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‘भारतीय मुसलमान: एकता का आधार..’ बुक रिलीज, मुस्लिम राष्ट्रीय मंच के चीफ बोले- संवाद जरूरी, हिंसा नहीं…सौहार्द चाहिए, वोट बैंक के लिए न बिकें मुसलमान

राजधानी दिल्ली में मुस्लिम राष्ट्रीय मंच की नई किताब के विमोचन के दौरान हिंदू-मुस्लिम एकता पर संबोधन दिया गया. राम लाल ने बताया— कौन हैं सच्चे मुसलमान…

Muslim Rashtriya Manch Indresh Kumar

नई दिल्ली का आकाशवाणी रंग भवन शुक्रवार को ऐतिहासिक रहा। महाशिवरात्रि के महा पर्व पर हिंदुओं और मुसलमानों के बीच एकता अखंडता और सौहार्द की नई मिसाल देखी गई। मौका था मुस्लिम राष्ट्रीय मंच की पुस्तक भारतीय मुसलमान: एकता का आधार हुब्बुल वतनी (राष्ट्रीयता) के विमोचन का। किताब का संपादन प्रोफेसर शाहिद अख्तर और डॉक्टर केशव पटेल ने मिल कर किया है। इस अवसर पर मुस्लिम राष्ट्रीय मंच के मुख्य संरक्षक इंद्रेश कुमार, आरएसएस संपर्क प्रमुख राम लाल, अजमेर शरीफ दरगाह के सज्जादे नशी और दीवान हजरत सैय्यद जैनुल आबेदीन अली खान, ऑल इंडिया इमाम आर्गेनाइजेशन के चीफ इमाम डॉक्टर इमाम उमेर अहमद इलियासी, राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग की सदस्य सैय्यद शहजादी, किताब के संपादक शाहिद अख्तर और केशव पटेल समेत अनेक गण्यमान लोग मौजूद थे।

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संवाद जरूरी, हिंसा नहीं सौहार्द चाहिए: इंद्रेश कुमार

इंद्रेश कुमार ने कहा कि मुसलमान पर एक दाग लगा है। और यह दाग लगाया है देश की कुछ पार्टियों ने, जो मुसलमान को देशद्रोही और बिका हुआ मानते हैं। यही कारण है कि वो दल मुसलमान को सिर्फ वोट बैंक की राजनीति के लायक समझते हैं। इसलिए यह बेहद जरूरी है कि मुसलमान समझें कि वो कोई बिकने वाली चीज नहीं हैं, वो राष्ट्रवादी हैं। इंद्रेश कुमार ने मुसलमानों के साथ किए अपने वार्ता और डायलॉग का जिक्र किया जो उन्होंने आज से 30 वर्षों पहले शुरू किया था। उनकी ये मुहिम आज लाखों से बढ़ कर करोड़ों के बीच बढ़ गई है। उन्होंने राजनेताओं पर प्रहार करते हुए कहा कि चंद नेता अपने मफाद के लिए बच्चियों और महिलाओं के ऊपर हिजाब थोपते हैं। इसी प्रकार तलाक को सबसे दुर्भाग्यपूर्ण और गलत बताया। उन्होंने किताब सबको पढ़ने की सलाह देते हुए कहा कि इस किताब की रोशनी में कई मुद्दों पर सोचने समझने का ज्ञान प्राप्त होगा। उन्होंने कहा कि हम हिंदुस्तानी थे, हैं और रहेंगे।

इंद्रेश कुमार ने कहा है कि देश के मुसलमानों को आत्ममंथन की जरूरत है। 99 प्रतिशत मुसलमानों के पूर्वज हिंदू हैं। इंद्रेश कुमार ने कहा कि सभी 142 करोड़ भारतीयों का डीएनए एक ही है। उन्होंने मुस्लिम नेतृत्व पर तंज और शिकायत दर्ज कराते हुए कहा कि अनुचित व्यवहार और आपत्तिजनक नारों की आलोचना की जानी चाहिए। यदि सभी एक होकर रहें तो इस देश से दंगे और छुआछूत समाप्त हो जाए। आरएसएस राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य ने सभी के एक होने की बात कहते कहा कि देश में रहने वाले सभी वर्गों का निर्माता एक ही है। वह ब्रह्मांड का योजनाकार और स्वामी है। हम पूरी दुनिया में भारतीय कहलाते हैं। “मैंने लाखों मुसलमानों और अन्य वर्गों से यह तथ्य हजारों बार बताया है और सभी ने स्वीकार किया है कि हम सब पुरखों, देश, शक्ल-सूरत और रचयिता की दृष्टि से एक हैं।”

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सबको पता है मुसलमान कौन हैं: राम लाल

विमोचन के मौके पर आरएसएस संपर्क प्रमुख राम लाल ने किताब की वकालत करते हुए इसे हर किसी को पढ़ने के लिए कहा। उन्होंने कहा कि जैसे जैसे मुस्लिम राष्ट्रीय मंच की उम्र बढ़ रही है वैसे वैसे माननीय इंद्रेश जी उत्साह में जवान हो रहे हैं। राम लाल ने कहा कि 1947 से पहले कोई कन्फ्यूजन था, लेकिन आजादी के बाद समझ आ गया था कि भारतीय मुसलमान कौन हैं? भारतीय मुसलमान राष्ट्रवादी थे, हैं और रहेंगे। क्योंकि जो मुसलमान भारतीय नहीं थे वो 1947 में ही पाकिस्तान चले गए थे। जो भारत में हैं वो पूर्ण रूपेण भारतीय हैं। राम लाल ने कहा कि किसी एक दो लोगों या संगठन के कारण आप सभी मुसलमान पर कतई उंगली नहीं उठा सकते हैं। उन्होंने कहा कि 1857 तक तो सब मिल के लड़े, लेकिन भेदभाव कैसे आया? भेदभाव अंग्रेजों ने किया। उन्होंने हिंदू मुस्लिम को बांटा, उत्तर दक्षिण को बांटा, पूर्व पश्चिम में बांटा। अभी कुछ लोग लगे हैं कि दूरी रहे लेकिन इन दूरियों का कोई मतलब नहीं है क्योंकि अधिकांशतः मुस्लिम राष्ट्रीय मुस्लिम हैं। राम लाल ने कहा कि भारतीय मुसलमान की पहचान राजा हसन खां मेवाती, ब्रिगेडियर उस्मान, शहीद अब्दुल हमीद रसखान, डॉक्टर राही मासूम रजा से होती है। उन्होंने कहा कि भारतीय मुस्लिम की पहचान अंग्रेजों भारत जोड़ो का नारा यूसुफ मेहर अली से करनी चाहिए। मोहम्मद रफी, नौशाद, गुलजार से करनी चाहिए।

अगले 25 साल बेहद अहम: अर्जुन मुंडा

केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा ने अपने वीडियो मैसेज में किताब को समय की जरूरत बताया और इस पर अमल करने की सलाह दी। उन्होंने कहा कि किताब लोगों को पढ़नी चाहिए ताकि देश की एकता अखंडता बरकरार रहे और देश को सर्वोपरि रखना चाहिए। देश धर्म और मजहब से ऊपर है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी जी ने देश को एक भारत श्रेष्ठ भारत पर जोर दिया और आगे आने वाले 25 साल में भारत को विकासशील से विकसित देश बनाना है।

हमारी पहचान धर्म से नहीं देश से है: उमेर इलियासी

डॉक्टर इमाम उमेर इलियासी ने कहा कि ये एक इबादत है जिसमें हम सब मिल रहे हैं। उन्होंने कहा कि भगवान राम के प्राण प्रतिष्ठा में जाने का मौका मिला, और ठीक दो दिन पहले आया। पहले एक कश्मकश थी कि साढ़े पांच लाख मस्जिद का इमाम हूं तो जाना चाहिए या नहीं। लेकिन फिर मैंने देश के सौहार्द के लिए प्राण प्रतिष्ठा में जाने का फैसला किया। मेरे खिलाफ तीन फतवा जारी हुआ कुफ्र का, जिसका मैंने इनकार किया और कहा कि इन फतवों का कोई मतलब नहीं क्योंकि यह इस्लामिक देश नहीं धर्म निरपेक्ष और लोकतांत्रिक देश है। फतवा इतना हास्यास्पद है कि उसमें लिखा है आपने इंसानियत और देश को धर्म से ऊपर कर दिया है देश को सर्वोपरि कर दिया है। जिसका मैंने जवाब दिया कि सबकी पूजा पद्धति अलग है और सब को एक दूसरे के धर्म का एहतराम करना चाहिए। जब आप हज करने के लिए जाते हैं तो इमिग्रेशन पर आपका देश पूछा जाता है धर्म नहीं। उमेर इलियासी ने 24 दिसंबर 2002 को याद करते हुए मुस्लिम राष्ट्रीय मंच की पैदाइश को याद किया। वो ईद का दिन था और मेरे पिता इमाम इलियासी, मुस्लिम स्कॉलर वहिद्दुउद्दीन खान, संघ प्रमुख के सी सुदर्शन, मदन दास, लाल कृष्ण आडवाणी, सुषमा स्वराज समेत कई लोग मौजूद थे। और 2002 में पैदा हुआ मुस्लिम राष्ट्रीय मंच आज जवान हो गया है। उन्होंने कहा कि भारत को अगर विश्व गुरु बनाना है तो हम सभी को हिंदू मुस्लिम को मिल कर आगे आना होगा, देश का सौहार्द बढ़ाना होगा।

अलगाव नहीं, सद्भाव चाहिए: चिदानंद सरस्वती

इस मौके पर अपने वीडियो मैसेज में परमार्थ निकेतन आश्रम के स्वामी चिदानंद सरस्वती ने मुस्लिम राष्ट्रीय मंच की किताब का भरपूर स्वागत करते हुए कहा कि हमारी राष्ट्रीयता ही हमारी पहचान है। हम सभी के रक्त का रंग एक है, हमारी मिट्टी एक है, हम एक थे एक हैं और एक हो कर रहेंगे। विघटन और अलगाव नहीं सद्भाव की आवश्कता है। दिलों को जोड़ने की जरूरत है। एकता अखंडता संप्रभुता बढ़ाए जाने की जरूरत है। उन्होंने अयोध्या के राम मंदिर से लेकर आबूधाबी के मंदिर तक का जिक्र किया और सोच बदलने की जरूरत पर ज़ोर दिया।

गलत नहीं है CAA: सैय्यद जैनुल आबेदीन

अजमेर दरगाह के सज्जादे नशी और दीवान हजरत सैय्यद जैनुल आबेदीन ने किताब को भारत और भारतीयता को समझने के लिए असरदार बताया। साथ ही साथ उन्होंने हिंदू मुस्लिम एकता की मिसाल को लेकर अजमेर दरगाह का उदाहरण दिया जहां सभी धर्मों समुदायों की मान्यता है। उन्होंने CAA NRC को देश के लिए जरूरी कदम बताया। उन्होंने कहा कि दुनिया के अनेकों देशों में CAA कानून लागू है और यह देश के अमन और हिफाजत के लिए जरूरी है।

क्रांतिकारी है किताब: शाहिद अख्तर

शाहिद अख्तर ने मीडिया के साथियों से गुजारिश करते हुए कहा कि इस किताब को जरूर पढ़ें और अपने प्लेटफार्म के माध्यम से जन जन तक पहुंचाएं। ये किताब नहीं, एक रिवोल्यूशन है… एक ऐसी क्रांति है जो लोगों के आंखों पर बंद पड़ी पट्टी को खोलने का काम करेगी, यह किताब एक ऐसी क्रांति साबित होगी जो मुस्लिमों के तथाकथित रहनुमाओं और इस्लाम और धर्म के ठेकेदारों की दुकान बंद करने में सार्थक योगदान देगी। यह किताब नहीं एक ऐसा ग्रंथ है जो हिंदुस्तान को बांटने वाली आसुरी शक्तियों को मुंह पर तमाचा साबित होगी। उन्होंने कहा कि आज देश लोकतंत्र के महासमर में खड़ा है। अमृतकाल के पहले चुनावी महासमर में मतदाता देश के साथ अपने भविष्य की दिशा भी तय करेगा। शाहिद अख्तर ने कहा कि अल्लाह ने चाहा तो आने वाले दिनों में जो सपना हमने आदरणीय भाईसाहब के मार्गदर्शन में खुली आंखों के साथ देखा है वो भी सरकार होगा… हम सब मिल कर अखंड भारत का निर्माण करेंगे… तब ये विकास कंधार और कराची से कन्याकुमारी तक होगा।

तय किया है दतिया से दिल्ली तक का सफर: केशव पटेल

किताब के दूसरे संपादक डॉक्टर केशव पटेल ने कहा कि, “मध्य प्रदेश के दतिया में वर्ग प्रशिक्षण के बाद शाम को पीतांबरा पीठ में माता के दर्शन के लिए जब मैं पहुंचा तो वहां पीतांबरा माता के दर्शन के साथ-साथ आदरणीय गिरीश जुआल से भी मेरी मुलाकात हुई। मुझे गणवेश में देखकर उन्हें मेरा हाथ पकडा और बडी ही सहजता से परिचय लिया। उस पांच मिनट की मुलाकात में मुझे पहली बार मुस्लिम राष्ट्रीय मंच का परिचय मिला और यहां इस मंच तक का रास्ता साफ होता चला गया। उन्होंने कई सालों बाद मुझे दिल्ली बुलाया और पहला परिचय आदरणीय इंद्रेश जी भाईसाब से कराया। आज मेरे जह़न में भारत के मुसलमानों की दो तस्वीरें हैं। एक मुस्लिम राष्ट्रीय मंच से जुडने से पहले की और दूसरी मंच से जुडने के बाद की। विगत वर्षों में मुस्लिम राष्ट्रीय मंच के साथ काम करते हुए मुझे यह अहसास हुआ कि इस देश में दो तरह के लोग हैं, एक वो जो इंद्रेश जी को जानते हैं और दूसरा वे लोग जो इंद्रेश जी को जानने की कोशिश कर रहे हैं। यह ठीक वैसा ही जैसा देश में दो तरह के मुसलमान हैं एक वे जो मुसलमान हैं और दूसरा वे जो इंद्रेश जी के मुसलमान भाई हैं।”

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