दिल्ली हाईकोर्ट
दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा है कि दंड प्रक्रिया संहिता (CrPC) की जगह लेने वाले नए कानून भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (भानासुसं) आपराधिक न्याय में एक परिवर्तनकारी युग की शुरुआत करता है और एक ऐसी पण्राली को बढावा देता है जो पारदर्शी, जवाबदेह और मूल रूप से निष्पक्षता और न्याय के सिद्धांतों के अनुरूप है. कोर्ट ने यह टिप्पणी स्वापक औषधि एवं मन:प्रभावी पदार्थ (NDPS) अधिनियम के तहत दर्ज मादक पदार्थ से जुड़े मामले में एक आरोपी को जमानत देते हुए की.
कोर्ट ने कहा कि भानासुसं के तहत फोटोग्राफी और वीडियोग्राफी को अनिवार्य कर दिया गया है, जिसे साक्ष्यों की बेहतर समझ और मूल्यांकन के लिए सवरेत्तम प्रथाओं के रूप में सार्वभौमिक रूप से स्वीकार किया जाता है.
न्यायमूर्ति अमित महाजन ने कहा कि बदलते समय की जरूरत को समझते हुए संसद ने अब भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (भानासुसं) पारित कर दी है. अब फोटोग्राफी और वीडियोग्राफी को अनिवार्य कर दिया गया है. यह विधायी संवर्धन जांच में अधिक पारदर्शी और जवाबदेह दृष्टिकोण सुनिश्चित करने के लिए बनाया गया है. भानासुसं तकनीकी एकीकरण पर अपने व्यापक जोर के साथ आपराधिक न्याय में एक परिवर्तनकारी युग की शुरुआत करता है. यह एक ऐसी पण्राली को बढावा देता है जो न केवल पारदर्शी और जवाबदेह है, बल्कि निष्पक्षता और न्याय के सिद्धांतों के साथ मौलिक रूप से संरेखित है.
बीएनएसएस, भारतीय न्याय संहिता (भानासुसं) और भारतीय साक्ष्य संहिता (भासासं) के साथ 1 जुलाई से प्रभावी हो गया है. वर्तमान मामले में दिल्ली पुलिस की अपराध शाखा को दिसंबर 2019 में सूचना मिली थी कि कथित तौर पर हिमाचल प्रदेश से चरस खरीदकर शहर में इसकी आपूर्ति करने वाला आरोपी बंटू यहां मजनू का टीला के पास किसी व्यक्ति को यह मादक पदार्थ आपूर्ति करने आएगा. आरोपी को गिरफ्तार कर लिया गया था और तलाशी के दौरान उसके पास से एक बैग बरामद हुआ जिसमें 1.1 किलोग्राम चरस थी, जिसे 550 ग्राम के दो पैकेटों में छिपाया गया था.
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-भारत एक्सप्रेस
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