केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी
आंध्र प्रदेश वक्फ बोर्ड द्वारा अहमदिया समुदाय को गैर-मुस्लिम बताने वाले प्रस्ताव को पारित करने से उपजे विवाद के बीच अल्पसंख्यक मामलों की मंत्री स्मृति ईरानी ने कहा कि देश के किसी भी वक्फ बोर्ड के पास किसी व्यक्ति या समुदाय को धर्म से बाहर करने का अधिकार नहीं है.
प्रमुख मुस्लिम संगठन जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने अहमदिया समुदाय को गैर-मुस्लिम बताने वाले आंध्र प्रदेश वक्फ बोर्ड के कदम का समर्थन करते हुए मंगलवार को दावा किया था कि यह सभी मुसलमानों का सर्वसम्मत रुख है. इस मुद्दे के बारे में पूछे जाने पर स्मृति ईरानी ने कहा, ‘‘मैं केवल इतना कहना चाहती हूं कि सभी वक्फ बोर्ड संसद के अधिनियम के तहत आते हैं. कोई भी वक्फ बोर्ड संसद की गरिमा के विपरीत काम नहीं कर सकता और उसके द्वारा बनाए गए कानूनों का उल्लंघन नहीं कर सकता. किसी भी वक्फ बोर्ड को इसकी इजाजत नहीं है कि वह किसी फतवे को सरकारी आदेश में बदल दे.’’
Minority Affairs Minister @smritiirani says no #WaqfBoard in the country has authority to expel a person or a community from a religion, remarks that come amid a row over the Andhra Pradesh #WaqfBoard passing a resolution describing the #Ahmadiyya Community as non-Muslims.… pic.twitter.com/NxGtG0CCB5
— Upendrra Rai (@UpendrraRai) July 26, 2023
उन्होंने कहा, ‘‘संसद के कानून के तहत किसी भी वक्फ बोर्ड को यह अधिकार नहीं है कि वह किसी व्यक्ति या समुदाय को धर्म से बाहर निकाल सके. हमने आंध्र प्रदेश के मुख्य सचिव से जवाब मांगा है. हमने उनसे तथ्यों को पेश करने का अनुरोध किया है क्योंकि अहमदिया मुस्लिम समुदाय ने अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय के समक्ष अपील की है.’’ ईरानी ने कहा कि वह राज्य के मुख्य सचिव के जवाब का इंतजार कर रही हैं.
वक्फ बोर्ड ने बताया था ‘गैर-मुस्लिम’
जमीयत उलेमा-ए-हिंद द्वारा आंध्र प्रदेश वक्फ बोर्ड के रुख का समर्थन करने के बारे में पूछे जाने पर ईरानी ने कहा कि किसी को भी संसद के अधिनियम का उल्लंघन करने का अधिकार नहीं है. आंध्र प्रदेश वक्फ बोर्ड ने एक प्रस्ताव पारित कर अहमदिया समुदाय को ‘काफिर’ और गैर मुस्लिम बताया था जिसके बाद अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय ने आंध्र प्रदेश सरकार को भेजे पत्र में वक्फ बोर्ड के प्रस्ताव को ‘नफरती अभियान’ बताया था जिसका असर पूरे देश में पड़ सकता है.
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आंध्र प्रदेश के मुख्य सचिव केएस जवाहर रेड्डी को भेजे पत्र में यह भी कहा गया था कि 20 जुलाई को अहमदिया मुस्लिम समुदाय से एक पत्र मिला है जिसमें कहा गया है कि कुछ वक्फ बोर्ड अहमदिया समुदाय का विरोध कर रहे हैं और समुदाय को इस्लाम से बाहर का घोषित करने के लिए अवैध प्रस्ताव पारित कर रह रहे हैं.