Rajiv Gandhi Case
Rajiv Gandhi Case: राजीव गांधी हत्याकांड मामले में दोषी एमटी संथन को पिछले साल नवंबर में जेल से रिहा कर दिया गया था. फिलहाल संथन को एक विशेष शिविर में रखा गया है. अब संथन ने पत्र लिखकर शिविर से रिहाई की मांग की है. इससे पहले 30 मई को लिखे पत्र में संथन ने कहा था कि शिविर में दिए गए कमरे से जेल बेहतर था. बता दें कि राजीव गांधी हत्याकांड में शामिल संथन, रॉबर्ट पायस, मुरुगन उर्फ श्रीहरन और जयकुमार को त्रिची सेंट्रल जेल कैंप के अंदर स्थित एक विशेष शिविर में रखा गया है. ये सभी पिछले 6 महीने से यहीं रह रहे हैं.
संथन ने कहा कि इस शिविर में 120 से ज्यादा विदेशी लोग रह रहे हैं. इनमें से 90 लोग श्रीलंका से हैं. जब मैं मामले में कैदी था तो हमें जेल में बंद किया गया. हालांकि वहां हमें कम से कम घूमने की आजादी तो थी. शिविर के कमरे में सूर्य की रोशनी नहीं आती है.
शिविर के कमरे में नहीं पहुंचती सूरज की रोशनी
संथन का कहना है कि विशेष शिविर में 120 से अधिक विदेशी रह रहे हैं और उनमें से लगभग 90 श्रीलंका से हैं. राजीव गांधी मामले के संबंध में रिहा किए गए हम चारों को विशेष शिविर के मुख्य भाग से दूर उन कमरों में रहने के लिए मजबूर किया जाता है जहां खिड़कियां टिन की चादर से बंद होती हैं. अब हम एक ऐसे कमरे में हैं जहां सूरज की रोशनी भी हमारे शरीर को छू नहीं सकती और वह कमरा अब हमारी दुनिया बन गया है. उन्होंने कहा कि उनके फोन का उपयोग करने की अनुमति नहीं थी और उन्हें केवल अपने रक्त संबंधियों से मिलने की अनुमति थी.
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तमिल प्रवासियों को हमारे लिए आवाज उठानी चाहिए- संथन
संथन ने कहा कि तमिल प्रवासियों को हमारे लिए आवाज उठानी चाहिए. आपकी लंबी चुप्पी उन लोगों को गलत संदेश दे रही है जो हमें दबाना चाहते हैं. 32 साल से मैंने अपनी मां को नहीं देखा. मैं अपने पिता के अंतिम वर्षों में उनके साथ नहीं रह सका और यह मुझे परेशान कर रहा है। अगर मेरी मां के आखिरी दिनों में उनके साथ रहने की मेरी इच्छा गलत है, तो किसी को मेरा साथ देने की जरूरत नहीं है.’
राजीव गांधी हत्याकांड के छह दोषियों को सुप्रीम कोर्ट ने 11 नवंबर को रिहा कर दिया था। पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की 1991 में तमिलनाडु के श्रीपेरंबदूर में एक चुनावी सभा में लिबरेशन टाइगर्स ऑफ तमिल ईलम (लिट्टे) के एक आत्मघाती हमलावर ने हत्या कर दी थी. मुरुगन, नलिनी, एजी पेरारिवलन, संथन, जयकुमार, रॉबर्ट पायस और पी रविचंद्रन को 1991 में दोषी ठहराया गया था और उन्हें मृत्युदंड दिया गया था, जिसे बाद में आजीवन कारावास में बदल दिया गया था.
-भारत एक्सप्रेस