धीरेन्द्र राय
आजादी के बाद पुलिस पर आमजन का इक़बाल इस कदर बुलंद हुआ करता था कि अगर कोई होमगार्ड (Home guard) भी कहीं से गुजर जाता था तो उस ओर कौतूहल का विषय बन जाता था. वह कहते हैं ना कि पूत के पाँव पालने में दिख जाते हैं यानी बचपन में ही देखकर उसके भविष्य का आकलन कर लिया जाता है, एक ऐसा ही परिवार वर्तमान समय में मऊ जनपद के कसारा ग्रामसभा (Kasara Village in Mau District) में निवास करता है. इस परिवार का अतीत एवं वर्तमान बेहद ही गौरवशाली एवं राष्ट्र के प्रति समर्पित रहा है.
भारत के आजादी से पहले आजाद हिन्द फ़ौज (Azad Hind Fauj) ने स्वतन्त्रता के लिए बहुत संघर्ष किया, इसी आजाद हिन्द फ़ौज में उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल के मऊ जनपद के बाबू बागेश्वरी राय शर्मा (Babu Bageshwari Rai Sharma) लेफ्टिनेंट कर्नल रहे जो आजादी के बाद जिला समन्वयक (District Coordinator) बने.
उसी परिवार में बागेश्वरी राय शर्मा के भाई के रूप में हरदत्त राय (Hardutt Rai) का जन्म हुआ जो आगे चलकर पुलिस विभाग में सब इंस्पेक्टर के पद पर नियुक्त हुए, लेकिन सेवा के दौरान ही अल्पायु में उनका निधन हो गया. पिता के असमय निधन के बाद परिवार को संभालने की जिम्मेदारी उनके तीन पुत्रों में सबसे बड़े पुत्र धीरेन्द्र राय (Dhirendra Rai) के कंधों पर आ गई जिसका उन्होंने बखूबी निर्वहन भी किया.
धीरेन्द्र राय ने सन् 1976 में सब इंस्पेक्टर (Sub Inspector) के रूप में उत्तर प्रदेश पुलिस सेवा (Uttar Pradesh Police) को ज्वाइन किया, उसके बाद वह अपने मजबूत इरादों, ईमानदारी और कर्तव्यनिष्ठा के बदौलत पुलिसिंग की एक ऐसी कहानी लिख गये जिसे आजकल के भारतीय पुलिस सेवा (Indian Police Service) में चयनित युवाओं को पढ़ना चाहिए और उनसे बहुत कुछ सीखते हुए राष्ट्रहित में कार्य करने के लिए समर्पित भाव से तत्पर हो जाना चाहिए.
धीरेन्द्र राय तीन भाईयों में सबसे बड़े हैं, बीच वाले भाई योगेन्द्र राय (Yogendra Rai) भी उत्तर प्रदेश पुलिस में निरीक्षक पद से सेवानिवृत हुए हैं तथा सबसे छोटे भाई बिरला ग्रुप के रानीखेत विद्यालय में खेल के अध्यापक थे लेकिन कैंसर जैसी असाध्य बीमारी के चलते उनका असमय निधन हो गया.
धीरेन्द्र राय के बड़े पुत्र संदीप राय (Sandeep Rai) वैद्य हैं तो वहीं दूसरे पुत्र त्रिदीप राय (Trideep Rai) भारतीय बास्केटबॉल टीम (Indian Basketball Team) के कप्तान रह चुके हैं और वर्तमान समय में ओएनजीसी (ONGC) में चीफ एचआर मैनेजर हैं वहीं उनकी पत्नी प्रशांति सिंह (Prashanti Singh) भी भारतीय महिला बास्केटबॉल टीम की कप्तान रह चुकी हैं और अर्जुन पुरस्कार (Arjun Award) के साथ – साथ पदम् श्री (Padma Shri) पुरस्कार से सम्मानित हो चुकी हैं एवं वर्तमान समय में नेशनल एन्टी डोपिंग एजेंसी के अपीलिंग पैनल में जज हैं.
नीति और सिद्धांतों से खुद को बांधे रखने वाले धीरेन्द्र राय सीओ (CO) रहते हुए लखनऊ (Lucknow) की गलियों में साईकिल से गश्त लगाते हुए भी दिख जाते थे, सुलभता और सज्जनता से आमजन से उनका जुड़ाव बहुत कम समय में ही हो जाया करता था. 1976 से सब इंस्पेक्टर के रूप में नौकरी की शुरुआत से 2015 में डिप्टी एसपी (Deputy Superintendent of Police) पद पर रिटायर्ड होने तक धीरेन्द्र ने एक से बढ़कर एक कार्य किए.
अशोक साहू (Ashok Shahu) हत्याकांड में धीरेन्द्र राय ने 1996 में अतीक (Atique) को उसके पिता समेत गिरफ्तार किया था तो वहीं उन्होंने सीबीआई में रहते हुए 2005 में ताज कॉरिडोर मामले की जांच की थी जिसमें मायावती (Mayawati) के खिलाफ आय से अधिक सम्पत्ति का मुकदमा दर्ज हुआ था.
सीबीआई (CBI) से उत्तर प्रदेश पुलिस में वापस आने के बाद दस्यु ठोकिया के साथ मुठभेड़ में धीरेन्द्र राय को छोड़ उनके सभी साथी शहीद हो गये, तत्कालीन सरकार ने उन्हें सस्पेंड कर दिया जिसके खिलाफ वह कोर्ट गये जहां इस सस्पेंशन को मायावती के खिलाफ की गई जांच से जोड़कर देखा गया.
सेवानिवृत्त होने के बाद उन्होंने गुजरात समेत कई राज्यों में जाकर जैविक खेती का गुर सीखा, उसके बाद से ही उन्होंने अपने गॉव में रहकर जैविक कृषि (Organic Farming) और प्रभु की भक्ति में खुद को समर्पित कर दिया है.