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Prayagraj: कैबिनेट मंत्री संजय निषाद को इलाहाबाद HC से बड़ी राहत, केस वापसी की अर्जी हुई मंजूर, जानें पूरा मामला 

UP News: 8 जून 2015 को आरपीएफ थाना गोरखपुर में संजय निषाद पर एक मामला दर्ज किया गया था और आरोप लगाया गया था कि उन्होंने तमाम कार्यकर्ताओं के साथ 7 जून को रेलवे ट्रैक पर विरोध प्रदर्शन किया.

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कैबिनेट मंत्री संजय निषाद (फोटो ट्विटर)

Allahabad High Court News: निषाद पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और यूपी के कैबिनेट मंत्री डॉ संजय निषाद को इलाहाबाद हाईकोर्ट से एक मामले में बड़ी राहत मिल गई है. बुधवार को कोर्ट ने सरकार और संजय निषाद की आपराधिक केस वापस लेने की अर्जी को स्वीकार कर लिया. कोर्ट ने यूपी सरकार की आपराधिक पुनरीक्षण याचिका और संजय निषाद की धारा 482 की याचिका को मंजूर कर लिया है. यह आदेश जस्टिस राजबीर सिंह की सिंगल बेंच ने दिया है.

बता दें कि गोरखपुर में रेलवे ट्रैक जाम करने के आरोप में ये आपराधिक मामला चल रहा था. सूत्रों के मुताबिक, 8 जून 2015 को आरपीएफ थाना गोरखपुर में संजय निषाद पर एक मामला दर्ज किया गया था. इसके तहत निषाद एकता परिषद के अध्यक्ष संजय निषाद पर आरोप लगाया गया था कि उन्होंने तमाम कार्यकर्ताओं के साथ 7 जून को रेलवे ट्रैक पर विरोध प्रदर्शन किया और उनके इस प्रदर्शन से नाघर-सहजनवा रेल ट्रैक का यातायात प्रभावित हुआ था और यात्रियों को खासी समस्या का सामना करना पड़ा.

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इस मामले को लेकर याचिका में कहा गया है कि, 7 अगस्त 23 को सरकार ने केस वापस लेने का निर्णय किया था और लोक अभियोजक ने धारा 321 में केस वापसी की अर्जी दी थी. हालांकि गोरखपुर मजिस्ट्रेट ने इस अर्जी को खारिज कर दिया था और कहा था कि, हाईकोर्ट से इसकी अनुमति नहीं ली गई है और अब केस पर अंतिम बहस होनी है. इस मामले में शासकीय अधिवक्ता ने बताया कि, हाईकोर्ट से 21 मार्च 2023 को केस वापसी की अनुमति ली गई और इसी के बाद लोक अभियोजक ने स्वतंत्र निर्णय लिया और नियमानुसार अर्जी दाखिल कर दी.

तो इसके अलावा याचिका में ये भी कहा गया कि मजिस्ट्रेट ने इस तथ्य और कानून की अनदेखी की है. इसलिए मजिस्ट्रेट का आदेश निरस्त किया जाये. साथ ही याचिका में ये बात भी कही गई है कि, सरकार किसी भी स्तर पर केस वापसी का फैसला ले सकती है. इसके बाद कोर्ट ने लोक अभियोजक के फैसले को विधि सम्मत माना और मामले में टिप्पणी करते हुए कहा कि मजिस्ट्रेट का आदेश तथ्य व कानून के विपरीत होने के कारण अवैध है.

-भारत एक्सप्रेस

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