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ब्याज पर कर्ज देने वालों के खिलाफ सरकार लाएगी सख्त कानून, 10 साल तक की सजा और भारी जुर्माना

New Loan Rule: इस विधेयक में बिना नियमन वाले कर्ज देने वालों को 10 साल तक की सजा और जुर्माने का प्रावधान है. इसके अलावा, कर्ज वसूली के लिए गैर-कानूनी तरीके अपनाने वालों को 3 से 10 साल की सजा हो सकती है.

Loan Rule

Loan Rule

New Loan Rule: ब्याज पर पैसा देने वालों पर लगाम लगाने के लिए सरकार सख्त कानून लाने जा रही है. इसका मसौदा पेश किया जा चुका है. केंद्र सरकार ने बिना नियमन वाले कर्ज पर अंकुश लगाने और उल्लंघन करने वालों के लिए मौद्रिक दंड के अलावा 10 साल तक कि सजा का प्रावधान रखा गया है. सरकार ने बीयूएलए (गैर-विनियमित ऋण गतिविधियों पर प्रतिबंध) से संबंधित विधेयक पर 13 फरवरी 2025 तक अपना पक्ष रखने को कहा है.

सरकार का सख्त कदम

विधेयक में आरबीआई या अन्य नियामकों की तरफ से अधिकृत नही किए गए और किसी अन्य कानून के तहत पंजीकृत नही हुए सभी व्यक्तियों या संस्थाओं को सार्वजनिक उधारी कारोबार से प्रतिबंधित करने की तैयारी कर रही हैं. विधेयक के मसौदे में गैर-विनियमित ऋण गतिविधियों को ऐसा कर्ज के रूप में परिभाषित किया गया है जो विनियमित ऋण को नियंत्रित करने वाले किसी भी कानून के दायरे में नही आते है, चाहे वे डिजिटल रूप में किए गए हो या अन्य माध्यमों से. इस मसौदे में रिश्तेदारों से लिए गए कर्ज से छूट है.

नियमन वाले कर्ज पर सजा और जुर्माना

मसौदे में कहा गया है कि यदि कोई ऋणदाता कानून का उल्लंघन करते हुए पाया गया तो उसे कम से कम 2 साल की सजा होगी, जिसे सात साल तक बढ़ाया जा सकता है. साथ ही उस पर दो लाख रुपए से लेकर 1 करोड़ रुपए तक का जुर्माना भी लगाया जा सकता है. इस विधेयक में कर्जदारों को परेशान करने या कर्ज वसूली के लिए गैर कानूनी तरीकों का इस्तेमाल करने वाले कर्जदाताओं को तीन साल से लेकर 10 साल तक कि कैद और जुर्माने का प्रावधान है. केंद्र सरकार द्वारा लाए जा रहे इस विधेयक में अगर ऋणदाता, उधारकर्ता या संपत्ति कई राज्यों में है तो मामले को सीबीआई को सौंप दी जाएगी.

गैर कानूनी तरीकों के लिए कड़ी

बता दें कि डिजिटल उधारी पर गठित आरबीआई के कार्यसमूह ने नवंबर 2021 में पेश अपनी रिपोर्ट में गैर-विनियमित उधारी पर अंकुश लगाने और उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा करने की बात कही थी. कार्यसमूह ने बिना नियमन वाले कर्ज पर प्रतिबंध लगाने के लिए नया कानून लाने जैसे कई उपाय सुझाए थे. सुप्रीम कोर्ट के वकील अश्विनी दुबे सरकार के फैसले को सही ठहरते हुए कहा कि इस कानून के आ जाने से महादेव जैसे एप पर प्रतिबंध लग जाएगा. हालांकि उन्होंने जरूरत मंदों को आसानी से लोन मिल सके इसके लोन प्रक्रिया को आसान करने की बात कही है.

डिजिटल एप्स पर रोक

वही सुप्रीम कोर्ट के वकील अभिषेक राय भी सरकार द्वारा लाए जा रहे कानून का समर्थन किया है. उनका मानना है कि नया कानून के आ जाने से ब्याज पर लोन देने वालों पर लगाम लग पाएगा. उन्होंने यह भी कहा कि अगर यह मामला कई राज्यों या केंद्र शासित प्रदेशों से जुड़ा हुआ है तो मामले को सीबीआई को सौंपा जाएगा. केस का जल्द निपटारा हो सके इसके लिए अलग से कोर्ट का गठन किया जा सकता है.

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पिछले कुछ सालों में कई ऐसे मामले देखने को मिला है जिसमें ऐप के जरिए लोग धोखाधड़ी के शिकार हुए है. ऐसे भी मामले देखने को मिला है कि जबरन वसूली के चलते लोग सुसाईड भी कर लिए है. सरकार इस तरह की एप की पहचान कर लगातार हटा रही है अब तक हजारों एप को हटाया गया है.

-भारत एक्सप्रेस 



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