लोरेटो कॉन्वेंट के 1973 बैच की स्वर्ण जयंती वर्षगांठ
उत्तर प्रदेश की राजधानी में स्थित लोरेटो कॉन्वेंट स्कूल में 1973 बैच की पास आउट 40 छात्राएं अपनी स्वर्ण जंयती समारोह को मनाने के लिए पहुंचीं. साल 1973 में इन छात्राओं ने स्कूल से अपने करियर को नई उड़ान देने के लिए नए सफर की शुरुआत की थी.
हासिल की तमाम उपलब्धियां
जहां से इन्होंने अपने जीवन के सफर की शुरुआत की थी. वहीं पर आज एक बार फिर से ये छात्राएं इकट्ठा हुईं. एकदूसरे से मिलकर लगा कि वही पुराना समय फिर से वापस लौट आया है. आज ये सभी अलग-अलग क्षेत्रों में उपलब्धि हासिल करते हुए अच्छे मुकाम पर हैं. जिसमें शिक्षा, सिविल सेवा, सशस्त्र बल, चिकित्सा में ये सभी अपनी सेवाएं दे रही हैं. अपनी कड़ी मेहनत और बुलंद हौसलों से बैंकिंग, कॉर्पोरेट क्षेत्र, व्यवसाय, समाज सेवा, कला जैसे क्षेत्रों में भी ख्याति हासिल कर रही हैं.
50 साल बाद मिले तो खिल गए दोस्तों के चेहरे
50 साल बाद एक बार फिर से ये वहां पर पहुंचे हैं. जहां से इन्होंने अपने भविष्य के सपनों को साकार करने के सफर की शुरुआत की थी. स्कूल के हर नुक्कड़, कोने में घूमकर यादों को ताजा किया. इस दौरान आयोजित कार्यक्रम में लोरेटो गान को सामूहिक रूप से गाया गया. जिसके बाद दोपहर का लंच, रात का खाना और दोस्तों के साथ 50 सालों की दूरियों को खत्म करने की कोशिश में एकदूसरे की जमकर तस्वीरें खींची गईं. एक बार फिर वो बचपन के उसी दौर में पहुंच गए और मानों सब थम सा गया. वो बचपन और शरारत भरे दिन वापस लोरेटो के परिसर में लौट आए.
चेहरे पर दोस्तों के खोने की मायूसी थी
इन सब के बीच एक मायूसी भी थी इन सभी के चेहरों पर. क्योंकि उनके चार दोस्त दुनिया छोड़कर जा चुके थे. जो उनके बीच से किसी टूट हुए तारे की तरह गायब हो गए. स्कूल के चैपल में उन्हें याद कर भावुक श्रद्धांजलि दी गई. 1973 के आईएससी बैच के स्वर्ण जयंती समारोह का समापन यादों को समेटे हुए हो गया.
-भारत एक्सप्रेस
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