सुप्रीम कोर्ट.
Patanjali Misleading Ads Case: पतंजलि भ्रामक विज्ञापन मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने आईएमए के अध्यक्ष डॉक्टर अशोकन को एक हफ्ते के भीतर माफीनामे वाले द हिंदू अखबार के 20 संस्करणों की काॅपी दाखिल करने का निर्देश दिया है. कोर्ट ने कहा कि आर वी अशोकन द्वारा हिंदू अखबार में दायर किया गया अंश पढ़ने योग्य नहीं है, क्योंकि फ़ॉन्ट बहुत छोटा है. जस्टिस हिमा कोहली की अध्यक्षता वाली पीठ मामले में सुनवाई कर रही है.
SC ने आईएमए अध्यक्ष के माफी पर जताया था असंतोष
पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने आईएमए अध्यक्ष के माफी पर असंतोष जताया था. कोर्ट ने कहा था कि माफीनामे को सभी प्रमुख अखबारों पर अपने खर्च पर प्रकाशित किए जाए. पिछली सुनवाई में कोर्ट ने आईएमए के अध्यक्ष डाॅ अशोकन पर कोर्ट को लेकर की गई टिप्पणी के मामले में अशोकन को फटकार लगाई थी.
जस्टिस हिमा कोहली ने कहा था कि हमें आपसे अधिक जिम्मेदारी की भावना की उम्मीद थी. जस्टिस अमानुल्लाह ने कहा था कि आप इस तरह प्रेस में कोर्ट के खिलाफ अपनी भावनाएं व्यक्त नहीं कर सकते, आप इस तरह अचानक क्यों चले गए? डॉ अशोकन ने कहा था कि मैं बिना शर्त कोर्ट से माफी मांगता हूं.डॉक्टर अशोकन से जस्टिस हिमा कोहली ने कहा कि क्या हमें ऐसे बयानों के बाद आपको माफ करना चाहिए. जस्टिस अमानुल्लाह ने डॉक्टर अशोकन से कहा कि हम आपको संदेह का लाभ कैसे दे सकते हैं.
2022 में दायर की गई थी याचिका
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट इंडियन मेडिकल एसोसिएशन द्वारा 2022 में दायर एक याचिका पर सुनवाई कर रहा है, जिसमें आरोप लगाया गया है कि पतंजलि और योग गुरु रामदेव ने कोविड टीकाकरण और चिकित्सा की आधुनिक प्रणालियों को बदनाम करने का अभियान चलाया. कोर्ट ने पतंजलि के उत्पादों के बारे में भ्रामक विज्ञापनों की आलोचना की. इन विज्ञापनों को अब निषिद्ध कर दिया गया है, लेकिन वे विभिन्न इंटरनेट चैनलों पर अब भी उपलब्ध है.
-भारत एक्सप्रेस
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