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आसमानी बिजली गिरने से भारत में हर साल जा रहीं 2 हजार से ज्यादा लोगों की जान, आखिर कैसे हुई ‘खतरनाक’ वृद्धि

Lightning Strikes | Akashiya Bijli: भारतीय उपमहाद्वीप में इन दिनों खूब मानसूनी बारिश हो रही है. हालांकि, बारिश के दिनों आकाशीय बिजली गिरने से जान-माल का बड़ा नुकसान भी उठाना पड़ रहा है. बिजली गिरने से देश में हर साल हजारों लोगों की मौत हो जाती है. साथ ही पेड़-पौधे, घर-मकान भी नष्ट हो जाते हैं.

ओडिशा की फकीर मोहन यूनिवर्सिटी से जुड़े शोधकर्ताओं ने आसमानी बिजली गिरने की घटनाओं पर अध्ययन किया है, जिसमें यह सामने आया कि भारत में बिजली गिरने की घटनाएं लगातार और अप्रत्याशित होती जा रही हैं.

शोधकर्ताओं की रिपोर्ट में कहा गया, “अध्ययन के नतीजों से देश में बिजली गिरने की गतिविधियों में लगातार वृद्धि का संकेत मिलता है, जो इसे जलवायु परिवर्तन से उत्पन्न प्राकृतिक आपदाओं में एक प्रमुख जानलेवा आपदा बनाता है.” दुनिया में ग्लोबल वॉर्मिंग बढ़ रही है, इसका असर बारिश के तंत्र पर पड़ रहा है.

जलवायु परिवर्तन के कारण बढ़ रहीं ये घटनाएं

शोधकर्ताओं से मिले आंकड़े के मुताबिक, 1967 से 2020 तक भारत में आसमानी बिजली गिरने से 1,01,309 से अधिक लोग मारे गए, जबकि 2010 से 2020 तक ऐसी घटनाएं तेजी से बढ़ीं. उन्होंने अपनी रिपोर्ट में बताया कि जलवायु परिवर्तन के कारण होने वाली मौतों में बिजली गिरने जैसी घटनाएं प्रमुख भूमिका निभा रही हैं.

बताए गए आंकड़ों से ज्यादा मौतें देहात में होती हैं

आपको बता दें कि शोधकर्ताओं की यह रिपोर्ट बिजली गिरने की घटनाओं पर नहीं बल्कि मौतों के आंकड़ों पर केंद्रित है. हालांकि, यह कहा जा सकता है कि भारत में बिजली गिरने की घटनाएं लगातार और अप्रत्याशित होती जा रही हैं. शोधकर्ताओं का यह भी कहना है कि आसमानी बिजली गिरने से सालाना आधार पर ऐसी मौतों की संख्या बताए गए आंकड़ों से कहीं अधिक हो सकती है, क्योंकि बहुत से लोग गांवों में रहते हैं, जहां ऐसी घटनाओं की सूचना अक्सर पुलिस को नहीं दी जाती है.

भारत में जून से सितंबर तक मानसूनी बारिश के दौरान बिजली गिरने की घटनाएं ज्यादा होती हैं.

राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) की दिसंबर 2023 में जारी रिपोर्ट के अनुसार, 2022 में भारत में प्राकृतिक कारणों से होने वाली आकस्मिक मौतों में 35.8% घटनाएं आकाशीय बिजली की वजह से हुईं.

बादलों में पानी के छोटे-छोटे कण मौजूद होते हैं. जब हवा और इन कणों के बीच फ्रेक्शन होता है तो ये इलेक्ट्रिकल चार्ज हो जाते हैं. बादलों के टकराने पर बिजली पैदा होती है.

शोधकर्ताओं के आंकड़ों से पता चला है कि वर्ष 1967 से 2002 की अवधि में प्रति भारतीय राज्य औसत वार्षिक मृत्यु दर 38 से बढ़कर 2003 से 2020 के बीच 61 हो गई है – यह वह अवधि है जब भारत की जनसंख्या भी बढ़ते-बढ़ते 1.4 अरब हो गई.

सामान्यत: आसमान में बिजली बादलों में ही टकराती रहती है लेकिन कई बार यह इतनी ज्यादा होती है कि बहुत तेजी से धरती पर गिरती है.

आखिर क्यों गिरती है आकाशीय बिजली?

बिजली गिरने की घटनाओं को आसान भाषा में समझें तो यह आसमान में बादल टकराना होता है. बारिश की संभावना या बारिश के बीच जब आसमान में बादल आपस में टकराते हैं, वहां घर्षण होने पर इलेक्ट्रिकल चार्ज पैदा होता है और इलेक्ट्रिकल फील्ड तैयार होती है. यहां बिजली बनने के बाद कंडक्टर की तलाश करते हुए यह जमीन पर आ गिरती है और जमीन पर मौजूद चीजें उसकी चपेट में आने पर नष्ट हो जाती हैं. इन घटनाओं से इंसानी बसावट भी खतरे में पड़ जाती है.

सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, आकाशीय बिजली गिरने से देश में हर साल 2500 से ज्यादा लोगों की मौत हो जाती है.
भारत में बिहार ऐसा राज्य है, जहां हर साल बिजली गिरने से सैकड़ों लोग मारे जाते हैं. एक घटना में वहां 100 से ज्यादा जानें गई थीं.

— भारत एक्सप्रेस

Vijay Ram

ऑनलाइन जर्नलिज्म में रचे-रमे हैं. हिंदी न्यूज वेबसाइट्स के क्रिएटिव प्रेजेंटेशन पर फोकस रहा है. 10 साल से लेखन कर रहे. सनातन धर्म के पुराण, महाभारत-रामायण महाकाव्यों (हिंदी संकलन) में दो दशक से अध्ययनरत. सन् 2000 तक के प्रमुख अखबारों को संग्रहित किया. धर्म-अध्यात्म, देश-विदेश, सैन्य-रणनीति, राजनीति और फिल्मी खबरों में रुचि.

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