Bharat Express

Parliament Security: संसद पर आतंकी हमले के बाद कितनी मजबूत हुई सुरक्षा, विजिटर्स के लिए क्या हैं नियम, कैसे मिलती है Entry?

Parliament Security: संसद में शीतकालीन सत्र चल रहा है. इसी बीच 13 दिसंबर को सुरक्षा में बड़ी चूक हुई. दो लोग दर्शक दीर्घा से छलांग लगाकर सांसदों के बीच पहुंच गए और स्मोक केन से अंदर पीले रंग का धुआं फैला दिया.

parliament security

संसद भवन की सुरक्षा में चूक

Parliament Security: संसद में शीतकालीन सत्र चल रहा है. इसी बीच 13 दिसंबर को सुरक्षा में बड़ी चूक हुई. दो लोग दर्शक दीर्घा से छलांग लगाकर सांसदों के बीच पहुंच गए और स्मोक केन से अंदर पीले रंग का धुआं फैला दिया. आनन-फानन में दोनों को हिरासत में ले लिया गया. इस मामले में सदन से लेकर सड़क तक चर्चा हो रही है. मामले की जांच के लिए गृह मंत्रालय ने SIT गठित कर दी है. इसके साथ ही दिल्ली पुलिस ने UAPA के तहत आरोपियों के खिलाफ मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है. इस मामले में 5 आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है. एक आरोपी अब भी फरार चल रहा है, जिसकी तलाश की जा रही है.

22 साल में क्या बदलाव हुए?

संसद में 22 साल पहले 13 दिसंबर को आतंकी हमला हुआ था. उसके बाद से अब तक संसद की सुरक्षा में क्या बदलाव हुए हैं? कैसे आम लोगों को संसद में एंट्री मिलती है, किन लोगों के हाथ में सुरक्षा की जिम्मेदारी है? ये सवाल हर किसी के मन में उठ रहे है. तो आइये जानते हैं इन सवालों के जवाब.

किसके हाथ में सुरक्षा की जिम्मेदारी?

संसद भवन की सुरक्षा की जिम्मेदारी दिल्ली पुलिस के हाथ में है. इसके अलावा पैरामिलिट्री फोर्स और एक स्पेशलाइज्ड डिपार्टमेंट, जिसे पार्लियामेंट सिक्योरिटी सर्विस कहा जाता है के हवाले है. दिल्ली पुलिस संसद भवन के आसपात के इलाकों में लोगों की पहुंच को कंट्रोल करती है. पैरामिलिट्री फोर्स पार्लियामेंट के बाहर क्षेत्र की सुरक्षा संभालती है. वहीं अंदर की सुरक्षा पीएसएस और दिल्ली पुलिस करती है. पीएसएस का नेतृत्व ज्वॉइंट सेक्रेटरी लेवल के अफसर के पास होता है.

विजिटर्स की कहां-कहां होती है जांच?

संसद भवन में किसी भी विजिटर को तीन लेयर की सुरक्षा को पार करना होता है. तीनों स्तर पर सिक्योरिटी चेक होती है. पहला गेस्ट पास बनाने से ठीक पहले संसद भवन के एंट्री गेट पर जांच की जाती है. इसके बाद दूसरी चेकिंग संसद भवन के गेट पर और थर्ड लेयर गैलरी में एंट्री करने से ठीक पहले. इन तीनों लेवल पर विजिटर की गहनता से जांच की जाती है. संसद में कितान और पेन जैसी चीजों को ले जाने पर भी पाबंदी रहती है. पीएसएस किसी भी सांसद की सिफारिश के आधार पर कार्यवाही को देखने आने वाले विजिटर्स को एस्कॉर्ट करता है.

यह भी पढ़ें- Parliament Security Breach: गृह मंत्रालय ने गठित की SIT, संसद में घुसने वालों पर दिल्ली पुलिस ने दर्ज किया UAPA का केस

सत्र के दौरान संसद की सुरक्षा पीएसएस और दिल्ली पुलिस दोनों संभालती है. सभी दीर्घाओं में, हाउस मार्शल या सुरक्षा अधिकारी पूरी कार्यवाही के दौरान आगे की वेल में बैठते हैं. मेहमानों को आगे की पंक्ति की सीटों पर बैठने की अनुमति नहीं होती है.

2001 के बाद कितनी सख्त हुई सुरक्षा?

संसद पर 2001 में हुए हमले के बाद सुरक्षा के मद्देनजर संसद की ओर जाने वाली सभी मुख्य सड़कों पर बैरिकेड्स लगाए गए हैं. इसके अलावा कारों के लिए आरएफ टैग, मेन रास्तों में भीड़ को कंट्रोल करने के लिए भी अलग से बैरिकेड्स, इसके अलावा विजिटर्स के लिए फोटो पहचान और सीसीटीवी कैमरे लगाए हैं. बाहरी गाड़ियों को संसद के आखिरी मार्ग तक जाने की इजाजत नहीं दी गई है. सिर्फ अधिकृत वाहनों के लिए तीन गेट खुले रखे गए हैं. 2 गेट को बंद कर दिया गया है.

सुरक्षा की एक अतिरिक्त लेयर के लिए डॉग स्क्वॉयड तैनात किए गए हैं. विजय चौक से बाहर निकलने का रास्ता सिर्फ सांसदों के लिए रिजर्व रखा गया है. इसके साथ ही सभी गेट्स पर हैंडहेल्ड विस्फोटक वाष्प डिटेक्टर और लेटेस्ट डिवाइसों को लगाया गया है.

-भारत एक्सप्रेस

Bharat Express Live

Also Read