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तिहाड़ झील के पुनर्विकास के लिए हाई कोर्ट ने 6 सप्ताह में ठोस कदम उठाने के दिए निर्देश, अदालत में दायर हुई थी याचिका

अधिवक्ता सुनील ने पीठ का ध्यान तिहाड़ झील की बदहाली की ओर दिलवाते हुए कहा कि तिहाड़ झील का विकास डीडीए ने सरकारी खजाने से भारी मात्रा में पैसा खर्च करके किया था.

Delhi High Court RE

दिल्ली हाईकोर्ट.

दिल्ली हाई कोर्ट ने डीडीए के उपाध्यक्ष को तिहाड़ जेल से सटी तिहाड़ झील का पुनर्विकास करने और पीने योग्य पानी, सुरक्षा गार्ड और बागवानी जैसी बुनियादी सुविधाएं प्रदान करने के लिए छह सप्ताह में उचित कदम उठाने का निर्देश दिया है.लकार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनमोहन और न्यायमूर्ति मनमीत प्रीतम सिंह अरोड़ा की खंडपीठ ने यह निर्देश अधिवक्ता सुनील द्वारा दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया.

अधिवक्ता सुनील ने पीठ का ध्यान तिहाड़ झील की बदहाली की और दिलवाते हुए कहा कि तिहाड़ झील का विकास डीडीए ने सरकारी खजाने से भारी मात्रा में पैसा खर्च करके किया था. तब से डीडीए की निष्क्रियता के कारण झील रेगिस्तान में बदल गई है. इसके बाद झील के पुनरुद्धार के लिए कई घोषणाएं की गई हैं लेकिन कोई प्रभावी कदम नहीं उठाए गए हैं.

याचिकाकर्ता सुनील ने कहा कि वुडलैंड पार्क में पीने के पानी की कोई व्यवस्था नहीं है, पार्क में केवल एक शौचालय है जिसका नियमित रखरखाव नहीं किया जा रहा. उद्यान विभाग का कोई कर्मचारी न होने से पार्क में पेड़ सूख रहे हैं. इतना ही नहीं सुरक्षा कर्मचारी न होने के कारण पार्क का उपयोग नशेड़ी कर रहे हैं. वह आस-पास के क्षेत्रों के निवासियों के लिए ताजी हवा, अच्छे वातावरण और सार्वजनिक स्थानों की आवश्यकता पर जोर देते हैं कहा कि याचिकाकर्ता ने झील के जीर्णोद्धार के लिए डीडीए के उपाध्यक्ष को 8 अप्रैल को ज्ञापन भी दिया लेकिन अभी तक उनकी कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है.

याची ने अदालत से डीडीए व दिल्ली सरकार को समयबद्ध तरीके से तिहाड़ झील का पुनर्विकास करने और पीने योग्य पानी, सुरक्षा गार्ड और बागवानी जैसी बुनियादी सुविधाएं प्रदान करने का निर्देश देने की मांग की. इसके अलावा पुलिस को पार्क में असामाजिक तत्वों के खिलाफ कार्रवई करने का भी निर्देश देने का आग्रह किया.

-भारत एक्सप्रेस

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