जी-20 समिट की दुनिया में गूंज
देश की राजधानी में 9-10 सितंबर को आयोजित किए गए जी-20 शिखर सम्मेलन का सफलतापूर्वक समापन हो गया. दो दिवसीय इस आयोजन को बेहतर तरीके से संपन्न कराने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की विश्व स्तर पर सराहना हो रही है. प्रधानमंत्री की सूझबूझ और कुशल नेतृत्व क्षमता ने पूरी विश्व बिरादरी पर एक अमिट छाप छोड़ी है. भारत ने जी-20 के आयोजन के जरिए कई निशाने एकसाथ साधे और सफलता भी हासिल की. जिसे कूटनीतिक तौर पर बड़ी जीत की तरह देखा जा रहा है.
भारत-मध्य-पूर्व-यूरोप कनेक्टिविटी कॉरिडोर की लॉन्चिंग
भारत ने जी-20 में अफ्रीकन यूनियन को सदस्य देशों की सहमति से शामिल कराया. भारत-मध्य-पूर्व-यूरोप कनेक्टिविटी कॉरिडोर को लॉन्च किया. कॉरिडोर की स्थापना कर भारत ने चीन को करारा झटका दिया है. इसके अलावा रूस-यूक्रेन मुद्दे को संतुलित तरीके से पेश कर एक मिसाल कायम की है. इन मुद्दों पर अमेरिका ने खुले दिल से स्वागत किया है. भारत के इन कदमों की जमकर सराहना भी की.
सदस्य देशों की सहमति से हुई स्थापना
भारत ने जी-20 घोषणा पत्र को सभी सदस्य देशों की सहमति से मंजूर करा लिया. जिसकी अमेरिका, रूस, फ्रांस, सऊदी और अन्य देशों ने तारीफ की. जिसमें देशों के विकासात्मक और भू-राजनीतिक मुद्दों पर सभी सदस्यों की आम सहमति हासिल की. इसके अलावा भारत-मध्य-पूर्व-यूरोप कनेक्टिविटी कॉरिडोर की स्थापना के लिए भारत, यूएसए सऊदी अरब, फ्रांस, संयुक्त अरब अमीरात, जर्मनी, इटली और यूरोपीय संघ के नेताओं ने हस्ताक्षर किए. जिससे उम्मीद की जा रही है कि एशिया, अरब की खाड़ी और यूरोप के बीच कनेक्टिविटी बढ़ने से आर्थिक विकास को बढ़ावा मिलेगा.
भारत और अमेरिका ने इस आर्थिक कॉरिडोर की घोषणा की. जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कनेक्टिविटी पहल को बढ़ावा देते हुए सभी देशों की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता के सम्मान पर जोर दिया. अब इस आर्थिक कॉरिडोर को चीन की बेल्ट एंड रोड इनिशिएटी के विकल्प के तौर भी देखा जा रहा है. जिससे माना जा रहा है कि भारत का ये कदम आने वाले समय में जी-20 देशों की विकास की रफ्तार को गति देने के साथ आपसी रिश्ते को और भी मजबूती देगा.
अमेरिका का भारत को मिला साथ
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने कहा कि इस कॉरिडोर की घोषणा करते हुए उन्हें गर्व महसूस हो रहा है क्योंकि उन्होंने भारत-मध्य पूर्व-यूरोप आर्थिक गलियारे के लिए एक ऐतिहासिक समझौते को अंतिम रूप दे दिया है. उन्होंने आगे कहा कि ” इस गलियारे के मुख्य हिस्से के रूप में, हम जहाजों और रेलों में निवेश कर रहे हैं, जो भारत से यूरोप तक संयुक्त अरब अमीरात, सऊदी अरब, जॉर्डन और इजराइल से जुड़े हुए हैं. इसके जरिए व्यापार करना बेहद ही आसान हो जाएगा. बाइडेन ने कहा, मैं इसके प्रायोजकों और खासकर भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और सऊदी प्रिंस का आभारी हूं.”
ड्रैगन की परियोजना को कड़ी टक्कर देगा भारत-मध्य-पूर्व-यूरोप कनेक्टिविटी कॉरिडोर
- इफ्रास्ट्रक्चर डील से शिपिंग, समय और लागत काफी कम हो जाएगी, जिससे व्यापार सस्ता होने के साथ ही और तेज होगा.
- इस आर्थिक गलियारे को चीन की Belt and Road Initiative परियोजना के विकल्प के तौर देखा जा रहा है.
- भारत-मध्य-पूर्व-यूरोप कनेक्टिविटी कॉरिडोर में शामिल देशों को ऊर्जा, व्यापार और डिजिटल संचार को तेजी मिलेगी.
- इस योजना का लक्ष्य संयुक्त अरब अमीरात, सऊदी अरब, जॉर्डन और इजराइल से होते हुए भारत से यूरोप तक फैले रेलवे मार्गों और पोर्ट लिंकेज को एकीकृत करना शामिल है.
- रेल लिंक से भारत और यूरोप के बीच होने वाले व्यापार में लगभग 40 फीसदी की तेजी आएगी.
- यह आर्थिक गलियारा मध्य पूर्व में तनाव और स्थिरता को कम करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है. जिससे सभी क्षेत्रों में सुरक्षा में व्यापक स्तर पर सुधार होने की संभावना है.
जी-20 में शामिल हुआ अफ्रीकन यूनियन
जी-20 शिखर सम्मेलन के पहले दिन अफ्रीकन यूनियन को जी-20 में शामिल कर लिया गया. इस दौरान पीएम मोदी ने अफ्रीकन यूनियन को शामिल किए जाने का प्रस्ताव रखा. जिसे एक सुर में सभी सदस्य देशों ने सहमति दी. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने संबोधन में अफ्रीकी संघ को जी-20 में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया और तालियों की गड़गड़ाहट के बीच विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कोमोरोस संघ के राष्ट्रपति और अफ्रीकी संघ के अध्यक्ष अजाली औसमानी को सदस्य देशों की कुर्सी पर बैठाया. प्रधानमंत्री ने खुद गले लगाकर शामिल होने की बधाई दी.
जी-20 घोषणा पत्र को सर्वसम्मति से मिली मंजूरी
9 और 10 सितंबर को नई दिल्ली में आयोजित हुए जी-20 शिखर सम्मेलन के सफल आयोजन से भारत को एक बड़ी कामयाबी मिली. जहां जी-20 देशों ने 37 पन्ने के घोषणा पत्र को सर्वसम्मति से मंजूरी दी. भारत ने विकासात्मक और भू-राजनीतिक मुद्दों पर सभी सदस्यों की आम सहमति हासिल की. जिसमें यूक्रेन पर रूस के हमले का जिक्र करने से दूरी बनाई गई. इसके साथ ही सभी देशों से एकदूसरे की क्षेत्रीय अखंडता और संप्रभुता का सम्मान करने के सिद्धांत का पालन करने का भी आह्वान किया गया.
-भारत एक्सप्रेस
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