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Patanjali Misleading Ads

Patanjali Misleading Ads Case: कोर्ट ने कहा कि आर वी अशोकन द्वारा हिंदू अखबार में दायर किया गया अंश पढ़ने योग्य नहीं है, क्योंकि फ़ॉन्ट बहुत छोटा है.

पतंजलि भ्रामक विज्ञापन मामले में बीते मंगलवार को शीर्ष अदालत ने कंपनी को निर्देश देते हुए कहा था कि हम अखबारों में प्रकाशित माफीनामे का वास्तविक आकार देखना चाहते हैं. हम यह देखना चाहते हैं कि जब आप कोई विज्ञापन जारी करते हैं, तो इसका मतलब ये नहीं कि हमें इसे माइक्रोस्कोप से देखना होगा.

Baba Ramdev और Acharya Balkrishna अपनी कंपनी Patanjali Ayurved के औषधीय उत्पादों के असर के बारे में विज्ञापनों में बड़े-बड़े दावे करते रहे हैं, जिसके खिलाफ एलोपैथी डॉक्टरों के शीर्ष संगठन इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) ने Supreme Court में याचिका दायर ​की है.