
मध्य प्रदेश में इन दिनों एक नया मुद्दा गरमाया हुआ है. दो दिन पहले बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर, पं. धीरेंद्र शास्त्री ने हिंदू ग्राम बनाने के लिए एक ठोस योजना पेश की और पहला जत्था रवाना कर दिया. इसके बाद से यह मुद्दा राज्य के भीतर ही नहीं, बल्कि बाहर भी चर्चा का विषय बन गया. नेशनल मीडिया में भी इस पर लंबी चर्चा हो रही है.
हिंदुत्व के नाम पर इस नए कदम के बाद मुस्लिम समाज भी इस पर प्रतिक्रिया देने लगा है. कांग्रेस प्रवक्ता अब्बास हफीज ने इस मुद्दे पर बयान देते हुए मुख्यमंत्री मोहन यादव से मांग की कि हिंदू ग्राम के बाद मुस्लिम ग्राम, ईसाई ग्राम और सिख ग्राम बनाने की अनुमति भी दी जाए. उन्होंने ट्विटर पर यह मांग करते हुए लिखा, “अगर संविधान धर्म के आधार पर गांव बनाने की अनुमति देता है, तो मुझे मुस्लिम ग्राम, ईसाई ग्राम और सिख ग्राम बनाने की भी अनुमति दी जाए.”
यह मामला अब मीडिया में खासा सुर्खियों में है. कांग्रेस द्वारा किए गए इस बयानबाजी को चुनावी राजनीति से जोड़कर देखा जा रहा है. बागेश्वर धाम के धीरेंद्र शास्त्री, जो हिंदुत्व के सबसे बड़े चेहरे के रूप में उभर चुके हैं, उनके हिंदू ग्राम बनाने की घोषणा के बाद गैर-भाजपा दलों द्वारा बयानबाजी की जा रही है. इसका उद्देश्य वोट बैंक की राजनीति से जुड़ा हुआ प्रतीत हो रहा है.
धीरेंद्र शास्त्री का हिंदू ग्राम और ‘हिंदू राष्ट्र’ का सपना
धीरेंद्र शास्त्री ने हिंदू ग्राम की आधारशिला रख दी है और इसकी योजना छतरपुर में भारत का पहला हिंदू गांव बनाने की है. इस गांव में एक हजार परिवारों को बसाने की तैयारी की जा रही है, और इसके लिए जमीन बागेश्वर धाम जनसेवा समिति उपलब्ध कराएगी. धीरेंद्र शास्त्री का मानना है कि यह हिंदू ग्राम हिंदू राष्ट्र की ओर एक महत्वपूर्ण कदम है.
मौलाना शहाबुद्दीन और अब्बास हफीज की प्रतिक्रियाएं
इसी बीच, बरेली के मौलाना शहाबुद्दीन ने इस पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि धीरेंद्र शास्त्री का हिंदू ग्राम का विचार समाज और देश के हित में नहीं है. उनका कहना था कि यह समाज को बांटने और देश को कमजोर करने की कोशिश है. मौलाना ने यह भी कहा कि हिंदू ग्राम, हिंदू जिला, और हिंदू राष्ट्र का सपना कभी पूरा नहीं होगा. भारत न तो अगले 1000 साल तक हिंदू राष्ट्र बनेगा, और न ही इस्लामिक राष्ट्र. भारत एक लोकतांत्रिक देश है, और यही इसकी सबसे बड़ी विशेषता है.
इसके बाद अब भोपाल से कांग्रेस प्रवक्ता अब्बास हफीज ने भी यह मुद्दा उठाया और मुस्लिम ग्राम बनाने की मांग की. उनका कहना था कि यदि हिंदू ग्राम बन सकता है, तो मुस्लिम, ईसाई और सिख ग्राम भी बनाए जा सकते हैं.
यह मामला अब राजनीतिक और धार्मिक बहस का केंद्र बन चुका है, और आने वाले समय में यह देखना दिलचस्प होगा कि इस पर और क्या प्रतिक्रियाएं आती हैं.
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-भारत एक्सप्रेस
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