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Holi-2024: दहकते अंगारे में नंगे पांव दौड़े बुजुर्ग और युवा, वीडियो देख कांप जाएगी रूह, जानें क्या है इस गांव की परम्परा

गांव वाले बताते हैं कि हमारे यहां महाकाली माता का मंदिर है. उसके सत के कारण दहकते अंगारों पर नंगे पांव चलने के बाद भी किसी को हल्की-सी भी चोट नहीं पहुंचती.

आग में दौड़ने के लिए तैयार खड़े लोग

Holi-2024: पूरे देश में होली का उत्सव धूमधाम से मनाया जा रहा है. आम जनता से लेकर नेता-मंत्री और अन्य वीवीआईपी भी होली के रंग में रंगे नजर आ रहे हैं. तो इसी बीच सोशल मीडिया पर एक वीडियो तेजी से वायरल हो रहा है, जिसमें कुछ लोग दहकते अंगारे पर दौड़ लगाते नजर आ रहे हैं. ये वीडियो गुजरात के खेड़ा, के पलाना गांव से सामने आया है. रविवार को होलिका दहन के दौरान यहां के ग्रामीणों ने पारंपरिक तरीके से जलते अंगारों पर चलकर ‘होलिका दहन’ का उत्सव मनाया. इस उत्सव का वीडियो इतना खतरनाक है कि लोगों की देखकर ही लोगों की रूह कांप जाए.

जानकारी सामने आ रही है कि इस परम्परा को प्रत्येक वर्ष होलिका दहन के दौरान निभाया जाता है. मान्यता है कि दहकते अंगारे में दौड़ने के बावजूद भी किसी को चोट नहीं आती है और न ही कोई जलता है. इस उत्सव में बड़े-बूढ़ों, युवाओं से लेकर बुजुर्ग भी हिस्सा लेते हैं. यहां के लोग बताते हैं कि पलाना गांव में जब होली जलती है, तब इसके अंगारे पर लोग नंगे पांव चलते हैं. इसमें बच्चे से लेकर बूढ़े भी शामिल होते हैं. मान्यता है कि दहकते अंगारे में दौड़ने से किसी को भी हल्की-सी भी चोट नहीं पहुंचती है. आज की पीढ़ी के लिए भले ही चमत्कार हो, पर गांव वालों के लिए यह एक परंपरा है, जिसे वे बरसों से निभाते आ रहे हैं. इस दृश्य को देखने के लिए देश-विदेश से बड़ी संख्या में लोग आते हैं और वीडियो बनाकर शेयर करते हैं.

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इस परम्परा को लेकर गांव वाले बताते हैं कि हमारे यहां महाकाली माता का मंदिर है. उसके सत के कारण दहकते अंगारों पर नंगे पांव चलने के बाद भी किसी को हल्की-सी भी चोट नहीं पहुंचती. गांव के लोग कहते हैं कि शाम सात बजे तक एक निश्चित स्थान पर 25 फीट ऊंचा लकड़ी का ढेर तैयार किया जाता है और उसके बाद पूजा-पाठ की जाती है. सबसे पहले महाकाली मंदिर के पुजारी दहकते अंगारों पर चलते हैं, उसके बाद ‘जय महाकाली’ के जयघोष के साथ अन्य लोग भी नंगे पांव ही इस दहकते अंगारे पर दौड़ते हैं. अंगारों पर चलने के लिए लोगों की लाइनें लगती हैं. इस परम्परा को निभाने में बूढ़ों और युवाओं के साथ ही बच्चे भी शामिल होते हैं. दावा है कि आज तक किसी को भी कोई शिकायत नहीं हुई. कहीं से भी किसी के जलने की भी सूचना सामने नहीं आई. तो वहीं गांव वाले ये भी कहते हैं कि अंगारों पर चलने वाले साल भर पूरी तरह से स्वस्थ रहते हैं. इस दिन गांव में मेला लगता है और बड़ी संख्या में लोग इसे देखने के लिए पहुंचते हैं.

-भारत एक्सप्रेस

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