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“गुलामी की मानसिकता से निजात दिलाएंगे तीन नए आपराधिक कानून…”, बोलीं BJP नेता शाजिया इल्‍मी, भारतीयों के लिए कही ये बड़ी बात

New Criminal Laws: भाजपा नेता ने कहा कि राजशाही से, अंग्रेजी हुकूमत से अभी तक वही पुराने कानून चल आ रहे थे.

Shazia Ilmi

फोटो-सोशल मीडिया

New Criminal Laws : देश में एक जुलाई से अंग्रेजों के जमाने का कानून खत्म हो रहा है और तीन नए कानून लागू हो गए हैं. इसको लेकर कहीं पर पुलिस-प्रशासन द्वारा लोगों को जागरुक करने के लिए कार्यशाला का आयोजन किया जा रहा है तो कहीं इस पर चर्चा हो रही है. कोर्ट-कचहरी में भी इस पर जमकर डिस्कशन हो रहा है. इसी बीच भाजपा नेता शाजिया इल्मी का बयान सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है, जिसमें उन्होने कहा है इसको देश के न्या तंत्र में बड़ा बदलाव बताया है.

बता दें कि आज से देश में तीन नये आपराधिक कानून भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य लागू हो गए हैं. इसको लेकर भाजपा नेता शाजिया इल्मी का बयान सामने आया है. उन्होंने कहा कि यह एक सुनहरा अवसर है. मेरी शुभकामनाएं सभी देशवासियों के लिए है. पहली बार हम देख रहे हैं कि उपनिवेशवाद के खिलाफ, ब्रिटिश साम्राज्यवाद के खिलाफ देश के हिसाब से भारतीयों के संदर्भ में भारतीयों के लिए जो जरूरी है, उसी सोच के साथ कानून में बदलाव किया गया है.

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अंग्रेजों ने अपनी सोच के मुताबिक बनाए थे कानून

शाजिया इल्मी ने कहा कि राजशाही से, अंग्रेजी हुकूमत से अभी तक वही पुराने कानून चल आ रहे थे. अंग्रेजों ने जिस तरीके से अपनी सोच के मुताबिक कानून बनाए थे उनको हटाया गया है. आप देखेंगे कि पहली जो पूरी मानसिकता थी, गुलामी की जो सोच थी उससे हमें निजात मिल रही है. इसे आप एक असली आजादी मान सकते हैं. जो देश के आम लोग या मुवक्किल हों, वकील हों, उनके लिए यह गौरव का क्षण है.

अब नहीं बच पाएंगे अपराधी

शाजिया इल्मी ने ये भी कहा कि हमारा जो सबूत को इकट्ठा करने का, उसको सुरक्षित रखने का तरीका था, अब अपग्रेड हो रहा है. जो फॉरेंसिक जांच होती है, उसके तरीके बदले जाएंगे और बदल रहे हैं. दुनिया भर में अपग्रेड हो रहा है और आज जमाना बदल गया है. अपराधियों के बचने की जो गुंजाइश पहले रह जाती थी, अब नहीं रह पाएगी.

ये बहुत जरूरी था

शाजिया इल्मी ने आगे कहा कि ऑनलाइन शिकायत के जरिए मामले की सुनवाई हो रही है. डिजिटलाइजेशन से ज्यूडिशरी की कार्रवाई में भी आसानी होगी. हमें लगता है कि जितना बैकलॉग रहता है और एक बहुत बड़ी कमी जो ज्यूडिशल सिस्टम में रही है, चाहे वह भीड़ हो ,बैकलॉग हो, तारीख ना मिलने की बात हो या देर से तारीख की बात हो, फॉरेंसिक तौर पर जांच नहीं हो पाती थी या फिर जो केंद्र और स्टेट के अंदर जो इंटेलिजेंस की शेयरिंग होनी चाहिए थी, और जो रिकॉर्ड होने होने चाहिए थे, डिजिटलाइजेशन से, वह सारे के सारे काम हो जाएंगे. हमें लगता है कि यह बहुत जरूरी था.

-भारत एक्सप्रेस

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