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भारत की ‘पड़ोसी पहले’ नीति का विस्तार, भारतीय बुनियादी ढांचे के माध्यम से बिजली निर्यात करेगा नेपाल

Nepal: नेपाल के प्रधानमंत्री  पुष्प कमल दहल के भारत दौरे के दौरान कई महत्वपूर्ण समझौते पर सहमती जतायी गई. जिसमें दोनों देशों के बीच दीर्घकालिक ऊर्जा समझौते पर हस्ताक्षर किए गए. जिससे नेपाल को ऊर्जा व्यापार में वृद्धि के माध्यम से बांग्लादेश को बिजली निर्यात करने की अनुमति मिली. यह समझौता ऊर्जा क्षेत्र में दोनों देशों के बीच बढ़ते सहयोग को रेखांकित करता है. गुरुवार को हुई पीएम मोदी और नेपाल के समकक्ष पुष्प कमल के बीच द्विपक्षीय बैठक के दौरान दोनों देशों के बीच अधिक हवाई मार्ग खोलने पर चर्चा की गई. नेपाल लंबे समय से इसके लिए अनुरोध कर रहा था.

नेपाल द्वारा अपनी असुविधा व्यक्त करने के बाद भारत नेपाल की याचिका पर सकारात्मक प्रतिक्रिया का संकेत देते हुए प्रस्ताव का अध्ययन करने पर सहमत हुआ. प्रधानमंत्री दहल की भारत यात्रा के लिए अतिरिक्त हवाई मार्ग एक प्रमुख एजेंडे में शामिल था.

अधिक ऊंचाई वाले हवाई-प्रवेश मार्ग खोलने का अनुरोध

पीएम दहल ने कहा, ‘हमने अतिरिक्त हवाई प्रवेश मार्गों के लिए नेपाल के अनुरोध पर चर्चा की. नेपाल द्विपक्षीय उड़ानों के लिए हवाई-प्रवेश मार्गों के भारत के सकारात्मक संकेत का स्वागत करता है. यह एटीआर (ATR) विमान के लिए परिचालन रूप से व्यवहार्य है. हम महेंद्रनगर से जल्द से जल्द एक उच्च ऊंचाई वाले अतिरिक्त हवाई-प्रवेश मार्ग की स्वीकृति का अनुरोध करते हैं. जबकि प्रधानमंत्री मोदी ने मीडिया को अपने संबोधन में साफ तौर पर हवाई संपर्क में वृद्धि का उल्लेख नहीं किया. विदेश सचिव विनय क्वात्रा ने पुष्टि की कि इस मामले पर चर्चा की गई थी, और भारत ने मार्गों का विश्लेषण करने के लिए एक “तकनीकी टीम” तैनात करने का फैसला किया है.

नेपाल की अर्थव्यवस्था के लिए जरूरी है हवाईअड्डों का परिचालन

नेपाल अधिक हवाई मार्ग खोलने से भारत के इनकार पर चिंता जताता रहा है, जिससे भैरहवा और पोखरा में दो नए हवाई अड्डों के लाभ पर असर पड़ा है. हालांकि, विदेश सचिव क्वात्रा ने स्पष्ट किया कि हवाई क्षेत्र के मुद्दे में वायु सेना द्वारा नियंत्रित डोमेन शामिल है, और अधिक मार्ग खोलने से दोनों देशों के विभिन्न शहरों के बीच कनेक्टिविटी पर सवाल उठता है. भारत द्वारा अतिरिक्त हवाई मार्ग खोलने में हिचकिचाहट का एक कारण पोखरा और भैरहवा हवाई अड्डों के निर्माण में चीनी ऋण और ठेकेदारों की भागीदारी थी. राजनयिक सूत्रों ने खुलासा किया कि इन हवाईअड्डों का परिचालन नेपाल की अर्थव्यवस्था के लिए महत्वपूर्ण है क्योंकि इन्हें भारत और चीन से अधिक पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए डिजाइन किया गया है.

– भारत एक्सप्रेस

Rahul Singh

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