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‘Marital Rape अपराध है या नहीं’ मामले में दाखिल याचिकाओं पर Supreme Court में सुनवाई जारी

मैरिटल रेप को अपराध घोषित करने की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट में कई याचिकाएं दाखिल की गई हैं. भारतीय कानून में मैरिटल रेप अपराध नहीं है. केंद्र सरकार भी इसी कानून के पक्ष में है.

Supreme Court

सुप्रीम कोर्ट.

मैरिटल रेप को लेकर सुप्रीम कोर्ट में दाखिल याचिकाओं पर सुनवाई जारी है. याचिकाकर्ता के वकील करुणा नंदी ने कहा कि पत्नी के साथ जबरन संबंध बनाने में पति को केवल इसलिए छूट मिल रही है क्योंकि पीड़ित पत्नी है. इसलिए हम इस मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट आए हैं.

वहीं इस मामले में अन्य याचिकाकर्ता की ओर से पेश वरिष्ठ वकील कोलिन गोंजाल्विस ने कहा कि पड़ोसी देश नेपाल में मैरिटल रेप को अपराध माना गया है. वहां यह किसी विवाहित संस्था को अपमानित नहीं करती है. बल्कि विवाह में दुर्व्यवहार और बलात्कार विवाह संस्था को अपमानित करता है.

चीफ जस्टिस ने क्या कहा

सुनवाई के दौरान सीजेआई ने कहा कि कानून कहता है कि चाहे वजाइनल सेक्स हो या एनल सेक्स, जब तक यह विवाह के भीतर किया जाता है, तब तक यह रेप नहीं है. जिसपर याचिकाकर्ता ने कहा कि धारा 63 ए यह भी कहती है कि यदि कोई पुरुष किसी अन्य पुरुष का लिंग किसी महिला की योनि, मुंह आदि में इंसर्ट कराता है तो वह भी रेप होगा. इसपर सीजेआई ने कहा कि लेकिन यह अपवाद के अंतर्गत नहीं आएगा.

जस्टिस जेबी पारदीवाला ने कहा कि यौन क्रिया शब्द को सही तरीके से परिभाषित नहीं किया गया है? मान लीजिए कि कोई पति-पत्नी को किसी अन्य पुरुष के साथ संबंध बनाने के लिए मजबूर करता है तो क्या वह अपवाद 2 के अंतर्गत आएगा? यह नही आएगा.

गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट को यह तय करना है कि मैरिटल रेप अपराध है या नहीं. भारतीय कानून में मैरिटल रेप कानूनी अपराध नहीं है. इसे अपराध घोषित करने की मांग को लेकर कई संगठनों की मांग लंबे अरसे से जारी है.

केन्द्र इसे अपराध मानने के खिलाफ 

अगस्त 2011 में केरल हाईकोर्ट ने अहम टिप्पणी करते हुए कहा था कि भारत में मैरिटल रेप के लिए सजा का प्रावधान नहीं है. लेकिन इसके बावजूद ये तलाक का आधार हो सकता है. हालांकि केरल हाई कोर्ट ने भी मैरिटल रेप को अपराध मानने से इंकार कर दिया था.

2017 में केंद्र सरकार ने भी कहा था कि मैरिटल रेप को अपराध करार नहीं दिया जा सकता है, और अगर ऐसा होता है तो इससे शादी जैसी पवित्र संस्था अस्थिर हो जाएगी. ये तर्क भी दिया गया कि ये पतियों को सताने के लिए आसान हथियार हो सकता है. सुप्रीम कोर्ट इस मामले में 22 अक्टूबर को अगली सुनवाई करेगा.

-भारत एक्सप्रेस

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