
1984 सिख विरोधी दंगों से जुड़े मामले में आरोपियों को बरी किए जाने के खिलाफ दायर 6 अपीलों पर सुप्रीम कोर्ट आरोपियों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है. जस्टिस अभय एस ओका और जस्टिस उज्ज्वल भुइयां की बेंच 21 जुलाई को अगली सुनवाई करेगा. कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि रजिस्ट्रार पक्षकारों की ओर से पेश होने वाले वकील को ट्रायल कोर्ट के रिकॉर्ड की सॉफ्ट कॉपी उपलब्ध कराए.
कोर्ट ने आरोपियों के खिलाफ दिया था निर्देश
कोर्ट ने कहा कि पक्षकारों को साक्ष्य के नोट्स का संकलन रिकॉर्ड पर रखना होगा. इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार और दिल्ली सरकार से 6 मामलों में बरी किए गए आरोपियों के खिलाफ एसएलपी दायर करने का निर्देश दिया था. वहीं कोर्ट ने सिख हिंसा के दौरान हुई हत्या के 51 मामलों को फिर से जांच की मांग वाली याचिका पर केंद्र सरकार से जवाब मांगा था. 56 मामलों में से 5 मामले में चार्जशीट दाखिल हुआ है.
पिछली सुनवाई में कोर्ट ने पूछा ये सवाल
पिछली सुनवाई में कोर्ट ने पूछा था कि क्या बरी किए जाने के विरुद्ध कोई अपील दायर की गई थी? कोर्ट ने कहा था कि अभी तक ट्रायल खत्म हो जाना चाहिए था, कोर्ट एस गुरलाद सिंह काहलों की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई कर रहा है. याचिका में दंगा पीड़ितों के लिए जल्द न्याय सुनिश्चित करने की मांग की गई है. पिछली सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट कहा था कि रिकॉर्ड से यह भी साफ है कि 1984 के सिख विरोधी दंगों के कई मामलों में ट्रायल इस तरह से हुआ, जिसके चलते आरोपी दोषी ठहराये जाने के बजाए बरी कर दिए है.
आरोपियों को बरी किए जाने के खिलाफ दायर की थी अपील
एएसजी ऐश्वर्या भाटी ने कोर्ट को बताया था कि आरोपियों को बरी किए जाने के खिलाफ अपील दायर की थी, लेकिन देरी के आधार पर याचिका को खारिज कर दिया गया. एएसजी ने कहा कि 11 जनवरी 2018 को सुप्रीम कोर्ट ने 1984 के दंगों से संबंधित 186 मामलों की जांच के लिए दिल्ली हाई कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश एसएन ढींगड़ा की अध्यक्षता में एक एसआईटी का गठन किया था. एसआईटी ने मामलों की जांच के बाद जिन लोगों को बरी किया गया है, उनके खिलाफ अपील दाखिल करने की सिफारिश की है.
वकील एचएस फुल्का ने कोर्ट को सौंपा सारणीबद्ध चार्ट
पिछली सुनवाई में याचिकाकर्ता की ओर से पेश वरिष्ठ वकील एचएस फुल्का ने एक सारणीबद्ध चार्ट कोर्ट को सौपा था. इस चार्ट में दिल्ली पुलिस की ओर से निष्क्रियता को उजागर किया गया है. जस्टिस एसएन ढींगरा ने कहा था कि छह लोगों की हत्या की कभी जांच नहीं की गई और कम से कम दो मामलों में कार्रवाई नही की गई.
एसएचओ ने कथित तौर पर सिखों की लाइसेंसी बंदूकें छीनी
उन्होंने कहा था जिस एसएचओ ने कथित तौर पर सिखों की लाइसेंसी बंदूकें छीन ली और भीड़ को सिखों पर हमला करने का इशारा किया, उसे एसीपी के पद पर पदोन्नति कर दिया गया. पिछले साल 20 दिसंबर को सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को 1984 के सिख विरोधी दंगों के मामलों में मुकदमों की स्थिति पर रिपोर्ट दाखिल करने को कहा था.
-भारत एक्सप्रेस
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