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केंद्र सरकार ने सहकारी क्षेत्र में दुनिया की सबसे बड़ी खाद्य भंडारण योजना को मंजूरी दी. इस पर करीब एक लाख करोड़ रुपए खर्च होंगे. हर ब्लॉक में दो हजार टन क्षमता के गोदाम बनाए जाएंगे. केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने गुरुवार को कैबिनेट बैठक के बाद बताया कि देश में अब तक कुल खाद्य भंडारण क्षमता 1450 लाख टन है. अब सहकारी क्षेत्र में सात सौ लाख टन अतिरिक्त भंडारण क्षमता पर काम शुरू होगा। अगले पांच वर्षों में भंडारण क्षमता को बढ़ाकर 2,150 लाख टन किया जाएगा.
केंद्रीय मंत्री ने इसे सहकारी क्षेत्र में दुनिया का सबसे बड़ा अनाज भंडारण कार्यक्रम करार दिया। इस योजना के चार मुख्य उद्देश्य हैं. खाद्य भंडारण सुविधाओं की कमी के कारण खाद्यान्न की बर्बादी को नियंत्रित करना होगा और किसानों को औने-पौने दामों पर फसल बेचने से रोकना होगा. इसके साथ ही आयात पर निर्भरता कम करनी है और गांवों में रोजगार के अवसर बढ़ाने हैं.
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि भंडारण क्षमता बढ़ने से खाद्यान्न की परिवहन लागत में कमी आएगी, जिससे खाद्य सुरक्षा मजबूत होगी. देश में प्रतिवर्ष 310 मिलियन टन से अधिक खाद्यान्न का उत्पादन होता है, लेकिन वर्तमान भंडारण क्षमता के तहत कुल उत्पादन का 47 प्रतिशत ही गोदामों में रखा जा सकता है. एक रिपोर्ट के अनुसार गोदामों की कमी के कारण कम से कम 12 से 14 प्रतिशत अनाज बर्बाद हो जाता है.
योजना पर तेजी से काम करने के लिए सहकारिता मंत्री की अध्यक्षता में एक अंतर-मंत्रालयी समिति (आईएमसी) गठित की जाएगी. सहकारिता मंत्रालय समयबद्ध और एक समान कार्यान्वयन के लिए देश के विभिन्न राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में कम से कम 10 चयनित जिलों में एक पायलट परियोजना चलाएगा. बाद में इसे सभी राज्यों में लागू किया जाएगा.
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योजना की गंभीरता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि स्वीकृति के एक सप्ताह के भीतर समन्वय समिति का गठन कर दिया जाएगा. 15 दिनों के भीतर कार्यान्वयन दिशानिर्देश जारी किए जाएंगे. पैक्स को भारत सरकार और राज्य सरकारों से जोड़ने के लिए डेढ़ महीने के भीतर एक पोर्टल लॉन्च किया जाएगा. 45 दिनों के भीतर प्रस्ताव पर अमल भी शुरू हो जाएगा.
वर्तमान में देश में लगभग एक लाख प्राथमिक कृषि साख समितियाँ (PACS) हैं, जिनमें 13 करोड़ से अधिक किसान सदस्य हैं. योजना के माध्यम से पैक्स को मजबूत किया जाएगा. पैक स्तर पर विभिन्न प्रकार की कृषि अधोसंरचना जैसे भंडारण गृह, कस्टम हायरिंग सेंटर, प्रोसेसिंग यूनिट आदि का निर्माण किया जाएगा. गोदामों के निर्माण से स्टोरेज इंफ्रास्ट्रक्चर की कमियों को दूर किया जाएगा. इसके अलावा, पैक्स कई अन्य गतिविधियों को करने में भी सक्षम होंगे.
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