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Lucknow: हलाल सर्टिफिकेट मामले में मौलाना हबीब सहित हलाल काउंसिल ऑफ इंडिया के चार पदाधिकारियों की जमानत अर्जी खारिज

अधिवक्ता ने जमानत का विरोध करते हुए ये भी कहा कि, बिना किसी अधिकार के कूटरचित दस्तावेज के द्वारा फर्जी प्रमाण पत्र के माध्यम से इन कंपनियों द्वारा अनुचित लाभ लिया जा रहा है.

आरोपियों की फाइल फोटो

Halal Certificate Case: हलाल सर्टिफिकेट मामले में बड़ी खबर सामने आ रही है. खाद्य एवं अन्य उत्पादों को हलाल सर्टिफिकेट दिए जाने का मामले में हलाल काउंसिल ऑफ इंडिया के चार पदाधिकारियों की ज़मानत अर्जी खारिज़ कर दी गई है. सीबीआई स्पेशल कोर्ट ने आरोपी मौलाना हबीब यूसुफ पटेल, मो. ताहिर जाकिर, मो. अनवर, मो. अली ख़ान और मुदस्सिर मोहम्मद इकबाल सपाडिया की जमानत अर्जी खारिज कर दी है. चारो पर गैरकानूनी तरीके से 17 कंपनियों को हलाल सर्टिफिकेट देने का आरोप लगा है. हाल ही में एसटीएफ ने चारों आरोपियों को गिरफ्तार किया था.

बता दें कि, जिला शासकीय अधिवक्ता मनोज त्रिपाठी ने जमानत अर्जी का विरोध करते हुए अदालत को बताया कि सभी आरोपी संगठन के क्रमशः अध्यक्ष, महासचिव, कोषाध्यक्ष एवं उपाध्यक्ष हैं. उन्होंने अदालत को ये भी जानकारी दी कि, गत 17 नवंबर 2023 को हजरतगंज कोतवाली के प्रभारी शैलेंद्र कुमार शर्मा ने रिपोर्ट दर्ज कराई थी जिसमें उन्होंने कहा था कि, कुछ कंपनियां जैसे हलाल इंडिया प्राइवेट लिमिटेड चेन्नई, जमीयत उलेमा हिंद हलाल ट्रस्ट दिल्ली, हलाल काउंसिल आफ इंडिया मुंबई, जमीयत उलेमा महाराष्ट्र मुंबई आदि ने मजहब विशेष के ग्राहकों को मजहब के नाम से कुछ उत्पादों पर हलाल प्रमाण पत्र प्रदान कर उनकी बिक्री बढ़ाने के लिए आर्थिक लाभ लेकर छल करते हुए विभिन्न उत्पादकों के लिए हलाल प्रमाण पत्र निर्गत किया है.

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इसी के साथ ही अधिवक्ता ने जमानत का विरोध करते हुए ये भी कहा कि, बिना किसी अधिकार के कूटरचित दस्तावेज के द्वारा फर्जी प्रमाण पत्र के माध्यम से इन कंपनियों द्वारा अनुचित लाभ लिया जा रहा है तथा जन आस्था के साथ खिलवाड़ भी किया जा रहा है. उन्होंने बहस के दौरान अदालत को आगे बताया कि, सभी आरोपियों को मुम्बई से गिरफ्तार कर गत 13 फरवरी को अदालत के समक्ष पेश किया गया था. शासकीय अधिवक्ता ने बहस के दौरान ये भी बताया कि, आरोपी प्रति सर्टिफिकेट दस हजार रुपए फीस लेते थे तथा एक हजार रुपए प्रति प्रोडक्ट फीस अलग से ली जाती थी.

जिला शासकीय अधिवक्ता मनोज त्रिपाठी ने बहस के दौरान कोर्ट को ये भी बताया कि, आरोपियों ने वर्ष 2016 में हलाल नामक संस्था प्रारंभ की थी तब से कथित प्रमाण पत्र जारी कर अनैतिक रूप से आर्थिक लाभ प्राप्त किया जा रहा है. अधिवक्ता ने आगे बताया कि, उनके इस कृत्य का भार जनता को उठाना पड़ रहा है. इसी के साथ ही उन्होंने कहा कि, आरोपियों ने कंपनियों के उत्पादन के लिए फर्जी कूट रचित प्रमाण पत्र जारी कर जन आस्था के साथ खिलवाड़ किया है. दलील सुनने के बाद सीबीआई की विशेष न्यायाधीश मीना श्रीवास्तव ने खारिज कर दी.

-भारत एक्सप्रेस

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