सुप्रीम कोर्ट.
West Bengal Lawyer Target: पश्चिम बंगाल के एक वकील ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर कहा कि उन्हें कोलकाता पुलिस और राज्य प्रशासन द्वारा निशाना बनाया जा रहा है. वकील ने कहा कि सरकारी वकील टीएमसी कैडर का व्यक्ति है और मेरी केस डायरी में हेरफेर किया गया है. सीआईडी अधिकारियों ने सभी सबूतों और गवाहों के साथ छेड़छाड़ की. वकील ने कहा- “मैंने पहले संदेश खाली और अब आरजी कर अस्पताल केस के लिए संपर्क किया था. मेरी याचिका हाई कोर्ट को भेज दी गई.”
घटना के संबध में वकील ने आगे बताया कि जस्टिस बीआर गवई ने कहा कि आप हाई कोर्ट पर भरोसा क्यों नहीं कर सकते? वे इसकी देखभाल करेंगे. वकील ने कहा कि न्यायपालिका में विश्वास रखने के लिए सभी मुझे परेशान कर रहे हैं और मुझ पर हंस रहे हैं. यह मेरी गलती थी कि मैंने टीएमसी शासित राज्य में मामला दायर किया. कोर्ट ने याचिक को खारिज करते हुए याचिकाकर्ता को हाई कोर्ट जाने की सलाह दी है.
अधिवक्ता विनीत जिंदल ने राष्ट्रपति को लिखा था पत्र
बता दें कि पिछले दिनों पश्चिम बंगाल में कोलकाता के आरजी कर मेडिकल हॉस्पिटल में एक महिला ट्रेनी डॉक्टर की बलात्कार के बाद बिगड़े हालात को देखते हुए राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग की गई थी. अधिवक्ता विनीत जिंदल ने राष्ट्रपति को चिट्ठी लिखकर कहा था कि पश्चिम बंगाल में हिंसक घटनाएं स्पष्ट रूप से बताती हैं कि वहां की TMC सरकार राज्य में कानून और व्यवस्था बनाए रखने में विफल रही है जो संवैधानिक तंत्र की स्पष्ट विफलता है.
राष्ट्रपति शासन लागू करने की मांग
राष्ट्रपति को संविधान के अनुच्छेद 356 के तहत उनको मिली शक्तियों का प्रयोग करते हुए पश्चिम बंगाल में राष्ट्रपति शासन लागू करने की मांग की गई. विनीत जिंदल ने राष्ट्रपति को लिखी अपनी याचिका में कहा है कि बंगाल में हिंसा और हत्याएं एक नियमित घटना बन गई. हमने पंचायत चुनाव हिंसा, लोक सभा चुनाव हिंसा और संदेशखली मानवाधिकार उल्लंघन जैसी घटनाएं देखी है जो ये स्पष्ट करती है कि बंगाल में आम नागरिकों की जान बचाने और संविधान के अनुच्छेद 21 में दिए गए मौलिक अधिकार को बचाने में पश्चिम बंगाल सरकार पूरी तरह से विफल रही है.
-भारत एक्सप्रेस