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“इस्लामिक देश में बदलने और सरकार को आतंकित करने का प्रयास किया”, PFI के सदस्यों को अदालत का जमानत देने से इनकार

अदालत ने कहा कि आरोपी व्यक्ति देश के खिलाफ नफरत फैलाने और विभिन्न प्रचार माध्यमों से राष्ट्र विरोधी एजेंडे को आगे बढ़ाने में शामिल थे. उनके खिलाफ प्रथमदृष्टया सबूत मौजूद हैं.

Mumbai High Court

मुंबई हाई कोर्ट.

बॉम्बे हाईकोर्ट ने प्रतिबंधित पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) के तीन कथित सदस्यों को जमानत देने से इनकार दिया. कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा कि इन आरोपियों ने भारत को 2047 तक इस्लामिक देश में बदलने की साजिश रची थी और आपराधिक बल का इस्तेमाल करके सरकार को आतंकित करने का प्रयास किया था.

PFI के सदस्य होने का आरोप

जस्टिस अजय गडकरी और जस्टिस श्याम चांडक की खंडपीठ ने रजी अहमद खान, उनैस उमर खैय्याम पटेल और कय्यूम अब्दुल शेख की जमानत याचिकाएं खारिज कर दीं और कहा कि उनके खिलाफ प्रथमदृष्टया सबूत मौजूद हैं. उन पर पीएफआई के सदस्य होने का आरोप है और वे भारत सरकार के खिलाफ साजिश रचने में संलिप्त हैं. केंद्र ने 2022 में पीएफआई को प्रतिबंधित कर दिया था.

भारत को इस्लामिक देश बनाने की साजिश रची

अदालत ने कहा कि आरोपियों ने आपराधिक बल का इस्तेमाल करके सरकार को डराने की साजिश रची. एफआईआर में यह बात स्पष्ट रूप से कही गई है कि उन्होंने 2047 तक भारत को इस्लामिक देश बनाने की साजिश रची थी.

अदालत ने आगे कहा, आरोपी व्यक्ति देश के खिलाफ नफरत फैलाने और विभिन्न प्रचार माध्यमों से राष्ट्र विरोधी एजेंडे को आगे बढ़ाने में शामिल थे. अदालत ने उनकी जमानत याचिका खारिज करते हुए कहा कि उनके खिलाफ प्रथमदृष्टया सबूत मौजूद हैं.

अभियोजन पक्ष के अनुसार, आरोपियों का उद्देश्य अन्य धर्मों और भारत सरकार के प्रति नफरत पैदा करना तथा भारतीयों में विभाजन पैदा करना था.

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आरोप है कि आरोपियों ने मुस्लिम समुदाय के लोगों के मन में नफरत पैदा करने और उन्हें भारत सरकार के खिलाफ युद्ध छेड़ने के लिए उकसाने के वास्ते कई बैठकें कीं. महाराष्ट्र के आतंकवाद निरोधक दस्ते (एटीएस) ने पीएफआई के संदिग्ध सदस्यों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (IPC) की धाराओं के तहत आपराधिक साजिश, धार्मिक समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देने और सख्त गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (UAPA) के प्रावधानों के तहत मामला दर्ज किया था.

-भारत एक्सप्रेस



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