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विरोध लोकतांत्रिक अधिकार, लेकिन हिंसा राष्ट्रद्रोह: मुस्लिम राष्ट्रीय मंच

मुस्लिम राष्ट्रीय मंच ने पश्चिम बंगाल हिंसा को साजिश करार दिया और ममता बनर्जी, राहुल गांधी व इंडिया गठबंधन पर निशाना साधा. हिंसा के लिए राष्ट्रपति शासन लागू करने की अपील की गई.

Muslim Rashtriya Manch
Aarika Singh Edited by Aarika Singh

“विरोध लोकतांत्रिक अधिकार है, लेकिन हिंसा राष्ट्रद्रोह है”- यह तीखी टिप्पणी मुस्लिम राष्ट्रीय मंच (MRM) ने पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद और दक्षिण 24 परगना जिलों में वक्फ संशोधन कानून के विरोध के नाम पर भड़की हिंसा को लेकर दी है. मंच ने हिंसा के लिए राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को जिम्मेदार ठहराया है और विपक्षी गठबंधन INDIA तथा कांग्रेस नेता राहुल गांधी की चुप्पी को शर्मनाक करार दिया है.

मंच ने कहा कि भारत के संविधान और लोकतंत्र की आड़ में हिंसा फैलाना देशद्रोह है और इसे किसी भी हाल में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. मंच ने कहा कि, “भारत को जोड़ने का सपना हर नागरिक का है, लेकिन अगर उस जोड़ने के नाम पर ही कुछ लोग भारत को जलाएं, तो यह सबसे बड़ा धोखा है.” मंच ने अपील की कि वे देशहित में जागरूक बनें और कट्टरपंथियों, वोट बैंक की राजनीति करने वालों और मुहब्बत के नाम पर नफरत की दुकान चलाने वालों की चाल को समझें.

पश्चिम बंगाल में हालात बेहद तनावपूर्ण हैं. बहुत बड़ी संख्या में हिंदू परिवार पलायन कर रहे हैं. दहशत में अपना घर छोड़कर बड़ी संख्या में हिंदुओं ने मालदा जिले में शरण ली है. हिंसा के चलते कई स्थानों पर स्कूल, कॉलेज बंद हैं, बाजार वीरान हैं और आम जनजीवन अस्त-व्यस्त है. हिंसा से पीड़ित परिवारों ने केंद्र सरकार से राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू करने की मांग की है.

मुस्लिम राष्ट्रीय मंच ने पूरी घटना को साजिश बताया

मुस्लिम राष्ट्रीय मंच ने पूरे घटनाक्रम की निंदा करते हुए इसे सुनियोजित साजिश करार दिया. मंच के मुताबिक, “भारत जैसे लोकतांत्रिक देश में असहमति और विरोध का अधिकार सभी नागरिकों को है, लेकिन पत्थरबाज़ी, आगजनी, हत्या और तोड़फोड़ – यह कोई लोकतांत्रिक विरोध नहीं, बल्कि राष्ट्रद्रोह है.” मंच ने कहा कि विरोध शांतिपूर्ण हो सकता है, लेकिन अगर उसमें निर्दोषों की जान जाए, तो वह देश के खिलाफ अपराध माना जाना चाहिए.

मंच ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर गंभीर आरोप लगाए कि उन्होंने न केवल हिंसा पर चुप्पी साधी, बल्कि कट्टरपंथियों को खुली छूट दी. मंच का दावा है कि पुलिस और प्रशासन मूकदर्शक बने रहे और स्थानीय हिंदू आबादी को जानबूझकर असुरक्षित छोड़ दिया गया. मंच ने कहा, “जहां अन्य राज्यों में वक्फ कानून को लेकर विरोध की कोई खबर नहीं है, वहीं बंगाल में जिस तरह से आगजनी, लूटपाट और सांप्रदायिक तनाव फैला – वह ममता सरकार की मात्र विफलता नहीं, पूरी तरह साजिश है.”

मंच ने इंडिया गठबंधन की भूमिका पर भी सवाल खड़े किए. “राहुल गांधी जो हर मुद्दे पर ट्वीट करते हैं, सड़क पर उतरते हैं, आज जब बंगाल जल रहा है, तो वे चुप क्यों हैं?” मंच ने पूछा. मंच ने तंज कसते हुए कहा कि राहुल गांधी ने भारत जोड़ो यात्रा की थी, लेकिन आज भारत जल रहा है और वो आंख मूंदे बैठे हैं. मंच ने INDIA गठबंधन के अन्य प्रमुख नेताओं जैसे अखिलेश यादव, स्टालिन, शरद पवार, हेमंत सोरेन आदि पर भी निशाना साधा और पूछा कि क्या उनकी सेक्युलरिज़्म की परिभाषा में हिंदू पीड़ा शामिल नहीं है?

आयोग से की हस्तक्षेप की अपील

मंच ने इस हिंसा को वोटबैंक की राजनीति का खतरनाक परिणाम बताया. मंच के मुताबिक, “यह सोची-समझी साजिश थी, जिसमें मासूमों को ढाल बनाकर वक्फ कानून के खिलाफ विरोध की आड़ में देश के सौहार्द को नुकसान पहुंचाया गया.” मंच ने यह भी कहा कि इस तरह की हिंसा से देश की छवि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी प्रभावित होती है.

मुस्लिम राष्ट्रीय मंच ने हिंसा के पीछे सक्रिय संगठनों और कट्टरपंथियों के खिलाफ कठोरतम कार्रवाई की मांग की है. मंच ने कहा कि “किसी भी मजहब या पहचान से ऊपर देश है. जो लोग दंगे फैलाते हैं, वे भारत के दुश्मन हैं.” मंच ने राज्य सरकार की भूमिका की उच्चस्तरीय न्यायिक जांच की मांग की है और इस पूरे प्रकरण को राष्ट्रीय सुरक्षा का मुद्दा बताया.

मंच ने केंद्र सरकार, गृह मंत्रालय और राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग से हस्तक्षेप की अपील की है. साथ ही मंच ने सुप्रीम कोर्ट और कोलकाता हाईकोर्ट द्वारा हिंसाग्रस्त क्षेत्रों में केंद्रीय बलों की तैनाती के निर्देश का स्वागत किया है और कहा कि यदि समय रहते कदम नहीं उठाए जाते, तो जन और धन की हानि और अधिक होती.

मंच ने मुसलमानों से अपील करते हुए कहा कि वे कानून का सम्मान करें, अफवाहों से बचें और देशविरोधी ताकतों के बहकावे में न आएं. मंच ने कहा, “इस्लाम शांति का पैगाम देता है. हिंसा, नफरत और आगजनी से मजहब नहीं, सिर्फ दहशतगर्दी फैलती है.”

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-भारत एक्सप्रेस



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