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राहुल गांधी को कोर्ट ने सुनाई 2 साल की सजा, लोकसभा की सदस्यता और चुनाव लड़ने पर गहराया संकट, जानिए

Rahul Gandhi Convicted: ‘मोदी सरनेम’ टिप्पणी के मामले में कांग्रेस नेता राहुल गांधी () को कोर्ट से बड़ा झटका लगा है. गुजरात की सूरत सेशन कोर्ट (Surat Session Court) ने राहुल गांधी को 2 साल की सजा सुनाई है. हालांकि उनको कोर्ट से जमानत मिल गई है. लेकिन कोर्ट ने उनको दो साल की सजा सुनाई है तो इसकी वजह उनकी लोकसभा की सदस्यता पर संकट गहरा गया है. वहीं अगर राहुल गांधी को ऊपरी अदालत से राहत नहीं मिलती है तो वह अपनी सदस्यता को खो सकते हैं.

राहुल की न सिर्फ सदस्यता जाए बल्कि उनके चुनाव लड़ने पर भी संकट गहरा सकता है. कोर्ट के फैसले पर कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे (mallikarjun kharge) ने कहा की उन्हें पता था कि ये होने वाला है. इस मामले को लेकर कांग्रेस अब गुजरात हाईकोर्ट (Gujarat High Court) में जाएगी.

क्या है पूरा मामला ?

बता दें कि ये मामला चार साल पुराना है. साल 2019 में राहुल गांधी ने ‘मोदी सरनेम’ पर टिप्पणी की थी जिसमें उन्होंने कहा था कि “सभी चोरों का सरनेम मोदी क्यों होता है?” राहुल के इसी बयान को लेकर बीजेपी के कई नेताओं ने इस मामले में मुकदमा दर्ज कराया था. जिस पर सूरत सेशन कोर्ट (Surat Session Court) ने उनको दोषी करारा देते हुए धारा 504 के तहत दो साल की सजा सुनाई है. हालांकि, कोर्ट ने फैसले पर अमल के लिए 30 दिन की मोहलत भी दी है. अगले तीस दिन के अंदर राहुल के पास सूरत कोर्ट के फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती देने का समय होगा.

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राहुल गांधी ने कोर्ट के फैसले पर दी प्रतिक्रिया

राहुल गांधी ने सूरत कोर्ट के फैसले को लेकर एक ट्वीट करके अपनी प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने राष्टपति महात्मा गांधी को कोट करते हुए लिखा- “मेरा धर्म सत्य और अहिंसा पर आधारित है. सत्य मेरा भगवान है, अहिंसा उसे पाने का साधन.”

कैसे जा सकती है सदस्यता ?

अगर प्रशासन सूरत के सेशन कोर्ट के फैसले की कॉपी लोकसभा सचिवालय को भेज देता है तो लोकसभा अध्यक्ष (Lok Sabha Speaker) उसे स्वीकार करते ही राहुल गांधी की सदस्यता खत्म हो जाएगी. इसके साथ ही राहुल गांधी 6 साल तक कोई चुनाव नहीं लड़ पाएंगे.

कैसे बच सकते हैं राहुल गांधी ?

राहुल गांधी को अपनी सदस्यता को बचाने के लिए हाई कोर्ट में चुनौती दे सकते हैं. जहां अगर सूरत सेशन कोर्ट के फैसले पर स्टे लग जाता है तो सदस्यता बच सकती है. हाईकोर्ट अगर स्टे नहीं देता है तो फिर सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाना होगा. ऐसे में सुप्रीम कोर्ट से अगर स्टे मिल जाता है तो भी उनकी सदस्यता बच सकती है.

– भारत एक्सप्रेस

Rahul Singh

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