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Ram Mandir Inauguration: राम मंदिर जाने या न जाने की दुविधा में फंसा विपक्षी महागठबंधन INDIA, बीजेपी ने कुछ यूं कसा तंज

Ram Mandir Inauguration: 22 जनवरी 2023 को राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा का आयोजन किया जाएगा, इसके लिए विपक्षी दलों को भी आमंत्रित किया जाएगा.

राम मंदिर (फाइल फोटो)

Ram Mandir Inauguration: अयोध्या में 22 जनवरी को श्रीराम मंदिर में श्रीरामलला की मूर्तियों की प्राण प्रतिष्ठा का कार्यक्रम होगा. इसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत देश विदेश के कई गणमान्य अतिथि शामिल होंगे. साल 2024 के लोकसभा चुनावों से ठीक पहले राम मंदिर एक बड़ा राजनीतिक मुद्दा बन गया है. प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव को विपक्षी दलों को भी निमंत्रण भेजा गया है. अब कई विपक्षी दलों में यह दुविधा है कि आखिर वे राम मंदिर के कार्यक्रम में जाएं, या नहीं जाएं.

राम मंदिर के इस कार्यक्रम के लिए सीपीआई (एम) नेता बृंदा करात ने कहा कि ‘धार्मिक कार्यक्रम का राजनीतिकरण’ किया जा रहा है. पूर्व कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल ने कहा कि उनके ‘भगवान राम मेरे दिल में हैं’, और इसलिए वह ‘कार्यक्रम’ में शामिल नहीं होंगे. इस पर महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेन्द्र फड़णवीस ने भाजपा के प्रतिद्वंद्वियों, खासकर उन लोगों पर तंज कसा है. उन्होंने कहा, ‘जो हमारा मजाक उड़ाते थे… अब, यदि आपमें साहस है, तो अयोध्या आएं और हम आपको मंदिर दिखाएंगे.

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जानें क्या है कांग्रेस का प्लान

वहीं निवर्तमान लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी और पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को भी आमंत्रित किया गया है, लेकिन यह स्पष्ट नहीं है कि राहुल गांधी को निमंत्रण मिला या नहीं. वहीं कांग्रेस पार्टी ने निमंत्रण के संबंध में अपना रुख स्पष्ट नहीं किया है. पार्टी के महासचिव केसी वेणुगोपाल ने निमंत्रण की पुष्टि की लेकिन संवाददाताओं से कहा कि आपको पार्टी के रुख के बारे में बताया जाएगा…आपको 22 जनवरी को पता चलेगा. उन्होंने (भाजपा) हमें आमंत्रित किया है. हमें आमंत्रित करने के लिए हम बहुत आभारी हैं.

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नहीं जाएगी सीपीआई (एम)

इस मामले में बृंदा करात ने पुष्टि की कि सीपीआई (एम) भगवान राम के लिए ‘प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव’ में भाग नहीं लेगी. इस कार्यक्रम में न तो वह और न ही पार्टी के महासचिव सीताराम येचुरी शामिल होंगे. उन्‍होंने कहा कि ‘नहीं…, हम नहीं जाएंगे. हम धार्मिक मान्यताओं का सम्मान करते हैं… लेकिन वे एक धार्मिक कार्यक्रम को राजनीति से जोड़ रहे हैं.’ करात ने कहा कि ‘धर्म को राजनीतिक हथियार के रूप में या राजनीतिक एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए इस्तेमाल करना सही नहीं है. ऐसे में माना जा रहा है कि जाने और न जाने वाले नेताओं को लेकर आने वाले दिनों में नई सियासत का मुद्दा बन सकता है.

-भारत एक्सप्रेस



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