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नारी शक्ति वंदन अधिनियम को राष्ट्रपति मुर्मू से मिली मंजूरी, अब राजनीति में महिलाओं की 33 फीसदी भागीदारी तय

वोटिंग के बाद लोकसभा में दो तिहाई बहुमत के साथ बिल पास हुआ. इसके अगले दिन इसे राज्यसभा में पेश किया गया था. जहां इसके पक्ष में 214 वोट डाले गए.

Women Reservation Bill

Women Reservation Bill

Women Reservation Bill:  महिला आरक्षण बिल (नारी शक्ति वंदन अधिनियम) को राष्ट्रपति ने मंजूरी दे दी है. अब यह कानून बन गया है. आने वाले सालों में देश की राजनीति में महिलाओं की 33 फीसदी भागीदारी देखने को मिलेगी. हाल ही केंद्र सरकार ने विषेश सत्र के दौरान इस बिल को लोकसभा और राज्यसभा में पेश किया था, जहां चर्चा के बाद महिला आरक्षण बिल पास हो गया था. राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा था कि लैंगिक न्याय के लिए यह हमारे समय का सबसे परिवर्तनकारी क्रांति है.

विशेष सत्र में पारित हुआ था नारी शक्ति वंदन अधिनियम

बता दें कि मोदी सरकार ने 18 से 22 सितंबर तक संसद का विशेष सत्र बुलाया था. खास बात ये थी कि इस बार ये सत्र नए संसद भवन में रखा गया था. पुराने संसद भवन का कामकाज नए भवन में शिफ्ट कर दिया गया. सरकार की ओर से नारी शक्ति वंदन अधिनियम विधेयक 19 सितंबर को लोकसभा में पेश किया था. इस पर दो दिनों तक खूब चर्चा हुई. सदन में मौजूद ज्यादातर दलों ने महिला आरक्षण बिल का समर्थन किया. वोटिंग के दौरान लोकसभा में बिल के पक्ष में 454 मत पड़े तो विरोध में केवल 2 वोट पड़े.

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असदुद्दीन ओवैसी ने विरोध में डाले थे वोट

विरोध में वोट डालने वाले दोनों सांसद एआईएमआईएम से थे. असदुद्दीन ओवैसी ने भी बिल के विरोध में वोट डाले. वोटिंग के बाद लोकसभा में दो तिहाई बहुमत के साथ बिल पास हुआ. इसके अगले दिन इसे राज्यसभा में पेश किया गया था. जहां इसके पक्ष में 214 वोट डाले गए. विरोध में एक भी वोट नहीं पड़ा. अब राष्ट्रपति से मंजूरी मिलने के बाद नारी शक्ति वंदन अधिनियम कानून बन गया है.

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AAP की आतिशी ने भी किया था विरोध

बता दें कि बिल को लेकर बवाल भी हुआ. आम आदमी पार्टी की नेत्री आतिशी ने बिल को मूर्ख बनाओ बिल करार दिया था. AAP की आतिशी ने कहा, “सबसे महत्वपूर्ण सवाल यह है कि 2024 के चुनाव में महिलाओं को आरक्षण मिलेगा या नहीं. और अगर 2024 में आरक्षण नहीं मिलेगा तो ये बिल महिलाओं को बेवकूफ बनाने वाला बिल है. इस बिल में जनगणना खंड डालने की क्या जरूरत थी? इस विधेयक में परिसीमन खंड डालने की क्या आवश्यकता थी?”

आतिशी ने कहा, AAP की मांग है कि सरकार को प्रस्तावित कानून में संशोधन करना चाहिए और 2024 के चुनावों से ही महिलाओं के लिए एक तिहाई आरक्षण देना चाहिए. आतिशी ने कहा, “हम सैद्धांतिक रूप से महिला आरक्षण का समर्थन करते हैं. लेकिन यह बिल सरासर पाखंड है. यह बिल महिलाओं को बेवकूफ बनाने का एक तरीका है.”

-भारत एक्सप्रेस

 

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