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मोदी सरकार के 11 साल: आयुष्मान भारत कार्ड मरीजों के लिए बना वरदान, 5 लाख रु. तक का इलाज मुफ्त में हो रहा

आयुष्मान भारत योजना ने करोड़ों मरीजों को राहत दी है. 5 लाख तक का मुफ्त इलाज मिलने से गरीब परिवारों के लिए यह योजना किसी वरदान से कम नहीं साबित हो रही है.

11 years of Modi Government

आयुष्मान भारत कार्ड मरीजों के लिए बना वरदान

मोदी सरकार को देश में 11 साल पूरे हो गए हैं. पीएम मोदी की ओर से देशवासियों के लिए आयुष्मान भारत – प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (एबी पीएम-जेएवाई) 23 सितंबर 2018 को रांची (झारखंड) में लॉन्च की गई थी. इस योजना के ‘आयुष्मान कार्ड’ के तहत रजिस्टर्ड लाभार्थी 5 लाख तक का इलाज मुफ्त में करा सकते हैं. इस योजना के तहत Abha Health Card भी दिया जाता है.

बिहार और झारखंड की बात करें तो वहां नव भारत जागृति केंद्र (एनबीजेके) पिछले 54 वर्षों से ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य, शिक्षा और रोजगार सृजन के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य कर रहा है. यह संगठन भारत के सबसे विश्वसनीय स्वैच्छिक संगठनों में से एक है, जो अपनी सामाजिक प्रतिबद्धता और पारदर्शिता के लिए जाना जाता है. विशेष रूप से नेत्र स्वास्थ्य के क्षेत्र में इसकी एक अलग पहचान है.

नेत्र रोगों के उपचार की कमी को दूर किया जा रहा

एनबीजेके ने ग्रामीण भारत में नेत्र रोगों के उपचार की कमी को दूर करने के लिए पिछले दो दशकों में अभूतपूर्व योगदान दिया है. संगठन ने चार नेत्र अस्पतालों और 17 दृष्टि केंद्रों की स्थापना की है, जिसके माध्यम से 2,30,214 मोतियाबिंद सर्जरी और 14,76,616 नेत्र रोगियों का इलाज किया गया है.

इसी कड़ी में एनबीजेके ने 18 जनवरी 2020 को गया जिले के वजीरगंज प्रखंड के काझा गांव में लोक नायक जयप्रकाश नेत्र अस्पताल का उद्घाटन किया. यह अस्पताल गया, नवादा, जहानाबाद, औरंगाबाद और नालंदा जिलों के 10 लाख से अधिक लोगों को निःशुल्क या अत्यधिक किफायती नेत्र देखभाल सेवाएं प्रदान करता है. यह क्षेत्र का एकमात्र धर्मार्थ नेत्र अस्पताल है, जो सभी प्रकार के नेत्र रोगों का उपचार उपलब्ध कराता है.

लोगों के लिए इस तरह की सुविधाएं मुहैया कराई

लोक नायक जयप्रकाश नेत्र अस्पताल में एक मॉड्यूलर ऑपरेशन थिएटर (ओटी), दो अन्य ओटी, 100 इनडोर रोगी बेड, पैथोलॉजिकल लैब, चश्मे और दवाओं की दुकान, विश्व स्तरीय डायग्नोस्टिक उपकरण, और प्रशिक्षित नेत्र सर्जन्स व पैरामेडिकल स्टाफ की एक समर्पित टीम मौजूद है. साल 2024 में अस्पताल ने 26,240 ओपीडी रोगियों को सेवाएं प्रदान की और 637 ग्रामीण नेत्र शिविरों के माध्यम से मोतियाबिंद रोगियों की पहचान कर उनकी सर्जरी की.

अस्पताल की सेवाओं की गुणवत्ता और सामाजिक प्रभाव को देखते हुए गया के सिविल सर्जन ने 2022 और 2023 में इसे प्रशंसा पत्र से सम्मानित किया. लोक नायक जयप्रकाश नेत्र अस्पताल आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना के तहत निःशुल्क नेत्र सर्जरी और अन्य स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करता है.

अस्पताल में औसतन 40 प्रतिशत मरीज अपने राशन कार्ड और आधार कार्ड के आधार पर आयुष्मान कार्ड बनवाते हैं, जिससे हजारों लोग निःशुल्क उपचार का लाभ उठा चुके हैं. यह सुविधा विशेष रूप से उन ग्रामीण मरीजों के लिए वरदान साबित हुई है, जिनके पास पहले से आयुष्मान कार्ड नहीं होता.

मेरा इलाज आयुष्मान कार्ड के तहत हुआ: बलिंदर सिंह

मानपुर प्रखंड के भेड़िया गांव बलिंदर सिंह ने अपनी कहानी साझा करते हुए बताया, “मेरा इलाज आयुष्मान कार्ड के तहत हुआ. समय पर इलाज, भोजन और सभी सुविधाएं मिलीं. अगर यह कार्ड नहीं होता तो मेरा इलाज संभव नहीं था. ग्रामीण भारत में इस योजना से बहुत लाभ मिल रहा है.”

बलिंदर सिंह नाम के व्यक्ति ने बताया, “मैं मानपुर प्रखंड के भेड़िया गांव का रहने वाला हूं. मेरा इलाज आयुष्मान कार्ड के तहत हुआ. समय पर इलाज, भोजन और सभी सुविधाएं मिलीं. अगर यह कार्ड नहीं होता तो मेरा इलाज संभव नहीं था. ग्रामीण भारत में इस योजना से बहुत लाभ मिल रहा है. हमारे परिवार में मेरी पत्नी के पास यह कार्ड है. एक लड़का छोटा है, उसका भी बन जाएगा. मैं इस योजना के लिए केंद्र सरकार का आभार जताता हूं.”

ग्रामीण इलाकों में आयुष्मान कार्ड बनाया जा रहा: मालती

लोकनायक जयप्रकाश अस्पताल वजीरगंज गया में आंख का इलाज करवाने पहुंची मालती देवी नाम की महिला ने कहा कि मेरा कार्ड बन गया. आंख का ऑपरेशन भी हो गया और कोई भी पैसा नहीं लगा. मैं मोदी सरकार का धन्यवाद करना चाहता हूं. केंद्र सरकार के सहयोग से मेरी आंख बन गई है. फ्री में गरीबों का इलाज हो रहा है. यह सरकार गरीबों का विशेष ख्याल रख रही है. धीरे-धीरे ग्रामीण इलाकों में आयुष्मान कार्ड बनाया जा रहा है. अभी भी बहुत लोगों को नहीं बना है, लेकिन लगातार बनाने की प्रक्रिया चल रही है. अस्पताल वाले गाड़ी लेकर ग्रामीण इलाकों में जाते हैं, गांव-गांव घूमते हैं. इस पहल से जागरूकता फैलती है. एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति को पता चलता है कि अस्पताल में आंख का इलाज हो रहा है. इससे लोग जागरूक होते हैं और अपना भी इलाज कराते है. अगर यह कार्ड नहीं होता तो मेरी आंख नहीं बन पाती. सरकार के कारण ये संभव हुआ और मैं इसके लिए मोदी सरकार का धन्यवाद करना चाहती हूं.



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