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कड़कड़डूमा कोर्ट ने दिल्ली दंगों में हत्या के मामले में अपर्याप्त सबूत के आधार पर 12 लोगों को किया बरी

कड़कड़डूमा कोर्ट ने अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश पुलस्त्य प्रणांचल ने कहा कि पेश परिस्थितिजन्य साक्ष्य आरोपियों को भीड़ का हिस्सा होने के रूप में पहचान स्थापित करने के लिए पर्याप्त नहीं है.

Court Hammer Judgement Judiciary

(प्रतीकात्मक तस्वीर: Pixabay)

दिल्ली के कड़कड़डूमा कोर्ट ने दिल्ली दंगों के दौरान एक व्यक्ति की हत्या के मामले में 12 लोगों को बरी कर दिया है. पुलिस के अनुसार सभी आरोपी 26 फरवरी 2020 को गोकलपुरी इलाके में हाशिम अली की हत्या करने वाली दंगाई भीड़ का हिस्सा थे.

कड़कड़डूमा कोर्ट ने अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश पुलस्त्य प्रणांचल ने कहा कि पेश परिस्थितिजन्य साक्ष्य आरोपियों को भीड़ का हिस्सा होने के रूप में पहचान स्थापित करने के लिए पर्याप्त नहीं है. मुझे लगता है कि परिस्थितिजन्य साक्ष्य के नाम पर कुछ ऐसे साक्ष्य मौजूद हैं जो किसी भी आरोपी को भीड़ का सदस्य बताने के लिए अपर्याप्त है.

जस्टिस ने यह कहते हुए आरोपी लोकेश कुमार, सोलंकी, पंकज शर्मा, अंकित चौधरी, प्रिंस, जतिन शर्मा, हिमांशु ठाकुर, विवेक पांचाल, ऋषभ चौधरी, सुमित चौधरी, टिंकू अरोड़ा, संदीप और साहिल को बरी कर दिया.

पोस्ट हत्या साबित करने के लिए पर्याप्त सबूत नहीं

पुलिस परिस्थितिजन्य साक्ष्य पर भरोसा किया था, क्योंकि प्रत्यक्षदर्शियों ने आरोपी की पहचान नहीं किया था. जस्टिस ने अभियोजन पक्ष की इस दलील को भी खारिज कर दिया कि कुछ आरोपी व्यक्ति ने अपनी चैट में हत्या की बात कबूल की थी.

ऐसे पोस्ट या संदेश केवल ग्रुप के अन्य सदस्यों की नजर में हीरों बनने के इरादे से ग्रुप में डाले जा सकते है. उन्होंने कहा कि इन पोस्ट को हत्या को साबित करने के लिए ठोस सबूत के तौर पर इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है. आरोपियों के खिलाफ आईपीसी की कई धाराओं के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई थी, जिसमें दंगा, हत्या और आपराधिक साजिश शामिल है.


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-भारत एक्सप्रेस



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