मायावती-अशोक सिद्धार्थ (फोटो सोशल मीडिया)
UP Politics: उत्तर प्रदेश की राजनीति में लगातार परिवारवाद और भाई-भतीजावाद बढ़ता जा रहा है. हाल ही में मायावती ने अपने भतीजे आकाश आनंद के ससुर अशोक सिद्धार्थ का राजनीतिक कद बढ़ाते हुए उनको तीन राज्यों का प्रभारी बना दिया है. इसी के बाद से यूपी की राजनीति में एक बार फिर से भाई-भतीजावाद और परिवारवाद को लेकर चर्चा जोरों पर है. हालांकि लम्बे समय से उत्तर प्रदेश की राजनीति में भाई-भतीजावाद के कायम रहने पर भाजपा लगातार प्रहार करती आ रही है. हाल ही में यूपी विधानसभा के मॉनसून सत्र के दौरान भी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने राजनीति में भाई-भतीजावाद और परिवारवाद को लेकर करारा हमला बोला था और जमकर विपक्ष पर निशाना साधा तो वहीं विपक्ष भी गाहे-बगाहे भाजपा पर परिवारवाद को लेकर आरोप लगाता रहा है. हालांकि, बीजेपी हमेशा ही शीर्ष लीडरशिप का उदाहरण देकर हमेशा विपक्षियों के इस दावे को सिरे से खारिज करती रही है.
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क्या घट गया है सतीश चंद्र मिश्र का कद?
अशोक सिद्धार्थ के पार्टी में आने और बड़ी जिम्मेदारी मिलने के बाद कहा तो ये भी जा रहा है कि उन्होंने पार्टी में सतीश चंद्र मिश्र का स्थान ले लिया है. वहीं अब सतीश चंद्र मिश्र को लेकर भी चर्चा जोरों पर है और माना जा रहा है कि पार्टी में उनका कद कम हो गया है. हालांकि अभी भी वह बसपा की बैठकों में अगली पंक्ति की नेताओं के बीच दिखते हैं, फिर भी राजनीतिक गलियारों में चर्चा हो रही है कि भतीजे के बाद उसके ससुर का कद बढ़ाकर पार्टी सतीष चंद्र मिश्र को कोई संदेश देने की कोशिश कर रही हैं. तो वहीं अशोक सिद्धार्थ को उन्होंने राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ का प्रभारी बना दिया है. बता दें कि इन राज्यों के प्रभारी की जिम्मेदारी पहले से ही आकाश आनंद के पास है. तो वहीं अभी तक डॉ. अशोक सिद्धार्थ को सात राज्यों- केरल, तमिलनाडु, जम्मू-कश्मीर, पुडुचेरी दिल्ली और हिमाचल प्रदेश के प्रभारी की जिम्मेदारी दी गई थी लेकिन अब उनको 10 राज्यों की जिम्मेदारी सौंपी गई है. इस तरह से मायावती ने उन पर और भरोसा जताया है.
भाई को भी सौंपी बड़ी जिम्मेदारी
लोकसभा चुनाव 2019 के बाद बसपा सुप्रीमो मायावती ने पार्टी के कार्यकर्ताओं की बजाए अपने परिवार पर भरोसा करना शुरू कर दिया है. पहले वह अपने भाई आनंद कुमार को पार्टी की गतिविधियों में सीधे शामिल नहीं किया करती थीं लेकिन अब आनंद कुमार को पार्टी का राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनाने के बाद ही भतीजे आकाश आनंद को उन्होंने बसपा का नेशनल को-ऑर्डिनेटर बना दिया और अब भतीजे से ससुर को भी बड़ी जिम्मेदारी दे दी. हालांकि ये भी माना जा रहा है कि पार्टी के पुराने नेता डॉ. अशोक सिद्धार्थ को और भी बड़ी जिम्मेदारी यूपी में वह दे सकती हैं. हालांकि पार्टी में ये बदलाव कर बसपा सुप्रीमों ने एक अलग ही संदेश दिया है.
जानें कौन हैं अशोक सिद्धार्थ?
बता दें कि अशोक सिद्धार्थ को एक ऐसा नेता माना जाता रहा है जो कि पार्टी में पर्दे के पीछे रहकर पार्टी को मजबूत करने का काम करते थे. उनके लिए कहा जाता है कि वह हमेशा चर्चाओं से दूर रहने वाले नेता रहे हैं. अशोक सिद्धार्थ दलित समुदाय से आते हैं और वह पेशे से डॉक्टर हैं. बुंदेलखंड यूनिवर्सिटी से स्नातकोत्तर तक की पढ़ाई उन्होंने की और फिर महारानी लक्ष्मीबाई कॉलेज से उन्होंने नेत्र रोग में डिप्लोमा किया. तो वहीं मायावती शासनकाल के दौरान उनकी पत्नी यूपी राज्य महिला आयोग की उपाध्यक्ष रह चुकी हैं. तो इससे बड़ी बात कि उनको मायावती का बेहद करीबी नेता माना जाता है. ये भी कहा जाता है कि मायावती की नजदीकी की वजह ही रही कि उन्होंने अपनी सरकारी नौकरी छोड़ दी और राजनीति में आ गए इसके बाद मायावती ने उन्हें पहले एमएलसी बनाया और फिर 2016 में राज्यसभा भेजा. बसपा ने सतीश चंद्र मिश्र के साथ ही उनको भी राज्यसभा भेजा था। साल 2022 तक वह राज्यसभा के सदस्य रहे.
26 मार्च को बेटी की शादी की आकाश आनंद से
बता दें कि मायावती के साथ राजनीतिक नजदीकी को डा. अशोक ने हमेशा के लिए रिश्तेदारी में बदल लिया और अपनी बेटी प्रज्ञा का हाथ मायावती के भतीजे आकाश को सौंप दिया था. 26 मार्च को दोनों की शादी हुई थी, जो कि उस समय खासी चर्चा में रही थी. प्रज्ञा भी मेडिकल के ही क्षेत्र से जुड़ी हैं और डॉक्टर हैं.
-भारत एक्सप्रेस
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