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निकाय चुनाव में निर्दलीय कर सकेंगे पार्टियों के चुनाव चिह्नों का इस्तेमाल, जानें दिल्ली हाईकोर्ट ने ऐसा क्यों कहा

कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनमोहन एवं जस्टिस मनमीत प्रीतम सिंह अरोड़ा की पीठ ने यह व्यवस्था उस याचिका को खारिज करते हुए दीए जिसमें राज्य चुनाव आयोग को चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवारों की सूची में वे चुनाव चिह्न डालने से रोकने की निर्देश देने की मांग की गई है, जो राजनीतिक दलों के लिए आरक्षित हैं.

Delhi High Court

दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा है कि संविधान के तहत उन राजनीतिक दलों पर नगर निकाय चुनाव लड़ने पर कोई रोक नहीं है, जिन्हें राज्य चुनाव आयोग (एसईसी) ने मान्यता दी है. कोर्ट ने यह भी कहा कि नगर निकाय चुनावों के लिए एसईसी की ओर से राजनीतिक दलों को चुनाव चिह्नों का आवंटन उचित है और यह मनमाना नहीं है.

कार्यवाहक मुख्य न्यायधीश मनमोहन एवं न्यायमूर्ति मनमीत प्रीतम सिंह अरोड़ा की पीठ ने यह व्यवस्था उस याचिका को खारिज करते हुए दी जिसमें एसईसी को चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवारों की सूची में वे चुनाव चिह्न डालने से रोकने की निर्देश देने की मांग की गई है जो राजनीतिक दलों के लिए आरक्षित हैं.

कोर्ट ने कहा कि एसईसी ने वर्ष 2022 के चुनाव चिह्न आदेश में निर्वाचन आयोग ने पहले से ही मान्यता पा चुके राष्ट्रीय और राज्यीय दलों को मान्यता प्रदान की और चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवारों को चिह्न आवंटित करने का प्रावधान किया. यह प्रतीक आदेश संविधान एवं डीएमसी कानून के तहत गलत नहीं है.

याचिकाकर्ता लोकेश कुमार ने वर्ष 2022 में ग्रीन पार्क से एक स्वतंत्र उम्मीदवार के रूप में एमसीडी चुनाव लड़ा और हार गए. उन्होंने वर्ष 2012 एमसीडी नियमावली के कुछ नियमों को चुनौती दी, जो एसईसी को नगर निकाय चुनावों के लिए राष्ट्रीय और राज्य पार्टियों को मान्यता देने और उनके चुनाव चिह्नों के उपयोग की शक्ति प्रदान करते हैं.

इसलिए आवंटित किए गए चुनाव चिन्ह

पीठ ने कहा कि भारतीय लोकतंत्र की रीढ लोग स्वयं हैं, जो प्रत्यक्ष चुनाव के माध्यम से अपना प्रतिनिधि चुनते हैं. उसने कहा कि जब भारत का पहला आम चुनाव हुआ, तो मतदाताओं में बड़ी संख्या में ऐसे लोग थे जो निरक्षर थे. वे चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवारों के नाम नहीं पढ सकते थे. इसलिए विचार-विमर्श के बाद एवं कई विकल्पों पर गौर करने के बाद चुनाव चिह्नों के उपयोग की एक प्रणाली बनाई गई. इस प्रणाली के तहत मतदाताओं को अपनी पसंद के उम्मीदवार के पक्ष में अपने मताधिकार का प्रयोग करने को लेकर चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवारों के लिए प्रतीक चिह्न मतपत्र में अंकित किए गए थे.

सुप्रीम कोर्ट के आदेश का दिया हवाला

याचिका में एसईसी को आरक्षित चुनाव चिह्नों के बिना दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) का चुनाव कराने का निर्देश देने की भी अपील की गई है. पीठ ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हवाला देते हुए कहा कि एसईसी के पास राजनीतिक दलों को नगर निकाय चुनाव लड़ने के लिए दी गई मान्यता उसके अधिकार क्षेत्र में है न कि इससे बाहर है. उसने यह भी कहा कि राजनीतिक दलों को नगर निकाय चुनाव लड़ने से संविधान की अनुच्छेद 243जेडए या अनुच्छेद 243आर रोक नहीं लगाती है.



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