सुप्रीम कोर्ट.
वीवीपैट से निकलने वाली पर्चियों की 100 फीसदी मिलान की मांग वाली याचिका को सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दायर की गई है. अरुण कुमार अग्रवाल ने पुनर्विचार याचिका दायर की है. बता दें कि कोर्ट ने चुनाव आयोग को सुझाव दिया था, कि भविष्य में वीवीपीएटी पर्ची में बार कोड पर भी विचार करें. कोर्ट ने फैसला देते हुए कहा था कि सिंबल यूनिट को 45 दिन तक स्टोर करने को कहा है.
कोर्ट ने कहा था कि रिजल्ट घोषित होते ही अगर किसी उम्मीदवार को संतुष्टि नहीं होती है तो 7 दिन के अंदर मांग कर सकते हैं. माइक्रो कंट्रोलर की जांच की जाएगी. गड़बड़ी हुई है या नहीं? जांच का खर्च उम्मीदवार उठाएगा. अगर जांच में गड़बड़ी पाई गई तो पैसा वापस होगा. सुझाव दिया चुनाव आयोग भविष्य में वीवीपीएटी पर्ची में बार कोड पर भी विचार करें.
सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं को कहा था कि आप आंख मुंद कर किसी व्यवस्था पर सवाल खड़े नहीं कर सकते. मामले की सुनवाई के दौरान जब याचिकाकर्ताओं की ओर से ईवीएम की हैकिंग को लेकर आशंका जाहिर की गई तो कोर्ट ने कहा था कि संदेह के आधार पर कोई आदेश जारी नही कर सकते है.
कोर्ट ने कहा था कि आपकी आशंकाओं को लेकर हमने चुनाव आयोग से सवाल जवाब किया और चुनाव आयोग के जवाब दे दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा था कि हम चुनाव आयोग को, चुनावी प्रक्रिया को तय नहीं कर सकते. चुनाव आयोग अपने आप में एक संवैधानिक संस्था है. हम उसे कंट्रोल नही कर सकते है.
सुनवाई के दौरान याचिकर्ताओ की ओर से कई सुझाव दिए गए थे. सभी VVPAT पर्चियों की 100 फीसदी गिनती की जाए. EVM के जरिये डाले गए वोट की VVPAT की सभी पर्चियों से मिलान हो, VVPAT के शीशे को पारदर्शी बनाया जाए और VVPAT की लाइट हमेशा जलती रहे, ताकि वोटर VVPAT पर्ची के कटने से लेकर बॉक्स में गिरने तक कि पूरी प्रक्रिया को देख सके. अभी सिर्फ 7 सेकेंड के लिए वोटर ऐसा देख सकता है.
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