कल्याण सिंह सरकार के राज्य मंत्री रहे बालेश्वर त्यागी.
CM Kalyan Singh order no firing on karsevak: 500 सालों के संघर्ष के बाद अयोध्या में भगवान श्रीराम 22 जनवरी को अपने महल में लौट जाएंगे. इसके लिए बड़ी संख्या में लोगों ने कुर्बानियां दी. 6 दिसंबर 1992 को जब बाबरी का विवादित ढांचा ढहाया गया उस समय यूपी में कल्याण सिंह के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार थी.
उनकी सरकार में गृह राज्य मंत्री थे बालेश्वर त्यागी. बालेश्वर त्यागी ने कहा कि वह खुशकिस्मत है वह राम मंदिर के लिए किए गए संघर्ष और राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा को अपनी आंखों से देख रहे हैं. हालांकि उम्र अधिक होने के कारण राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में हिस्सा नहीं ले पाएंगे. एक समाचार पत्र को दिए इंटरव्यू में उन्होंने 6 दिसंबर 1992 से जुड़ी यादें शेयर की है.
ढांचा गिराने से एक दिन पहले हुई थी मीटिंग
बालेश्वर ने बताया कि 5 दिसंबर को अयोध्या में कारसेवा के बड़ी संख्या में रामभक्त जुटे थे. उस दिन भाजपा के वरिष्ठ नेताओं ने राजधानी लखनऊ में बैठक की. बैठक में अटल बिहारी वाजयपेयी, लालकृष्ण आडवाणी, उमा भारती, लालजी टंडन समेत अनेक नेता मौजूद थे. मीटिंग के बाद अटल जी दिल्ली चले गए और आडवाणी जी अयोध्या रवाना हो गए. 6 दिसंबर की सुबह तड़के मैं भी कालिदास मार्ग पहुंच गया. वहां सूर्यप्रताप शाही पहले से मौजूद थे. मैं भी कुछ अधिकारियों के साथ लाॅन में धूप लेने पहुंच गया. इतने में सीएम कल्याण सिंह अपने घर से बाहर आते हैं और यह कहते हुए कार में बैठ गए कि वे थोड़ी देर में आ रहे हैं.
Kalyan Singh,UP CM in 1992 was a rare politician who put principles before power.I will not allow bullets to be shot at kaar sevaks. No regrets,no repentance,no sorrow,no grief:he famously said when the Babri structure was demolished.Resigned rather than compromise on his beliefs pic.twitter.com/4hcKZoyjNL
— Australian Hindu Media (@austhindu) January 15, 2024
सीएम ने सुबह देख लिया था नया घर
इसके बाद मैंने वहा मौजूद अधिकारियों से पूछा सीएम साहब कहां गए हैं तो उन्होंने बताया कि वे अपने लिए नया आवास देखने गए हैं उन्हें 2 माल ऐवेन्यू में नया घर अलाॅट हुआ है. तब मैंने कहा सीएम को नए आवास की क्या जरूरत. क्या कालिदास मार्ग वाला आवास छोड़ना पड़ेगा. थोड़ी देर में वे वापस लौट आए. इसके बाद कल्याण सिंह हमें घर में प्रथम मंजिल पर ले गए. इस दौरान कई अन्य नेता भी वहां आ गए. इस बीच वरिष्ठ नेता राजेंद्र गुप्ता ने बताया कि खबर है कि कुछ कारसेवक अयोध्या में गुंबद पर चढ़ गए हैं.
डीजीपी जाना चाहते थे अयोध्या
इसके बाद सीएम ने अयोध्या कंट्रोल रूम में तैनात अधिकारी से बात की उन्होंने भी नकार दिया. इसके बाद कई और जगह से भी तोड़फोड़ के समाचार आने लगे. इसके बाद अटलजी, आडवाणीजी और केंद्रीय गृहमंत्री का भी फोन आया. सभी से बात करने के लिए गृहमंत्री अंदर जाते और फिर लौटकर बाहर आ जाते. इसके बाद दिन में डीजीपी आए और अयोध्या जाने के लिए हवाई जहाज मांगा। सीएम ने कहा कि आप वहां जाने की बजाय यहीं से अफसरों को निर्देश दें. इस बीच होम सेक्रेटरी भी वहां आ गए.
सीएम कल्याण सिंह ने लिखित में दिया आदेश
सभी ने कारसेवकों पर क्या कार्रवाई होनी चाहिए इसको लेकर चर्चा होने लगी. तभी सीएम ने सभी को टोकते हुए कहा कि किसी भी सूरत में कारसेवकों पर गोली नहीं चलेगी. उन्होंने अधिकारियों से कहा कि आप परेशान मत होइए आगे भी नौकरी करनी है ऐसे में मेरा यह आदेश लिखित में ले लो. इसके बाद शाम करीब साढ़े पांच बजे कल्याण सिंह के नेतृत्व में कई मंत्री राजभवन गए और बिना कारण लिखे त्यागपत्र सौंप दिया.
उनके इस कदम की विपक्षी नेताओं ने भी तारीफ की। क्योंकि 1990 में मुलायम सिंह ने कारसेवकों पर गोलियां चलवाईं थी। कम से कम यह काम कल्याण सिंह ने नहीं किया. बता दें कि इसकेे बाद एमपी और राजस्थान में भी अनुच्छेद 356 का उपयोग कर केंद्र ने राष्ट्रपति शासन लगा दिया था.
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