
भारत में बिजनेस एविएशन यानी प्राइवेट जेट और छोटे विमानों से जुड़ा सेक्टर धीरे-धीरे बढ़ रहा है, लेकिन भारी टैक्स और नियमों के कारण इसे मुश्किलों का सामना टैक्सना पड़ रहा है. अब एक नई रिपोर्ट में ऐसा सिस्टम लाने का सुझाव दिया गया है जिससे इस सेक्टर को बढ़ावा मिले और सरकार को भी टैक्स का नुकसान न हो. “अनलॉकिंग ग्रोथ: प्रपोजिंग ऑल्टरनेटिव टैक्स रेवेन्यू सॉल्यूशन टू हेल्प ग्रो इंडियाज बिजनेस एविएशन सेक्टर” नामक रिपोर्ट में कहा गया है कि विमान खरीदने पर लगने वाले भारी आयात टैक्स (इम्पोर्ट ड्यूटी) को हटाटैक्स उड़ान के इस्तेमाल के हिसाब से टैक्स लिया जाए.
मौजूदा टैक्स सिस्टम में दिक्कतें
अभी जो टैक्स सिस्टम है, उसमें प्राइवेट जेट और नॉन-शेड्यूल्ड ऑपरेटर परमिट (NSOP) वाले विमानों पर बहुत ज्यादा आयात टैक्स लगता है. इससे कई दिक्कतें पैदा हो रही हैं. लोग भारी टैक्स से बचने के लिए मजबूरी में NSOP खोलते हैं, जिससे चार्टर फ्लाइट की कीमतें असली बाजार रेट पर नहीं, बल्कि खर्च निकालने के हिसाब से तय होती हैं. इसके अलावा, भारत में विमान मालिक और उन्हें चलाने वाली कंपनियों के बीच कोई साफ नियम नहीं है. एक-एक विमान के लिए अलग NSOP बनाना पड़ता है, जिससे संसाधनों की बर्बादी होती है.
नए आइडियाज पर असर
भारी टैक्स की वजह से कुछ नए और फायदेमंद मॉडल भारत में लागू नहीं हो पा रहे हैं. जैसे कि फ्रैक्शनल ओनरशिप—इसमें कई लोग मिलटैक्स एक विमान खरीद सकते हैं और बारी-बारी से इस्तेमाल टैक्स सकते हैं. यह मॉडल विदेशों में काफी सफल है, लेकिन भारत में टैक्स की वजह से शुरू नहीं हो पाया. इसके अलावा, देश में अरबपतियों की संख्या तो काफी है, लेकिन बिजनेस जेट बहुत कम हैं. अमेरिका में जहां 600 अरबपतियों के पास टैक्सीब 15,000 जेट हैं, वहीं भारत में 250 से ज्यादा अरबपतियों के लिए सिर्फ 200 बिजनेस जेट हैं. यही नहीं, छोटे विमानों की संख्या भी बहुत कम है, जो देश के छोटे शहरों को जोड़ने में अहम भूमिका निभा सकते हैं.
छोटे विमानों की भूमिका
छोटे विमान भारतीय क्षेत्रीय कनेक्टिविटी और आर्थिक विकास के लिए महत्वपूर्ण हैं. उदाहरण के तौर पर, रायगढ़ जैसे शहरों में हवाई सेवा शुरू होने से न सिर्फ पर्यटन को बढ़ावा मिला, बल्कि औद्योगिक विकास और आपातकालीन सेवाओं में भी सुधार हुआ है. हालांकि, भारत में बिजनेस एविएशन को अक्सर सिर्फ एक लग्जरी सेवा के रूप में देखा जाता है, जिस कारण छोटे विमानों की संख्या सीमित हो गई है. भारत में 550 छोटे विमान और हेलीकॉप्टर हैं, जबकि एयरलाइनर की संख्या 750 है. इसके मुकाबले, अमेरिका में सामान्य विमान, एयरलाइनर और बड़े विमान का अनुपात कहीं बेहतर है, जो एक आदर्श एविएशन पिरामिड को दर्शाता है.
ऑपरेशन-आधारित टैक्स
रिपोर्ट में सुझाव दिया गया है कि मौजूदा आयात टैक्स को पूरी तरह से हटा दिया जाए, जैसा कि 2007 में किया गया था और कई विकसित देशों में यह व्यवस्था अपनाई गई है. इसके बदले, एक नया टैक्स सिस्टम लागू किया जाए, जो विमान के संचालन पर आधारित हो. इस नए सिस्टम में केवल उन उड़ानों पर टैक्स लिया जाए जो निजी सुविधाओं या विलासिता के लिए की जाती हैं. वहीं, सार्वजनिक सेवाओं जैसे मेडिकल इमरजेंसी, धार्मिक यात्रा, पुलिस और अग्निशमन सेवाओं से जुड़ी उड़ानों को टैक्स से छूट दी जाए. इस तरह के बदलाव से न केवल सरकार को कोई राजस्व का नुकसान नहीं होगा, बल्कि उद्योग को भी कई फायदे मिलेंगे.
टैक्स दरों का प्रस्ताव
नई टैक्स नीति के तहत, विभिन्न प्रकार के हवाई अड्डों के हिसाब से टैक्स दरें अलग-अलग निर्धारित की जाएंगी. रिपोर्ट में यह प्रस्ताव किया गया है कि:
- असेवित हवाई अड्डों (जहां कोई नियमित उड़ान नहीं होती) पर उड़ानों को टैक्स से पूरी तरह छूट दी जाए.
- कम सेवा वाले हवाई अड्डों (जहां केवल सुबह और शाम एक-एक नियमित फ्लाइट होती है) पर मौजूदा जीएसटी से ज्यादा टैक्स दर लागू की जाए.
- अच्छी सेवा वाले हवाई अड्डों (जहां कई शेड्यूल उड़ानें होती हैं) पर उच्च टैक्स दरें निर्धारित की जाएं.
होंगे ये फायदे
इस नए टैक्स मॉडल को लागू टैक्सने से कई महत्वपूर्ण फायदे होंगे. सबसे पहले, नए स्वामित्व मॉडल जैसे फ्रैक्शनल ओनरशिप और अलग मालिक-ऑपरेटर सिस्टम को बढ़ावा मिलेगा, जिससे अधिक लोग बिजनेस विमानों का मालिक बन सकेंगे. इसके अलावा, विमान प्रबंधन कंपनियां भी बेहतर तरीके से काम टैक्स सकेंगी.
नियामक बोझ भी कम होगा, क्योंकि कम NSOP के कारण प्रशासनिक प्रक्रिया सरल हो जाएगी और विशेषज्ञ टैक्स्मचारियों की कमी भी दूर हो सकेगी. इससे विमान संचालन के मामले में दक्षता बढ़ेगी.
इससे सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि भारत में बिजनेस विमानों और हेलीकॉप्टरों की संख्या में तेजी से वृद्धि होगी, जिससे कनेक्टिविटी बेहतर होगी और आर्थिक विकास को गति मिलेगी. इस प्रस्ताव से भारत का बिजनेस एविएशन सेक्टर नए मुकाम पर पहुंच सकता है, जिससे देशभर में व्यापार और पर्यटन को भी बढ़ावा मिलेगा.
…
यह आलेख क्लब वन एयर के सीईओ (कर्नल) संजय जुल्का ने लिखा है. उन्हें 38 वर्षों का सैन्य और विमानन अनुभव है, साथ ही पायलट के रूप में दो प्रमुख चार्टर एयरलाइनों का नेतृत्व करने तक का अनुभव है. डिफेंस में MSc के साथ, वह भारत और विदेशों में सेमिनार, एयर शो और सम्मेलनों में भागीदारी के माध्यम से उद्योग की प्रगति को सक्रिय रूप से प्रभावित करते हैं.
ये भी पढ़ें- योगी सरकार का बड़ा फैसला, अदाणी पावर से सस्ते दर में बिजली खरीदेगा यूपी
-भारत एक्सप्रेस
इस तरह की अन्य खबरें पढ़ने के लिए भारत एक्सप्रेस न्यूज़ ऐप डाउनलोड करें.