे नाराज होकर वह कमरे में चली गई और जब वह काफी देर तक कमरे से बाहर नहीं निकली तो शबाना और नफीस ने दरवाजा खटखटाया, लेकिन कोई आहट उनको सुनाई नहीं पड़ी. इसके बाद दोनों ने मिलकर दरवाजा तोड़ दिया. तो कमरे के अंदर का नजारा देखकर चौंक गए. कमरे में फंदे से झूलती हुई सानिया लटकी थी. शबाना ने बताया कि, इससे वह डर गए और तुरंत फंदे से उतारकर उसे डॉक्टर के पास ले गए, जहां मृत घोषित कर दिया गया.

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बच्चों को न दें मोबाइल फोन

मनोविज्ञानियों का कहना है कि बच्चों को मोबाइल फोन न दें. आज-कल माता-पिता अपने-अपने काम में व्यस्त हो जाते हैं और बचपन से ही बच्चों को मोबाइल फोन दे देते हैं. इससे उनको इसकी लत ठीक उसी तरह लग जाती है, जैसे ड्रग्स. मनोवैज्ञानियों का कहना है कि, मोबाइल की लत से बच्चे चिड़चिड़े हो रहे हैं. उनके मन का अगर नहीं होता तो वे आत्मघाती कदम उठा रहे हैं. ऐसे में सख्ती दिखाने की जगह किसी काउंसलर की मदद लें और मनोविज्ञानी की मदद से मोबाइल के लत को छुड़ाने की कोशिश करें. इसी के साथ बच्चों को पार्क आदि में अन्य बच्चों के साथ खेलने के लिए प्रेरित करें और एक वक्त तय कर दें कि इतने से इतने समय कर ही वे मोबाइल या फिर टीवी देख सकते हैं.

इन नम्बरों पर कर सकते हैं फोन

नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ मेंटल हेल्थ एंड न्यूरोसाइंस -080 – 26995000
सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय की हेल्पलाइन – 1800-599-0019 (13 भाषाओं में है)
हितगुज हेल्पलाइन, मुंबई- 022- 24131212
इंस्टीट्यूट ऑफ ह्यूमन बिहेवियर एंड एलाइड साइंसेज -9868396824, 9868396841, 011-22574820
इसी के साथ आप अपने नजदीक के चिकित्सक से भी इस सम्बंध में सलाह ले सकते हैं.

-भारत एक्सप्रेस

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