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कर्नाटक चुनाव ने बदला कांग्रेस के प्रति नजरिया

Karnataka Elections: हिमाचल (Himanchal) के बाद कर्नाटक (Karnataka) की जीत ने कांग्रेस की स्थिति को पहले की अपेक्षा अधिक जीवंत कर दिया है.

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मल्लिकार्जुन खड़गे, राहुल गांधी, प्रियंका गांधी

Lok Sabha Elections 2024: कर्नाटक विधानसभा चुनाव (Karnataka Assembly Elections) में बीजेपी (BJP) को बड़ी हार का सामना करना पड़ा है तो वहीं कांग्रेस सरकार बनाने में कामयाब हुई है. भाजपा के सभी दिग्गजों ने पूरे जोरशोर से चुनाव प्रचार किया लेकिन पार्टी को जीत नहीं दिला सकते. हालांकि कांग्रेस (Congress) की इस जीत के बाद कई बीजेपी की विरोधी पार्टियों के सुर बदले हुए से नजर आ रहे हैं. तमाम पार्टियां अब लोकसभा चुनाव में कांग्रेस का साथ देने का संकेत देने लगी हैं.

दरअसल, समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव उत्तर प्रदेश में लोकसभा चुनाव से पहले नए गठबंधन की अटकलों पर विराम लगाते नजर आ रहे थे. इतना ही नहीं उन्होंने बीते महीनों में कांग्रेस के पुराने गढ़ रहे अमेठी (Amethi) और रायबरेली (Raebareli) में भी उम्मीदवार उतारने के संकेत तक दे दिए थे. लेकिन कर्नाटक में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद से अब उनके सुर बदले हुए नजर आने लगे हैं.

उनका रुख अब कांग्रेस को लेकर नरम होते नजर आ रहा है. इसका अंदाजा अखिलेश यादव के हालिया बयान से लगाया जा सकता है. ये बयान उन्होंने कर्नाटक चुनाव का परिणाम आने के बाद दिया है. अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) के इस बयान के आधार पर अब उत्तर प्रदेश में फिर से महागठबंधन बनने की अटकलें तेज हो गई हैं. सपा प्रमुख 2024 लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के साथ जाने को राजी होते नजर आ रहे हैं. उन्होंने कांग्रेस को समर्थन देने के संकेत भी दिए हैं. इसके अखिलेश यादव के रुख में बड़ा बदलाव माना जा रहा है.

हालांकि इससे पहले उन्होंने कहा था, “लोकसभा चुनाव के लिए समाजवादी पार्टी उत्तर प्रदेश में अब किसी भी दल के साथ गठबंधन नहीं करेगी. पार्टी अपने वर्तमान सहयोगियों के साथ अच्छा तालमेल कर चुनाव लड़ेगी.” सपा प्रमुख के इस बयान से राज्य में किसी नए गठबंधन की अटकलों पर विराम लग गया था. हालांकि अब फिर से उन्होंने अपने बयान से विपक्षी एकता को मजबूत करने वाले संकेत दिए हैं.

2024 के लोकसभा चुनाव में देश एवं उत्तर प्रदेश में कौन से क्षेत्रीय दल कांग्रेस के साथ चुनाव लड़ते हैं यह भविष्य की बात है लेकिन हिमाचल (Himanchal) के बाद कर्नाटक (Karnataka) की जीत ने कांग्रेस की स्थिति को पहले के अपेक्षा अधिक जीवंत कर दिया है. कांग्रेस अपने पार्टी के भीतर की गुटबाजी से कैसे निपटती है और हिन्दी भाषी क्षेत्रों में कांग्रेस के प्रति बढ़ते हुए रुझान को वोट में कन्वर्ट करने की रणनीति के साथ – साथ संगठन को धरातल पर खड़ा करना बड़े चुनौती की बात होगी.

-भारत एक्सप्रेस



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