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लोकसभा में पीएम मोदी बोले, ‘हमने गरीबों को सिर्फ खोखले नारे नहीं दिए, विकास की मुख्यधारा से जोड़ा’

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोकसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा का जवाब देते हुए कहा कि हमने गरीबों को सिर्फ खोखले नारे नहीं दिए, बल्कि उन्हें विकास की मुख्यधारा से जोड़ा है.

PM Modi

पीएम मोदी.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को लोकसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा का जवाब दिया. इस दौरान पीएम मोदी ने कहा कि मैं बहुत भाग्यशाली हूं कि देश की जनता ने मुझे 14वीं बार राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव का जवाब देने का मौका दिया है. एक तरफ जहां उन्होंने अपनी सरकार की उपलब्धियां गिनाई, वहीं विपक्ष पर भी जमकर हमला बोला.

मैं जनता का आदरपूर्वक आभार व्यक्त करता हूं. कल और आज सभी माननीय सदस्यों ने धन्यवाद प्रस्ताव पर अपने विचार व्यक्त किए. यह स्वाभाविक है और लोकतंत्र की परंपरा है, जहां जरूरत थी, वहां प्रशंसा हुई और जहां कुछ समस्या थी, वहां कुछ नकारात्मक बातें भी कही गईं.

पीएम मोदी ने कहा कि हम 2025 में हैं. एक तरह से 21वीं सदी का 25 प्रत‍िशत हिस्सा बीत चुका है. आजादी के बाद 20वीं सदी और 21वीं सदी के पहले 25 वर्षों में क्या हुआ, यह तो समय ही तय करेगा. लेकिन अगर हम राष्ट्रपति के अभिभाषण का सूक्ष्मता से अध्ययन करें, तो यह स्पष्ट है कि उन्होंने आने वाले 25 वर्षों और विकसित भारत को लेकर लोगों के बीच विश्वास कायम करने की बात कही. उनका संबोधन विकसित भारत के संकल्प को मजबूत करता है, नया आत्मविश्वास पैदा करता है और आम लोगों को प्रेरित करता है.

‘पांच दशक तक हम गरीबी हटाओ के नारे सुनते रहे’

पांच दशक तक हम गरीबी हटाओ के नारे सुनते रहे. आज 25 करोड़ गरीब गरीबी को परास्त कर उससे ऊपर उठ गए हैं. ये अचानक नहीं हुआ है. ये योजनाबद्ध तरीके से हुआ है, समर्पित प्रयासों के कारण हुआ है, गरीबों के संघर्ष के प्रति गहरी संवेदनशीलता के कारण हुआ है. जब कोई गरीबों की सेवा में अपना जीवन समर्पित करता है, तो ऐसे परिणाम मिलते हैं. जो लोग जमीन से जुड़े होते हैं, जो इसकी वास्तविकताओं को समझते हैं और इसके लिए अपना जीवन समर्पित करते हैं, वे निश्चित रूप से बदलाव लाते हैं.

पीएम मोदी ने कहा कि हमने गरीबों को सिर्फ खोखले नारे नहीं दिए, हमने असली विकास किया. गरीबों के संघर्ष, आम आदमी की कठिनाइयों और मध्यम वर्ग की चुनौतियों को समझने के लिए सच्ची प्रतिबद्धता की आवश्यकता होती है. दुख की बात है कि कुछ लोगों में यह सब नहीं है. जो लोग झुग्गी-झोपड़ियों में फोटो सेशन कराकर अपना मनोरंजन करते रहते हैं, उन्हें संसद में गरीबों पर चर्चा बोरिंग लगेगी.

फूस की और प्लास्टिक की कच्ची छत के नीचे जीवन गुजारना कितना मुश्किल होता है. कुछ ऐसे पल भी होते हैं, जब सपने रौंद दिए जाते हैं और ये हर कोई नहीं समझ सकता है. अब तक गरीबों को चार करोड़ पक्के घर मिले हैं. जिसने उस जिंदगी को जिया है, उसे समझ होती है कि पक्की छत वाला घर क्या होता है.


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-भारत एक्सप्रेस



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