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जघन्य अपराधियों की ई-मुलाकात के खिलाफ याचिका: दिल्ली सरकार और NIA को नोटिस जारी

आतंकवादी गतिविधियों व जघन्य अपराध में शामिल कैदियों को संबंधित जांच एजेंसी से अनापत्ति प्रमाण-पत्र (NOC) लेने के बाद ही ई-मुलाकात व टेलीफोन सुविधा मुहैया कराने के खिलाफ दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई है.

Delhi High Court

दिल्ली हाई कोर्ट.

आतंकवादी गतिविधियों व जघन्य अपराध में शामिल कैदियों को संबंधित जांच एजेंसी से अनापत्ति प्रमाण-पत्र (NOC) लेने के बाद ही ई-मुलाकात व टेलीफोन सुविधा मुहैया कराने के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई के बाद दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली सरकार और एनआईए (NIA) को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है.

न्यायमूर्ति संजीव नरूला की कोर्ट इस मामले में सुनवाई कर रही है. आडियो-सह-वीडियो ई-मुलाकात कैदी को दी जाने वाली फोन कॉल सुविधा का ही विस्तार है.

जेल प्राधिकारियों ने अप्रैल परिपत्र जारी कर कहा है कि देश के खिलाफ अपराध, आतंकवादी गतिविधियों, जघन्य अपराध, महाराष्ट्र संगठित अपराध नियंत्रण अधिनियम (मकोका), राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम व लोक सुरक्षा अधिनियम जैसे कानूनों के तहत दर्ज मामलों के आरोपियों को संबंधित जांच एजेंसी से बिना अनापत्ति प्रमाण पत्र लिए ई-मुलाकात व फोन की सुविधा नहीं दी जाएगी. इस परिपत्र को आतंकवादियों को धन मुहैया कराने के आरोपी मासाससोंग ने चुनौती दी है और उसे रद्द करने की मांग की है और उसे उक्त सुविधा मुहैया कराने की मांग की है.

उसने कहा है कि उसे फरवरी 2020 में गिरफ्तार किया गया था और उसे तिहाड़ जेल से हर दिन पांच मिनट के लिए अपने नाबालिग बेटे और बेटी को फोन करने की अनुमति दी गई थी. अब यह सुविधा बंद कर दी गई है, जबकि उसके वृद्ध माता-पिता हैं, जो अपने जीवन के अंतिम पड़ाव पर हैं. वे बीमारियों से भी जूझ रहे हैं. इस दशा में वह अपने माता-पिता और बच्चों केलिए चिंचित है. उसके लिए संचार सुविधाएं ही एकमात्र सांत्वना है. याचिकाकर्ता ने कहा है कि उसे दी जा रही सुविधाओं को बंद करना जेल नियम व उसे मौलिक अधिकार जैसे जीवन व व्यक्तिगत स्वतंत्रता का उल्लंघन है.

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-भारत एक्सप्रेस

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