2020 के उत्तर-पूर्वी दिल्ली दंगों के एक मामले में 6 एफआईआर को एक साथ जोड़ने पर कड़कड़डूमा कोर्ट ने दिल्ली पुलिस को फटकार लगाई है. मामले में कहा गया है कि संबंधित जांच अधिकारी ने 6 शिकायतों को उचित जांच करने के अपने कर्तव्य का अनदेखा किया. वीडियो के हेरफेर किए गए हिस्से के आधार पर एक आरोपी को फंसाने के लिए कोर्ट ने आलोचना भी की है.
कोर्ट ने आरोपी को बरी किया
कड़कड़डूमा कोर्ट (Karkardooma Court) ने अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश पुलस्त्य प्रमाचला ने पुलिस आयुक्त से जांच अधिकारी के आचरण का आकलन करने और उचित कदम उठाने के लिए मामले को भेज दिया है. कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि चूंकि छह शिकायतों की उचित और पूर्ण जांच का कार्य पूरा किया जाना है, इसलिए उक्त शिकायतों के आधार पर अलग-अलग मामले दर्ज किए जाए और मामले की जांच कर अंतिम रिपोर्ट दाखिल किया जाए. साथ ही कोर्ट ने संदीप भाटी नामक व्यक्ति को बरी कर दिया है.
बाएं पैर में गोली मार दी
संदीप भाटी के खिलाफ करावल नगर थाने में FIR दर्ज किया गया था. यह एफआईआर गुरु तेग बहादुर अस्पताल से अज्ञात घायल व्यक्ति शाहरुख के भर्ती होने की सूचना मिलने के बाद दर्ज किया गया था. शाहरुख ने अपने बयान में कहा कि दंगो के दौरान एक दंगाई भीड़ ने उसे एक ऑटो से बाहर खींच लिया, लाठी और पत्थरों से पीटना शुरू कर दिया, जिसके बाद किसी ने उस पर गोली चला दी, जो बांए पैर में लग गई.
जांच अधिकारी ने पता लगाने की जहमत नहीं उठाई
कोर्ट ने अपने आदेश में यह भी कहा कि भाटी की पहचान एक वीडियो में की गई थी. कोर्ट ने यह भी कहा कि छह शिकायतों की जांच के नाम पर जांच अधिकारी ने केवल सीआरपीसी की धारा 161 के तहत बयान दर्ज किए और तीन शिकायतकर्ताओं के लिए साइट प्लान तैयार किया. कोर्ट ने कहा कि जांच अधिकारी को तीन साइट प्लान तैयार करने की बात भी याद नहीं थी और बचाव पक्ष द्वारा जिरह के दौरान भी जांच अधिकारी ने इन साइट प्लान पर अपने हस्ताक्षर स्वीकार किए. कोर्ट ने कहा कि छह शिकायतकर्ताओं में से किसी ने भी अपनी संबंधित घटना नहीं देखी थी, इसलिए जांच अधिकारी ने यह पता लगाने की जहमत नहीं उठाई.
-भारत एक्सप्रेस
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