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Pandit Pradeep Mishra फिर विवादों में घिरे, ‘चित्रगुप्त’ पर दिया विवादित बयान – जानें क्या कहा था

कथावाचक पंडित प्रदीप मिश्रा अपने बयान को लेकर एक बार फिर विवादों में घिर गए हैं. उन पर महाराष्ट्र में कथा के दौरान व्यासपीठ से कायस्थ समाज के आराध्य भगवान चित्रगुप्त को लेकर अमर्यादित और अपमानजनक टिप्पणी का आरोप लगा है. इस मामले को लेकर कायस्थ समाज में रोष व्याप्त है.

Pt. Pradeep Mishra

Pt. Pradeep Mishra (फाइल फोटो-सोशल मीडिया)

Vijay Ram Edited by Vijay Ram

कथावाचक पंडित Pradeep Mishra एक बार फिर विवादों के घेरे में आ गए हैं. इस बार उन पर महाराष्ट्र में एक कथा के दौरान व्यासपीठ से कायस्थ समाज के आराध्य भगवान चित्रगुप्त को लेकर अमर्यादित और आपत्तिजनक टिप्पणी करने का आरोप है. इस बयान के बाद से कायस्थ समाज में भारी नाराज़गी देखी जा रही है. देश के कई हिस्सों में कायस्थ समुदाय के लोग इसका विरोध कर रहे हैं और कथावाचक के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग कर रहे हैं.

Madhya Pradesh के गुना जिले में आज कायस्थ समाज के प्रतिनिधियों ने एकजुट होकर विरोध प्रदर्शन किया और कलेक्टर कार्यालय पहुंचकर मुख्यमंत्री Mohan Yadav के नाम ज्ञापन सौंपा. इस ज्ञापन में पंडित प्रदीप मिश्रा द्वारा की गई टिप्पणी की निंदा की गई है और उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की मांग की गई है. समाज के प्रतिनिधियों ने कहा कि धार्मिक मंच से इस प्रकार की टिप्पणी समाज में वैमनस्य फैलाने का कार्य करती है और यह न केवल अपमानजनक है, बल्कि समाज की आस्था को ठेस पहुंचाने वाली भी है.

ज्ञापन सौंपने पहुंचे लोगों का कहना था कि भगवान चित्रगुप्त कायस्थ समाज के प्रमुख देवता हैं और उनके बारे में अपमानजनक भाषा का प्रयोग पूरी कायस्थ जाति का अपमान है. समाज के कई वरिष्ठजनों ने मीडिया से बातचीत में बताया कि पंडित प्रदीप मिश्रा एक जाने-माने कथावाचक हैं और उन्हें व्यासपीठ की मर्यादा बनाए रखनी चाहिए. किसी भी धर्म या समाज की आस्था से जुड़ी बातों पर टिप्पणी करने से पहले संतुलन और जिम्मेदारी जरूरी है.

प्रदीप मिश्रा ने लिया यूटर्न

विवाद गहराता देख पंडित प्रदीप मिश्रा ने आज सफाई दी और माफी भी मांगी. उन्होंने एक बयान जारी कर कहा कि उनका उद्देश्य किसी व्यक्ति, समाज या आस्था को ठेस पहुंचाने का कतई नहीं था. अगर उनके शब्दों से किसी को दुख पहुंचा है तो वह इसके लिए क्षमाप्रार्थी हैं. उन्होंने यह भी कहा कि उनके कथन को गलत तरीके से प्रस्तुत किया गया है और उनका आशय किसी को नीचा दिखाना नहीं था.

प्रदीप मिश्रा ने आगे कहा कि वह सभी धर्मों और समाजों का सम्मान करते हैं और उनका उद्देश्य केवल भक्ति और धर्म के प्रचार-प्रसार तक सीमित है. उन्होंने यह भी अपील की कि इस पूरे मामले को शांतिपूर्ण ढंग से निपटाया जाए और सामाजिक सौहार्द बना रहे.

लोगों ने किया माफी कबूल करने से इनकार

हालांकि, कई कायस्थ संगठनों ने प्रदीप मिश्रा की माफी को स्वीकार करने से इनकार कर दिया है. उनका कहना है कि यह पहली बार नहीं है जब उन्होंने विवादित बयान दिया हो. सोशल मीडिया पर भी यह मुद्दा तेजी से ट्रेंड कर रहा है, जहां एक ओर लोग प्रदीप मिश्रा की माफी को दिखावा बता रहे हैं, वहीं कुछ समर्थक उन्हें माफ करने की अपील कर रहे हैं.

मामला अब राजनीतिक रंग भी लेने लगा है. कुछ राजनीतिक दलों ने भी इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि धार्मिक मंचों का उपयोग समाज को जोड़ने के लिए होना चाहिए, न कि किसी विशेष समुदाय की भावनाएं आहत करने के लिए.

फिलहाल प्रशासन इस पूरे मामले पर नजर बनाए हुए है. गुना में ज्ञापन सौंपे जाने के बाद स्थानीय प्रशासन ने उच्च अधिकारियों को पूरे घटनाक्रम से अवगत करा दिया है. अब यह देखना दिलचस्प होगा कि राज्य सरकार और प्रशासन इस विवाद को लेकर क्या कदम उठाते हैं.

यह विवाद एक बार फिर इस प्रश्न को जन्म देता है कि क्या धार्मिक मंचों से दिए जाने वाले वक्तव्यों पर कोई मर्यादा तय होनी चाहिए और क्या कथावाचकों को सामाजिक जिम्मेदारी के साथ अपने शब्दों का चयन करना चाहिए?

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