

भारतीय रेलवे को अक्सर भारत की विकास गाथा का “छुपा हुआ बाघ” कहा जाता है. यह दुनिया के सबसे बड़े और प्रभावशाली रेलवे नेटवर्क में से एक है. लेकिन इसकी सफलता की कहानी अभी भी पूरी तरह से सामने नहीं आई है. बीते एक दशक (2014-2024) में रेलवे का ऐसा रूप देखने को मिला जिसे इसका “स्वर्णिम युग” कहा जा सकता है. इस दौरान रेलवे ने तेज़ी से विस्तार किया और खुद को आधुनिक बनाने में बड़ी कामयाबी हासिल की.
‘भारत के लिए और भारत के साथ’ नीति
भारतीय रेलवे की इस सफलता का सबसे बड़ा कारण एक सटीक सार्वजनिक नीति रही है. यह नीति कहती है कि रेलवे को “भारत के लिए और भारत के साथ” विकसित किया जाना चाहिए. इसका मकसद रेलवे को आम जनता के लिए किफायती और सुविधाजनक बनाना है. साथ ही, यह देश के उद्योग, व्यापार और 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था के सपने को साकार करने में भी अहम भूमिका निभा रहा है.
हर दिन करीब 22.4 मिलियन लोग भारतीय रेलवे पर निर्भर रहते हैं. ऐसे में यह ज़रूरी है कि रेलवे उनकी ज़रूरतों और उम्मीदों के साथ आगे बढ़े.
बदलते भारतीय रेलवे की बड़ी उपलब्धियां
ऐतिहासिक रूप से, भारतीय रेलवे को धीमी गति से आधुनिकीकरण और पुरानी इंफ्रास्ट्रक्चर समस्याओं के लिए आलोचना झेलनी पड़ी. लेकिन पिछले दस सालों में रेलवे ने इन चुनौतियों को पार किया है.
- रेलवे नेटवर्क विस्तार: 1950 में रेलवे की कुल लंबाई 68,000 किमी थी, लेकिन ट्रैक किमी की संख्या आज 1,32,000 किमी हो गई है.
- नई पटरियों का विस्तार: 2014-2024 में 31,000 किमी नई पटरियां बिछाई गईं, जबकि 2004-2014 के दौरान यह केवल 14,900 किमी थी.
- माल परिवहन: पिछले दशक में रेलवे का माल ढुलाई आंकड़ा 8,473 मिलियन टन से बढ़कर 12,660 मिलियन टन हो गया.
- राजस्व में वृद्धि: रेलवे की कुल आय 8.64 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर 18.56 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गई.
- विद्युतीकरण: 2014 में जहां केवल 5,188 किमी रेलवे लाइन इलेक्ट्रिक थी, वहीं अब 44,000 किमी से अधिक विद्युतीकृत हो चुकी है.
- डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर: भारत में अब 2,741 किमी का मालवाहक कॉरिडोर तैयार हो चुका है, जबकि 2014 से पहले ऐसा कोई कॉरिडोर नहीं था.
- इंजन और कोच निर्माण: पिछले दशक में लोकोमोटिव उत्पादन 4,695 से बढ़कर 9,168 इकाइयों तक पहुंच गया, वहीं कोच निर्माण 32,000 से बढ़कर 54,000 इकाइयों हो गया.
बजट सुधार और वित्तीय मजबूती
रेलवे बजट को आम बजट में मिलाने का फैसला ऐतिहासिक रहा. पहले रेलवे को सीमित बजटीय समर्थन मिलता था, जिससे लंबित परियोजनाओं पर निवेश बहुत कम हो पाता था. लेकिन अब सरकार ने इस क्षेत्र में निवेश बढ़ाया है.
2014-2024 में रेलवे को 8.25 लाख करोड़ रुपये का बजट समर्थन मिला, जबकि इससे पहले के दशक में यह केवल 1.56 लाख करोड़ रुपये था.
बड़ी परियोजनाएं और भविष्य की योजनाएं
- कश्मीर रेलवे लिंक: जल्द ही श्रीनगर रेलवे से सीधे जुड़ने वाला है. इस प्रोजेक्ट में दुनिया के सबसे ऊंचे पुल और सबसे लंबी सुरंगें शामिल हैं.
- 100% विद्युतीकरण: भारतीय रेलवे दुनिया की पहली 100% इलेक्ट्रिक रेलवे बनने के रास्ते पर है, जिससे कार्बन उत्सर्जन कम होगा.
- कवच सुरक्षा प्रणाली: दुनिया में पहली बार कवच एंटी-कोलिजन सिस्टम का इतने बड़े स्तर पर इस्तेमाल किया गया है.
विश्वस्तरीय ट्रेनें और यात्रियों के लिए सुविधाएं - वंदे भारत ट्रेनें: भारतीय रेलवे अब हाई-स्पीड और आधुनिक ट्रेनों का केंद्र बन रहा है.
- हाइड्रोजन ट्रेनें: जल्द ही भारत दुनिया की सबसे ताकतवर हाइड्रोजन ट्रेन लॉन्च करेगा. इसकी ताकत 1200 हॉर्सपावर होगी, जो विकसित देशों की हाइड्रोजन ट्रेनों से दोगुनी है.
- हाइपरलूप टेस्ट ट्रैक: भारत अब दुनिया की सबसे लंबी हाइपरलूप टेस्टिंग फैसिलिटी बना रहा है.
‘मेक इन इंडिया’ से बदलता रेलवे
CRRC इंडिया ने बेंगलुरु मेट्रो के लिए 75% स्वदेशी सामग्री से कोच बनाए, जिसे बढ़ाकर 90% किया जाएगा.
- बुलेट ट्रेन: भारत जल्द ही घरेलू हाई-स्पीड ट्रेनों का निर्माण शुरू करेगा.
- रेलवे निर्यात: भारतीय रेलवे अब एशिया और अफ्रीका में ट्रेनों और इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स का निर्यात कर रहा है.
आज भारतीय रेलवे सिर्फ एक परिवहन प्रणाली नहीं, बल्कि भारत की आर्थिक रीढ़ बन चुका है. यह 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था का सपना साकार करने में मदद कर रहा है. ‘विकसित रेल, विकसित भारत’ केवल 2047 का लक्ष्य नहीं है, बल्कि यह हर दिन बन रही एक नई कहानी है.
-भारत एक्सप्रेस
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